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मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में खेल कोटे के कारतूसों का अवैध इस्तेमाल हो रहा है। इस मामले को लेकर Thesootr लगातार मुहिम चला रहा है। द सूत्र की खबर का असर दिखने लगा है और प्रशासन में इससे हड़कंप मचा हुआ है। कारतूस-हथियारों के अवैध इस्तेमाल के खुलासे के बाद प्रशासन ने कुछ दिन पहले कई लोगों के आर्म्स लाइसेंस कैंसिल कर दिए थे।
इसी सिलसिले में शनिवार, 20 सितंबर को सैफिया कॉलेज रोड स्थित शाह आर्मरी की दुकान को सील कर दिया गया। इससे पहले शुक्रवार को शाहजहांनाबाद थाने में इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई थी।
जानें क्यों सील किया गया आर्मरी दुकान?
27 जुलाई को एडि. डीसीपी दीपक नायक और एसडीएम रविशंकर राय की टीम ने दुकान का निरीक्षण किया था। जांच के दौरान स्टॉक का मिलान करने पर हथियार और कारतूस की संख्या कम पाई गई। विक्रय रजिस्टर में लाइसेंसधारकों के मोबाइल और आधार नंबर दर्ज नहीं थे। कई जगह ओवरराइटिंग भी मिली। इसके अलावा शस्त्र रिपेयरिंग लाइसेंस 2017 से नवीनीकृत नहीं किया गया था। नोटिस पर दुकान संचालक की ओर से संतोषजनक जवाब न मिलने पर दुकान को सील कर दिया गया।
जल्द ही रद्द किया जाएगा दुकान का लाइसेंस
कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने दुकान का लाइसेंस निलंबित करने का प्रस्ताव शासन को भेज दिया है। मंजूरी मिलते ही लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा। वहीं, दुकान संचालक अनस शाह ने इस कार्रवाई के खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। जिला प्रशासन ने वहां अपना जवाब भी दाखिल कर दिया है।
कुछ दिनों पहले रद्द किए कई लाइसेंस
खेल कोटे में मिलने वाले कारतूसों की कालाबाजारी सामने आने के बाद प्रशासन ने अपनी कार्रवाई तेज कर दी है। बता दें कि, भोपाल कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने पहले पांच आरोपियों के शस्त्र लाइसेंस निरस्त कर दिए थे। वहीं, 19 सितंबर को कलेक्टर ने 30 और आरोपियों के शस्त्र लाइसेंस निलंबित कर दिए। इनमें से सभी 30 लोगों के नाम आपको द सूत्र बता रहा है।
इनके लाइसेंस हुए निलंबित
- सैय्यद अयानुद्दीन
- फरहान उल हक
- अखिलेन्द्र सिंह और राजेन्द्र सिंह
- शफीक खान
- मारूफ मो. खान
- मोहम्मद जैद खान
- असलम परवेज
- आमिर खान
- सुवयबा बुखारी
- मुस्तफा अली खान
- कुमारी सानिया खान
- निशात खान
- फहीम हसन
- हसीब खान
- अब्दुल अली खान
- सैय्यद शारिक बुखारी
- नासिर सादब अकबर
- साद खान
- अरशद हसन खान
- हर्षित तिवारी
- सौरभ कुमार सिंह
- समीर खान
- कुमारी जुबिया खान
- आराश हुसैन
- उमर मोहम्मद खान
- सैय्यद नादिर हुसैन
- फैजान खान
- फैसल नईम
- अब्बास हसन खान
- साहिब उर रहमान
आर्म्स लाइसेंस निलंबित होने के क्या कारण हैं?
