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MP News : भोपाल के बाणगंगा क्षेत्र में 12 मई को हुए भीषण स्कूल बस हादसे ने प्रशासन, शिक्षा संस्थानों और ट्रैफिक नियमों की लापरवाहियों को उजागर कर दिया है। डॉक्टर आयशा की मौत के बाद जो खुलासे हुए हैं, वे चौंकाने वाले हैं।
पुलिस ने आरोपी ड्राइवर विशाल बैरागी को दिल्लौद गांव से गिरफ्तार किया। पूछताछ में उसने कबूला कि वह रविवार को करीब 30 बारातियों को लेकर कोलार पहुंचा था। सोमवार सुबह वापस लौटते समय, पीतल मंदिर के पास घाटी पर बस के ब्रेक फेल हो गए और बस ने एक के बाद एक आठ वाहनों को टक्कर मार दी। ड्राइवर ने दावा किया कि उसने लोगों को हटने की आवाजें लगाई थीं, लेकिन रेड सिग्नल की वजह से कोई नहीं हट सका।
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आयशा 50 फीट तक घिसटती रहीं
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, डॉ. आयशा की स्कूटी बस के आगे फंस गई और वह करीब 50 फीट तक घिसटती रहीं। आखिरकार वह बस के अगले पहिए के नीचे आ गईं, जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई। इस दर्दनाक हादसे का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है।
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स्कूल को फर्जी दस्तावेजों से बचने की कोशिश
टीटी नगर पुलिस की जांच में यह सामने आया कि इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल ने हादसे के बाद बैकडेट में दस्तावेज तैयार कराए। दस्तावेजों में प्रवेश नागर को क्रेता और प्रदीप पांडे को विक्रेता दिखाया गया। इस फर्जीवाड़े को आधार मानकर पुलिस ने बीएनएस की धाराओंके तहत केस दर्ज कर दोनों को गिरफ्तार कर लिया।
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बस का न फिटनेस था, न बीमा, अधिकारी सस्पेंड
जांच में यह स्पष्ट हुआ कि बस का फिटनेस नवंबर 2024 में ही समाप्त हो गया था और बीमा भी अपडेट नहीं था। इसके बावजूद बस को सडक़ों पर दौड़ाया जा रहा था। इस लापरवाही के चलते भोपाल आरटीओ जितेंद्र शर्मा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया।
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स्कूल समिति भी जांच के घेरे में
श्रीनंदा एजुकेशन वेलफेयर सोसाइटी के खिलाफ भी केस दर्ज हुआ है। समिति में कुल 8 सदस्य हैं, जिनमें से सभी की भूमिका की पुलिस द्वारा जांच की जा रही है। यदि यह सिद्ध होता है कि बस की बिक्री में सभी की सहमति थी, तो सभी को आरोपी बनाया जाएगा।
ब्रेक फेल होने के चलते हुआ हादसा