भोपाल के नवाब हमीदुल्ला खान की ओर से औकाफ-ए-शाही के तहत घोषित की गईं कई वक्फ संपत्तियां शत्रु संपत्ति की श्रेणी में आ सकती हैं। इनमें जामा मस्जिद, लंगर खाना, मक्का-मदीना की रुबात, 17 मस्जिदें और सैकड़ों एकड़ जमीन शामिल हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय की शत्रु संपत्ति कार्यालय की टीम इन संपत्तियों का आकलन कर रही है।
निजी संपत्तियों का वक्फ में बदला
नवाब हमीदुल्ला खान ने मर्जर एग्रीमेंट के दौरान अपनी कई निजी संपत्तियों को वक्फ संपत्तियों के रूप में घोषित किया था। इन संपत्तियों का इस्तेमाल प्रशासन नवाब के परिवार द्वारा किया जाता रहा है।
शत्रु संपत्ति बनने की पृष्ठभूमि
नवाब हमीदुल्ला खान की मौत के बाद उनकी बड़ी बेटी आबिदा सुल्तान उनकी संपत्तियों की उत्तराधिकारी बन गई थीं, लेकिन आबिदा सुल्तान के पाकिस्तान की नागरिकता लेने के कारण उनकी संपत्तियों को शत्रु संपत्ति घोषित करने का आधार बनता है। भारत सरकार ने 1962 में बेगम साजिदा सुल्तान को भोपाल की उत्तराधिकारी घोषित किया था। वहीं, भारत, पाकिस्तान और यूनाइटेड किंगडम में स्थित नवाब की संपत्तियों का अलग-अलग प्रबंधन किया गया है।
वर्तमान स्थिति और जांच
केंद्रीय गृह मंत्रालय की टीम ने भोपाल में संपत्तियों के प्रबंधन, किराएदारों, और वर्तमान कब्जों की स्थिति की जांच शुरू की है। यह भी देखा जा रहा है कि औकाफ-ए-शाही संपत्तियों में किसी प्रकार की अनियमितता तो नहीं हुई। 90% वक्फ भूमि पर अवैध कब्जे और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर खरीद-फरोख्त की घटनाएं सामने आई हैं।
घर बचाओ संघर्ष समिति का हस्तक्षेप
घर बचाओ संघर्ष समिति ने शत्रु संपत्ति कार्यालय से दुकानदारों से किराए की वसूली रोकने की मांग की है। उन्होंने स्पष्टता मांगी है कि किराया किस खाते में जमा किया जाए और संपत्तियों का हस्तांतरण कैसे होगा। वहीं मक्का स्थित रुबात का प्रबंधन औकाफ-ए-शाही के पास है, जबकि मदीना की रुबात अब सऊदी अरब सरकार के नियंत्रण में है। भोपाल की 1 हजार 500 करोड़ रुपए की वक्फ संपत्तियां शत्रु संपत्ति घोषित हो सकती हैं। इन संपत्तियों के प्रबंधन, उपयोग, और अतिक्रमण की स्थिति को लेकर गहन जांच जारी है।
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