जानकारी के मुताबिक, आर्म्स लाइसेंस कैंसिल करने के पीछे कई कारण बताए गए हैं। इसमें लाइसेंसधारकों के पास शूटिंग वेपन का नहीं होना, शूटर होने का लाभ लेकर हथियारों की खरीद-बिक्री करना, आर्म्स लाइसेंस रिन्यूअल के समय क्रिमिनल केस के बारे में जानकारी नहीं देना, शूटिंग रेंज में अभ्यास का कोई प्रमाण नहीं होना और लंबे समय से राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में शामिल नहीं होना है।
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The Sootr की खबर का असरः भोपाल कारतूस केस में कलेक्टर का बड़ा एक्शन, 30 और लोगों के लाइसेंस निलंबित
खिलाड़ियों की ही किताब में दर्ज होती थी कारतूस की जानकारी, 77 लाइसेंसधारियों में 50 मुस्लिम
भोपाल कारतूस केस में एक्शन तेज, 5 लोगों के लाइसेंस सस्पेंड, अब शूटर्स की कुंडली खंगालेंगे अफसर
पहले किए थे 5 के लाइसेंस निलंबित
प्रशासन ने तय किया है कि जिन खिलाड़ियों का आपराधिक रिकॉर्ड मिलेगा, उनके लाइसेंस निरस्त किए जाएंगे। इसके लिए प्रशासन ने पुलिस, आबकारी और वन विभाग से शूटर्स का रिकॉर्ड मांगा था। इस क्रम में जिला प्रशासन ने कार्रवाई भी शुरू कर दी है।
भोपाल कलेक्टर के निर्देश पर पहले पांच लोगों के लाइसेंस रद्द किए गए थे। पहले 5 में शाहिद अहमद, शाहजेब अहमद, शफीक अहमद, शहरयार अहमद और सोहेल अहमद शामिल हैं। इन पर केस दर्ज है। भोपाल क्राइम ब्रांच ने पांचों पर 13 जुलाई 2025 को धारा 08/22 एनडीपीएस एक्ट में केस दर्ज कर प्रकरण जांच में लिया था। वहीं यह जानकारी सामने आने के बाद जिला प्रशासन ने इनके शस्त्र लाइसेंस निलंबित कर दिए थे। ये पांचों लोग एक ही परिवार के हैं।
ऐसे शुरू हुई कारतूसों की जांच
बता दें कि यह जांच, नेशनल और इंटरनेशनल टूर्नामेंट खेलने वाले शूटर्स के कारतूसों के हेरफेर की आशंका पर शुरू हुई थी। इसमें 80 रजिस्टर्ड शूटर्स में से 75 ने प्रशासन के सामने अपना रिकॉर्ड पेश किया था। पांच शूटर्स खुद पेश नहीं हुए, लेकिन उन्होंने रिकॉर्ड भेज दिए थे। जांच में हथियार बेचने वाली शाह आर्मरी की भी गड़बड़ियां सामने आई थीं। वहीं, प्रशासन ने डीलर का लाइसेंस निरस्त करने के लिए सरकार को चिट्ठी भी लिखी थी।
अब तक निगरानी नहीं हो रही थी
गौरतलब है कि भोपाल में हर साल तकरीबन 31 लाख कारतूस शूटर्स को जारी होते हैं। ये कारतूस खिलाड़ियों को प्रैक्टिस और प्रतियोगिता के नाम पर जारी किए जाते हैं, लेकिन उनका उपयोग कहां हुआ, इसका कोई पुख्ता रिकॉर्ड नहीं है। न कारतूसों के खोखों की गिनती हो रही है और न ही प्रैक्टिस का पूरा ब्यौरा लिया जा रहा है। इसी ढिलाई का नतीजा है कि लाखों कारतूस बाजार और अपराध जगत तक पहुंचने की आशंका है। मामले का खुलासा होने के बाद प्रशासन कार्रवाई कर रहा है।
कई के पास सेल्फ डिफेंस का लाइसेंस
जांच का दायरा जब बढ़ा तो तस्वीर और चौंकाने वाली सामने आई है। कई ऐसे खिलाड़ी मिले हैं, जिन्होंने मूल रूप से सेल्फ डिफेंस के नाम पर लाइसेंस लिया और बाद में खेल कोटे का फायदा उठाकर चार-चार हथियार तक जोड़ लिए। कई सालों से किसी टूर्नामेंट में हिस्सा न लेने के बावजूद इन खिलाड़ियों के पास स्पोर्ट्स कैटेगरी में हथियार और कारतूस दर्ज रहे। ऐसे भी मामले सामने आए जहां खिलाड़ी ने प्रतियोगिता खेली जरूर, लेकिन कारतूस खरीदने का कोई रिकॉर्ड नहीं दिखाया। साफ है कि खेल कैटेगरी का लाइसेंस यहां हथियार रखने और कारतूस खरीदने की खुली छूट बन चुका था।