अधिकारियों की मिलीभगत से निजी हो गई 400 एकड़ जमीन, करोड़ों का है खेल!

2002 में हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद भोपाल के 5 गांवों में 149 मामलों में गलत नामांतरण किए गए। इस मामले की शिकायत लोकायुक्त में की गई थी, लेकिन इसे 18 दिन में नस्तीबद्ध कर दिया गया।

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Sandeep Kumar
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भोपाल में शत्रु संपत्ति घोटाले का खुलासा हुआ है। जिसमें 400 एकड़ से ज्यादा जमीन की हेराफेरी की गई। सामाजिक कार्यकर्ता अमिताभ अग्निहोत्री ने माला श्रीवास्तव की हाईकोर्ट रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि नवाब परिवार से जुड़ी कई संपत्तियां असल में शत्रु संपत्ति थीं, जिन्हें राजस्व अधिकारियों ने गलत तरीके से निजी बना दिया।

2002 में हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद 5 गांवों में 149 मामलों में गलत नामांतरण किए गए। लोकायुक्त में शिकायत होने पर भी मामला 18 दिन में नस्तीबद्ध कर दिया गया। नवाब परिवार की संपत्तियों के नामांतरण की जांच में 1949 में सरकारी संपत्ति बने जमीनों को 1950 में बेगम आफताब जहां के नाम दर्ज कर दिया गया और बाद में उन्हें बेच दिया गया।

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नवाब परिवार की 1395 एकड़ की निजी संपत्ति

रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि नवाब परिवार के पास 1395 एकड़ की निजी संपत्ति थी, लेकिन 1984.13 एकड़ जमीन 9 अन्य गांवों में भी उनके नाम पर दर्ज की गई, जो मर्जर एग्रीमेंट का हिस्सा नहीं थी। यह जमीन आखिरकार निजी कैसे हो गई? रिपोर्ट में इस सवाल का जवाब नहीं मिल पाया है।

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शत्रु संपत्ति बनी निजी संपत्ति

2002 में हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद भोपाल के 5 गांवों में 149 मामलों में गलत नामांतरण किए गए। इस मामले की शिकायत लोकायुक्त में की गई थी, लेकिन इसे 18 दिन में नस्तीबद्ध कर दिया गया। रिपोर्ट के मुताबिक, नवाब हमीदुल्लाह खान, बेगम आफताब जहां और उनकी बेटी आबिदा सुल्तान के नाम पर दर्ज कई जमीनें असल में शत्रु संपत्ति थीं, जिन्हें रिकॉर्ड में हेरफेर कर निजी बना दिया गया।

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शत्रु संपत्ति में राजस्व अधिकारियों ने की हेराफेरी

1949 में भोपाल रियासत के भारत में विलय के बाद ये जमीनें सरकारी संपत्ति बन गई थीं, लेकिन 1950 में इन्हें बेगम आफताब जहां के नाम दर्ज कर दिया गया और बाद में निजी लोगों को बेच दी गईं। 2017 में तत्कालीन कलेक्टर सुदाम खाड़े ने अपनी रिपोर्ट में 149 खसरों पर राजस्व अधिकारियों द्वारा हेराफेरी किए जाने की जानकारी दी थी।

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माला श्रीवास्तव की रिपोर्ट में ये हुए खुलासे

1.1937 के हुकुक रजिस्टर में छेड़छाड़ के सबूत मिले, जिससे रिकॉर्ड की सत्यता संदिग्ध हुई ।
2. नगर निगम की लापरवाही: विवादित जमीनों पर निर्माण की अनुमति दी गई, लेकिन सरकार ने ठोस कार्रवाई नहीं की।

3. ग्राम बेहटा (30.55 एकड़): बेगम आफताब जहां ने गृह निर्माण समिति को बेची, जबकि रिकॉर्ड में सरकारी संपत्ति थी।  हलालपुरा (68.53 एकड़), बोरवान (102.35 एकड़), लौखेड़ी (123.41 एकड़), भोपाल शहर (255.45 एकड़): 1959 से नवाब परिवार के नाम दर्ज, जबकि ये निजी संपत्ति नहीं थीं।

4. राजस्व रिकॉर्ड में हेरफेर: तहसील हुजूर के म्यूटेशन रजिस्टर में बार-बार मालिकाना हक बदला गया।

क्या है शत्रु संपत्ति

शत्रु संपत्ति का मतलब है, वे संपत्तियां जो युद्ध या तनाव के समय भारत छोड़कर पाकिस्तान या चीन जैसे देशों में चले गए लोग छोड़ जाते हैं।  इन संपत्तियों को भारत के लिए संभावित खतरा माना जाता है। 

शत्रु संपत्ति से जुड़ी कुछ खास बातें

1.इस अधिनियम के तहत, सरकार को शत्रु संपत्तियों का प्रबंधन और अभिरक्षा करने का अधिकार है।  
2. शत्रु संपत्ति अधिनियम में, शत्रु संपत्ति को किसी शत्रु, शत्रु आश्रित, या शत्रु फ़र्म की ओर से प्रबंधित या धारित संपत्ति के रूप में परिभाषित किया गया है।  

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