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MP News: मध्य प्रदेश के भोपाल स्थित बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी में फैकल्टी की कमी के कारण बीएड कोर्स बंद पड़ा है। राष्ट्रीय शिक्षक परिषद (NCTE) ने विश्वविद्यालय में स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति न होने के कारण इस कोर्स के प्रवेश पर रोक लगा दी है। विश्वविद्यालय ने कई बार आश्वासन पत्र भेजे, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। वर्तमान में बीएड विभाग में कोई स्थायी शिक्षक नहीं है, जिससे एनसीटीई की नाराजगी और बढ़ गई है।
इसके बावजूद, University ने बीए बीएड और बीएससी बीएड कोर्स शुरू करने की तैयारी की है और इसके लिए एनसीटीई को पत्र भेजा है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि जब बीएड के लिए ही फैकल्टी नहीं है, तो इन नए कोर्सों को अनुमति मिलना भी कठिन होगा। इस समय विश्वविद्यालय 70 से अधिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश देने की तैयारी कर रहा है, जिसमें बीएएलएलबी और बीएससी एग्रीकल्चर शामिल हैं।
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विश्वविद्यालय की उदासीनता उजागर
पिछले चार वर्षों में विश्वविद्यालय ने न तो कोई फैकल्टी नियुक्त की, न ही ढांचागत सुधार के प्रयास किए। बीएड विभाग में एक भी स्थाई शिक्षक की नियुक्ति नहीं हो सकी है। एनसीटीई ने कई बार अवसर दिए कि विश्वविद्यालय आवश्यक संसाधनों की व्यवस्था करे। विश्वविद्यालय प्रशासन ने केवल कागजी कार्रवाई की। हर वर्ष शपथ पत्र और आश्वासन भेजे जाते हैं, पर जमीन पर कोई बदलाव नहीं हो सका। इसका सीधा असर यह हुआ कि जो कोर्स हर साल 100 सीटों के साथ सुचारू रूप से चलता था, वह ठप पड़ा है।
बिना फैकल्टी के कोर्स पर सवाल
हाल ही में बरकतउल्ला विश्वविद्यालय ने बीए-बीएड और बीएससी-बीएड जैसे इंटीग्रेटेड कोर्स शुरू करने की योजना बनाई है। इसके लिए एनसीटीई को अनुमति के लिए पत्र भेजा गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि जब मौजूदा बीएड कोर्स ही फैकल्टी के अभाव में बंद है, तो नए कोर्स को अनुमति मिलना लगभग असंभव है। यह कदम विश्वविद्यालय की योजना तो दर्शाता है, लेकिन धरातल पर संसाधनों की सच्चाई सवालों के घेरे में है।
शिक्षा की गुणवत्ता पर संकट
शिक्षकों की नियुक्ति न होना सिर्फ बीएड कोर्स ही नहीं, विश्वविद्यालय की संपूर्ण शैक्षणिक गुणवत्ता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है। शिक्षक विहीन विभागों में कोर्स की शुरुआत या संचालन मात्र औपचारिकता बन जाती है। यदि समय रहते विश्वविद्यालय इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाता, तो इसका व्यापक असर विश्वविद्यालय की साख और छात्रों के भविष्य दोनों पर पड़ेगा।
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शिक्षा के ढांचे को मजबूत करने की जरुरत
आज आवश्यकता है कि विश्वविद्यालय प्रशासन फैकल्टी की नियुक्ति को सर्वोच्च प्राथमिकता दे। केवल कोर्स बढ़ाना समाधान नहीं है, गुणवत्ता और योग्य शिक्षकों की मौजूदगी ही किसी भी शैक्षणिक संस्थान की नींव होती है। यदि बीयू समय रहते अपने शैक्षणिक ढांचे को सुधारता है, तभी वह एनसीटीई की शर्तों पर खरा उतरकर बीएड सहित अन्य शिक्षक प्रशिक्षण कोर्स पुनः शुरू कर पाएगा।
प्रवेश प्रक्रिया की तैयारी
बीयू ने आगामी सत्र 2025-26 के लिए यूनिवर्सिटी टीचिंग डिपार्टमेंट्स (UTDs) में संचालित 70 से अधिक पाठ्यक्रमों में दाखिले की योजना बनाई है। इनमें बीएएलएलबी और बीएससी एग्रीकल्चर जैसे प्रमुख कोर्स शामिल हैं, जिनमें अब प्रवेश के लिए सीयूईटी (CUET) देना अनिवार्य कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त कई अन्य पाठ्यक्रमों में CUET और नॉन-CUET दोनों श्रेणी के छात्रों को प्रवेश मिलेगा, जिसमें 75% सीट नॉन-CUET और 25% CUET अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित रहेंगी।
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