2017 में मध्यप्रदेश के शाजापुर जिले के पास भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन में हुआ धमाका एक बहुचर्चित मामला बन गया। इस धमाके में दो लोग गंभीर रूप से घायल हुए और 11 अन्य को चोटें आईं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने इस मामले में कई धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया, जिनमें विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, रेलवे अधिनियम, गैरकानूनी गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम समेत कई कड़ी धाराएं शामिल हैं।
नाबालिक को वयस्क की तरह ही माना जाए: कोर्ट
भोपाल की जिला अदालत ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट से यह पूछने पर कि 17 साल के नाबालिग आरोपी का मुकदमा जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में चले या विशेष अदालत में, हाईकोर्ट ने जुवेनाइल कोर्ट में ट्रायल करने का आदेश दिया। हालांकि, आरोपी की मानसिक और शारीरिक परिपक्वता को देखते हुए उसे वयस्क की तरह ही माना जाएगा।
ये खबरें भी पढ़ें...
MP में खुलेंगे 27 नए नर्सिंग कॉलेज, जानें क्या होंगे आवेदन के नए नियम
CM मोहन यादव ने की ऐतिहासिक घोषणा, चार शहरों को मिलाकर बनेगा महानगर
न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी की टिप्पणी
कोर्ट ने कहा कि कानून के अनुसार नाबालिगों का ट्रायल जुवेनाइल कोर्ट में होता है, लेकिन इस मामले में आरोपी की परिपक्वता को देखते हुए ट्रायल उसी कोर्ट में वयस्क की तरह चलेगा। इस तरह का फैसला दुर्लभ है और न्यायालय ने इस पर विशेष ध्यान दिया।
ये था मामला...
- धमाका शाजापुर के पास हुआ था।
- एनआईए ने इस केस में धारा 120-बी (साजिश), 122 (राष्ट्रीय सुरक्षा), 307 (हत्या का प्रयास), 326, 324 (गंभीर चोट), विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की धारा 3/4, रेलवे अधिनियम की धारा 150, 151 और अन्य कड़ी धाराएं लगाई हैं।
- केस में जांच और गहन प्रक्रिया जारी है।
जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड की भूमिका
जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (JJB) नाबालिग अपराधियों के लिए विशेष न्यायिक संस्थान है जो उनकी उम्र, मानसिक स्थिति और पुनर्वास की संभावना को ध्यान में रखकर फैसले देता है।
ये खबरें भी पढ़ें...
NEET PG 2025 : सुप्रीम कोर्ट का सख्त आदेश, अब मेडिकल कॉलेजों को देनी होगी फीस की डीटेल
तलवार तैयार है, अब महासंग्राम होगा... BJP विधायक अम्बरीश शर्मा के बयान से सियासी भूचाल
वयस्क मानकर ट्रायल की विशेषता
इस केस में 17 वर्षीय आरोपी को जुवेनाइल बोर्ड में रखा जाएगा, लेकिन उसे वयस्क की तरह ही ट्रायल दिया जाएगा, जो गंभीर अपराधों के मामलों में किया जाता है। इसका उद्देश्य न्याय के साथ समाज की सुरक्षा को भी सुनिश्चित करना है।
समाज और कानून दोनों की सुरक्षा का संतुलन
भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ब्लास्ट मामले में जबलपुर हाईकोर्ट का यह फैसला नाबालिग आरोपी के पुनर्वास और न्याय प्रणाली की संवेदनशीलता को दर्शाता है। वयस्क की तरह ट्रायल करने का फैसला इस गंभीर मामले में समाज और कानून दोनों की सुरक्षा का संतुलन बनाने की कोशिश है।
भोपाल-उज्जैन ट्रेन ब्लास्ट मामला | जस्टिस जुवेनाइल कमेटी