भोपाल गैस त्रासदी: 40 साल बाद भी लंबित मुकदमे, हाईकोर्ट ने कहा-अब और देरी बर्दाश्त नहीं

एमपी हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस की बेंच ने भोपाल गैस त्रासदी के आपराधिक मामलों में लंबी देरी पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने चार दशकों से लंबित मुकदमों के त्वरित निपटारे की आवश्यकता पर जोर दिया।

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Neel Tiwari
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Photograph: (thesootr)

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मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस की डिविजनल बेंच ने भोपाल गैस त्रासदी से जुड़े आपराधिक मामलों की लंबी देरी पर गहरी नाराजगी जताई है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि चार दशकों से लंबित मुकदमों का निपटारा प्राथमिकता से किया जाना चाहिए। न्यायिक प्रक्रिया में हो रही देरी किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं की जाएगी।

जनहित याचिका पर हुई सुनवाई

यह मामला भोपाल गैस पीड़ित संघर्ष सहयोग समिति द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान सामने आया। याचिका में बताया गया कि MJC Criminal 91/1992 नामक आपराधिक मामला लगभग 33 साल से ट्रायल कोर्ट में लंबित है। इसके अलावा, 2010 से जिला जज की अदालत में कई आपराधिक अपीलें पेंडिंग हैं। याचिकाकर्ता का कहना है कि आरोपियों की उपस्थिति के बावजूद अब तक चार्जशीट दाखिल नहीं की गई, जिससे ट्रायल शुरू ही नहीं हो पाया।

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हाईकोर्ट ने दिए सख्त निर्देश

सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने बेहद सख्त रुख अपनाते हुए ट्रायल कोर्ट और जिला अदालतों को कई अहम निर्देश दिए है। कोर्ट ने सभी संबंधित अदालतों को निर्देश दिए हैं कि गैस त्रासदी से जुड़े मामलों को अन्य मामलों से ऊपर रखते हुए प्राथमिकता से सुना जाए। कोर्ट के आदेश के अनुसार संबंधित अदालतें हर महीने प्रगति रिपोर्ट तैयार कर हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को सौंपें। यह रिपोर्ट चीफ न्यायाधीश के समक्ष भी रखी जाएगी, ताकि निगरानी लगातार बनी रहे। कोर्ट ने कहा कि पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए अब और देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

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सरकार ने दी फरार आरोपियों की दलील 

सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से यह दलील दी गई कि मामले की जांच CBI कर रही है और कई आरोपी अभी भी फरार हैं। वहीं, कुछ आरोपियों को फरार घोषित कर Section 82 CrPC के तहत कार्यवाही की गई है। दूसरी ओर, याचिकाकर्ता ने कहा कि कई आरोपी पिछले दो साल से अदालत में उपस्थित हो रहे हैं, लेकिन न चार्जशीट दाखिल हुई और न ही सुनवाई शुरू हुई। उनका कहना था कि यह लापरवाही न सिर्फ न्याय प्रक्रिया को कमजोर करती है, बल्कि पीड़ितों के अधिकारों का भी हनन करती है।

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गैस त्रासदी मामले में अन्याय !

भोपाल गैस त्रासदी दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक मानी जाती है। लाखों लोग इसकी चपेट में आए और हजारों लोगों ने अपनी जान गंवाई। लेकिन, न्याय पाने की उम्मीद अब तक अधूरी है।पीड़ितों और उनके परिजनों के लिए यह इंतजार तकलीफदेह है। इसके साथ ही लगातार होती देरी न्यायिक प्रक्रिया पर सवाल खड़े करती है। हाईकोर्ट का यह आदेश पीड़ितों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है कि अब दोषियों को सजा दिलाने की दिशा में तेजी आएगी।

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हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब जल्द न्याय की उम्मीद

जबलपुर हाईकोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया है कि यह मामले अब लंबे समय तक लटके नहीं रह सकते। अदालतों को तय नहीं समयसीमा में रिपोर्ट सौंपने और प्राथमिकता से सुनवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। यदि सही तरह इन निर्देशों का पालन होता है, तो उम्मीद है कि गैस त्रासदी से जुड़े मुकदमों का निपटारा जल्द होगा और लंबे समय से न्याय की राह देख रहे पीड़ितों को राहत मिलेगी।

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