भोपाल के 90 डिग्री वाले आरओबी की जांच के लिए समिति गठित, रिपोर्ट के बाद होगा फैसला

भोपाल में बने रेलवे ओवरब्रिज में 90 डिग्री के अजीबोगरीब मोड़ को लेकर विवाद जारी है। अब लोक निर्माण विभाग ने सुधार के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए समिति गठित की है।

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Amresh Kushwaha
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भोपाल में ऐशबाग स्टेडियम के पास बने रेलवे ओवरब्रिज (ROB) को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। बता दें यह विवाद ब्रिज के 90 डिग्री के अजीबोगरीब मोड़ को लेकर है। पुल के डिजाइन और निर्माण को लेकर लोग इसकी आलोचना कर रहे हैं। वहीं सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर बहस जारी है। राज्य सरकार ने इस मामले की जांच के लिए एक समिति गठित की है। जो इस पुल के सुधार के लिए आवश्यक कदम उठाने पर विचार करेंगे।

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दो चीफ इंजीनियर्स की समिति गठित 

लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने इस विवाद पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस समस्या को गंभीरता से लिया है। राकेश सिंह ने बताया कि दो चीफ इंजीनियर्स की एक समिति गठित की गई है। जो इस पुल के डिजाइन पर पुनः विचार करेगी और सुधार के लिए आवश्यक कदम उठाएगी। यह समिति रेलवे और अन्य संबंधित विभागों से भी चर्चा करेगी और जल्द ही पुल के सुधार के लिए आवश्यक निर्णय लिए जाएंगे। मंत्री ने कहा, हमारी प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि यह पुल सुरक्षित और दुर्घटना रहित हो।

ब्रिज के अजीबोगरीब मोड़ पर विवाद

भोपाल में इस ओवरब्रिज के निर्माण पर 18 करोड़ रुपए की लागत आई है। पुल की लंबाई 648 मीटर और चौड़ाई 8.5 मीटर है। लेकिन इसमें एक 90 डिग्री का मोड़ है, जो सड़क परिवहन के लिहाज से खतरनाक हो सकता है। इस मोड़ को लेकर नागरिकों और स्थानीय लोगों में आक्रोश है। यह मोड़ वाहनों की गति और सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है। कई सोशल मीडिया यूजर ने इस मोड़ को अजीब बताया है।

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जमीन के अभाव में बना 90 डिग्री मोड़

राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) की एक टीम ने इस पुल का परीक्षण किया। टीम ने पाया कि इसका अजीबोगरीब मोड़ जमीन की अभाव के कारण बना है। पुल का निर्माण रेलवे की जमीन पर किया गया है। मेट्रो स्टेशन के कारण इस क्षेत्र में भूमि की कमी थी। अधिकारियों का कहना है कि जमीन कम होने के कारण इस मोड़ को बनाना पड़ा।

ओवरब्रिज को लेकर सरकार का दावा

पुल का निर्माण इस उद्देश्य से किया गया था कि ऐशबाग क्षेत्र के लोग अब रेलवे क्रॉसिंग पर लंबा इंतजार नहीं करेंगे। उन्हें अब लंबा चक्कर भी नहीं लगाना पड़ेगा। सरकार का दावा था कि इस ओवरब्रिज के बनने से प्रतिदिन लगभग तीन लाख लोगों को राहत मिलेगी और यातायात में सुधार होगा। पुल से महामाई बाग और पुष्पा नगर जैसे इलाकों के लोग आसानी से आवाजाही कर सकेंगे।

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रेलवे से की अतिरिक्त भूमि की मांग

पुल के डिजाइन पर विवाद उठने के बाद लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने अपनी स्थिति स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि इस ओवरब्रिज को रेलवे की भूमि पर बनाया गया है। मेट्रो स्टेशन के कारण यहां भूमि की उपलब्धता सीमित थी। सूत्रों के अनुसार, लोक निर्माण विभाग ने इस पुल की खामी को सुधारने के लिए रेलवे से कुछ अतिरिक्त भूमि की मांग की है। रेलवे के प्रवक्ता नवल अग्रवाल ने इस पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि अगर लोक निर्माण विभाग औपचारिक रूप से इस बारे में प्रस्ताव भेजता है तो इस पर विचार किया जाएगा।

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