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Photograph: (THESOOTR)
BHOPAL. राजधानी भोपाल में नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता से जुड़ा विवाद अब नए मोड़ पर पहुंच गया है। राज्य साइबर सेल के निर्देश पर क्राइम ब्रांच ने उन कॉलेजों की गहन जांच शुरू कर दी है, जिन्होंने ऑनलाइन आवेदन के माध्यम से मान्यता प्राप्त की थी।
यह कार्रवाई भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (NSUI) के प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार की शिकायत के बाद शुरू हुई है। शिकायत में कई प्राइवेट नर्सिंग कॉलेजों पर फर्जी दस्तावेज और मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल करने के गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
फर्जी दस्तावेजों से मान्यता का आरोप
NSUI के अनुसार, कई निजी नर्सिंग कॉलेज खासकर एनआरआई नर्सिंग कॉलेज, भोपाल ने सत्र 2025–26 की मान्यता पाने के लिए फर्जी फैकल्टी लिस्ट और दस्तावेज जमा किए।
जांच में यह भी सामने आया कि कुछ कॉलेजों में जिन लोगों को शिक्षक या प्राचार्य दिखाया गया है। वास्तविकता में ये सभी विदेश में रहते हैं, लेकिन कागजों पर सक्रिय फैकल्टी के रूप में दर्ज हैं।
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NSUI ने दिए ठोस सबूत
रवि परमार ने बताया कि उन्होंने भोपाल नर्सिंग कॉलेज की जांच मामले में क्राइम ब्रांच को ठोस सबूत सौंपे हैं। इनमें कॉलेजों के ऑनलाइन आवेदन, फर्जी मोबाइल नंबरों और ईमेल आईडी के प्रमाण शामिल हैं। NSUI ने मांग की है कि इन सभी दस्तावेजों की साइबर फॉरेंसिक जांच कराई जाए ताकि जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई हो सके।
साइबर सेल ने दिए फॉरेंसिक जांच के निर्देश
राज्य साइबर सेल ने क्राइम ब्रांच को आदेश दिया है कि मध्य प्रदेश नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल (MPNRC) के पोर्टल पर जमा सभी आवेदनों की तकनीकी जांच की जाए। इसमें ईमेल, मोबाइल नंबर और डिजिटल दस्तावेजों का विश्लेषण किया जाएगा ताकि पता लगाया जा सके कि कहीं से डेटा मैनिपुलेशन या फर्जीवाड़ा तो नहीं हुआ है।
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पिछले साल के नर्सिंग महाघोटाले से जुड़ा मामला
यह पूरा प्रकरण पिछले साल सामने आए एमपी नर्सिंग कॉलेज घोटाला से जुड़ा बताया जा रहा है। तब CBI ने प्रदेश के 72 कॉलेजों को अनफिट घोषित किया था, लेकिन बाद में इंडियन नर्सिंग काउंसिल (INC) ने इनमें से कुछ को दोबारा मान्यता दे दी थी।
इसी क्रम में भोपाल के 29 नर्सिंग कॉलेजों को जनवरी 2025 में मान्यता मिली थी। अब NSUI ने आरोप लगाया है कि इस प्रक्रिया में देरी, गड़बड़ी और राजनीतिक दबाव की भूमिका रही है।
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शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल
नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता को लेकर उठे इस नए विवाद ने प्रदेश सरकार और शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
अब यह देखना होगा कि साइबर सेल और क्राइम ब्रांच की जांच के बाद किन कॉलेजों पर कार्रवाई होती है और क्या यह नया खुलासा पुराने घोटाले की कड़ियों को जोड़ पाएगा।
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