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मध्य प्रदेश शैक्षणिक संस्था वाहन समन्वय समिति ने एक अहम फैसला लिया है। समिति ने 12 साल से पुरानी स्कूल और कॉलेज बसों पर रोक लगाने का फैसला किया है। इस फैसले के बाद अगले हफ्ते प्रदेश भर में करीब 5 हजार बसों के पहिए थम सकते हैं। यह फैसला हाईकोर्ट की इंदौर बेंच द्वारा जारी आदेश के बाद लिया गया है, जिसमें 12 साल से पुरानी बसों को चलाने पर रोक लगाने की बात कही गई थी।
20 हजार बसों में 5 हजार बसें पुरानी
राज्यभर में कुल 20 हजार स्कूली बसें चल रही हैं, जिनमें से करीब 5 हजार बसें ऐसी हैं जो 12 साल से अधिक पुरानी हैं। इनमें से अधिकतर बसों में एसी भी हैं। राजधानी भोपाल में करीब 400 बसें इस आदेश के दायरे में आ सकती हैं, जिनमें स्कूलों में बच्चों को लाने-ले जाने का काम किया जाता है।
समन्वय समिति का निर्देश
हाईकोर्ट के आदेश का पालन सुनिश्चित करने के लिए शैक्षणिक संस्था वाहन समन्वय समिति ने सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे जल्द से जल्द इन बसों की जांच करें और जिनकी उम्र 12 साल से अधिक है, उन्हें चलने से रोका जाए। समिति का कहना है कि बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया है, ताकि स्कूलों में इस्तेमाल हो रही बसों की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
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सुरक्षा को ध्यान पर रखते हुए कदम
यह आदेश लागू होने से न केवल स्कूलों में बच्चों की यात्रा की सुरक्षा बढ़ेगी, बल्कि सड़क पर चलने वाली पुरानी बसों के कारण होने वाले दुर्घटनाओं को भी रोका जा सकेगा। समिति ने यह भी कहा है कि जो स्कूलों के वाहन इन नियमों का पालन नहीं करेंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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कुछ स्कूलों की क्या है चिंता?
इस फैसले के बाद, स्कूलों और परिवहन विभाग को इस आदेश को लागू करने के लिए गंभीरता से काम करना होगा। वहीं कुछ स्कूलों में इसे लेकर चिंताएं भी व्यक्त की जा रही हैं, क्योंकि इस फैसले के लागू होने से उन्हें नए वाहनों की व्यवस्था करनी होगी, जो एक अतिरिक्त खर्च हो सकता है।
हालांकि, यह कदम मध्य प्रदेश में स्कूली परिवहन की सुरक्षा को प्राथमिकता देने के लिए जरूरी माना जा रहा है और इसका उद्देश्य बच्चों की यात्रा को अधिक सुरक्षित और संरक्षित बनाना है।
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