विजय माल्या की कंपनी पर मेहरबानी: भोपाल में सरकारी जमीन का खेल

शराब कंपनी से जुड़ी माल्या की लीज भूमि को नियमों को नजरअंदाज कर बेचा गया। विभागीय अफसरों की मिलीभगत सामने आई। कंपनी की कार्रवाई में नियमों का उल्लंघन किया गया।

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Ravi Awasthi
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Favor to Vijay Mallya's company Government land game in Bhopal

Photograph: (the sootr)

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BHOPAL. गोविंदपुरा इंडस्ट्रियल एरिया में भगोड़े लिकर किंग विजय माल्या से जुड़ी कंपनी को आवंटित साढ़े तीन एकड़ जमीन बिकवाने में नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई गई। इस मामले में न सिर्फ ​लीज नियमों को अनदेखा किया गया,बल्कि पर्यावरण से जुड़े अहम मामले भी नजर अंदाज हुए।

एक जमाने में भारत के लिकर किंग रहे माल्या की शराब कंपनी शॉ वालेज पर सूक्ष्म,लघु व मध्यम उद्योग विभाग के अफसरों की दरियादिली चर्चा में है। एक दिन पहले ही एमएसएमई मंत्री चैतन्य काश्यप ने द सूत्र के इस मामले का खुलासा किए जाने पर जांच कराए जाने की बात कही। 

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अफसरों ने विभागीय रिपोर्ट को भी किया अनदेखा

विभाग के जिम्मेदार अफसरों ने न सिर्फ 16 साल पहले निरस्त लीज की बहाली में दिलचस्पी ली,बल्कि बहाली के चंद माह बाद ही इसे बिकवाने में कंपनी को भरपूर सहयोग किया। इसका खुलासा अपील प्रकरण के मिनट्स से होता है। 
सूत्रों के अनुसार,औद्योगिक क्षेत्र की लीज वाली जमीन को सिर्फ तब ही बेचा जा सकता है।

जब संबंधित निवेशक ने कुल निवेश की करीब 50 फीसदी राशि उद्योग की स्थापना में खर्च की हो। मे.शॉ वालेज और बाद में मे.यूनाइटेड स्प्रिट्स हुई इस कंपनी से जुड़े अपील केस में दर्ज दस्तावेज कुछ और ही तस्वीर बयां करते हैं। 

प्रकरण को लेकर साल 2007 से 2015 तक दो बार और इसके बाद साल 2023 में अंतिम सुनवाई हुई। प्रकरण से जुड़े दस्तावेजों में इस बात का साफ तौर पर जिक्र है कि मौके पर कंपनी का उत्पादन लंबे समय से बंद था। मौके पर कई बार सिर्फ दो चौकीदार मिले।

जहां तक निवेश की बात है तो कंपनी ने ही अपने एक बयान में कहा कि शराब बॉ​टलिंग प्लांट की ​स्थापना में उसने सिर्फ 65 लाख की मशीनरी लगाई। अन्य मशीनों की स्थापना भविष्य में किए जाने का जिक्र भी इसमें हैं। कंपनी की ओर से उद्योग में सिर्फ 50 लोगों को रोजगार देने की बात भी कही।

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किराए पर हो रहा था ज्यादातर काम

विभागीय निरीक्षण रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि कंपनी में मौके पर पुरानी शराब बॉटल्स की धुलाई का काम किराए पर ​कराया जा रहा है। कई बार तो निरीक्षण के दौरान यूनिट बंद व मौके पर कंपनी के प्रति​निधियों के नहीं मिलने से निरीक्षण नहीं हो सकने की बात भी रिपोर्ट में कही गई। बावजूद इन तथ्यों को नजरअंदाज करते हुए विभाग ने 18 साल पहले निरस्त लीज को बहाल कर कंपनी की राह आसान कर दी।

तीन माह बाद ही जमीन बेचने का खेल शुरू

लीज बहाली के तीन माह बाद ही शराब कंपनी ने लीज की जमीन को बेचने की प्रक्रिया शुरू कर दी। इस काम में ​उद्योग विभाग के अफसरों का भी पूरा सहयोग उसे मिला। इसका आकलन इस बात से किया जा सकता है कि 4 जनवरी 2024 को शराब कंपनी की ओर से एक सादा आवेदन जिला उद्योग केंद्र भोपाल के तत्कालीन महाप्रबंधक कैलाश मानेकर को दिया गया। 

औपचारिकता पूरी करने चंद मिनट बाद ही थमाया जवाबी पत्र

महाप्रबंधक मानेकर ने भी देर नहीं की और चंद मिनट बाद ही कंपनी को जवाबी पत्र देकर शेष औपचारिकताएं पूरी करने का सुझाव दे डाला। इसके बाद,एक पखवाड़े में ही जमीन की नई लीज,​रजिस्ट्री भोपाल की एक लोकल फर्म के नाम हो गई। इस फर्म ने भी देर नहीं की। इसने अपनी माली हालत का हवाला देकर एक अन्य फर्म को जमीन का बड़ा हिस्सा बेच दिया। इन तमाम कामों में उद्योग विभाग के जिम्मेदार अफसरों ने बढ़ चढ़कर क्रेता,विक्रेता की मदद की।

मल्टी स्टोरीज काम्पलेक्स के लिए मिलती जगह

एमएसएमई विभाग गोविंदपुरा औद्योगिक क्षेत्र में 105 ब्लॉक्स का बहुमंजिला भवन तैयार करा रहा है। इसके लिए जगह तलाशने में उसे कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। जबकि यूनाईटेड स्प्रिटस कंपनी केस में तत्कालीन महाप्रबंधक संजय पाठक ने साल 2014 में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा था कि शराब कंपनी को भूखंड क्रमांक 111 की 60 हजार वर्गफीट जमीन ट्रीटमेंट प्लांट व पौधरोपण के लिए आंवटित की गई।

लेकिन कंपनी की ओर से यह दोनों ही काम नहीं किए गए। पाठक ने रिपोर्ट में आगे कहा कि यदि इस जमीन को वापस लिया जाता है तो इसे फ्लैटेड इंडस्ट्रीज की तौर पर विकसित किया जा सकता है।

जमीन बेचने 50 परसेंट निवेश जरूरी: आयुक्त

मामले की जांच के बाद द सूत्र ने एमएसएमई ​आयुक्त दिलीप कुमार से लीज वाली जमीन के विक्रय संबंधी नियमों को लेकर जाना। ​आयुक्त ने कहा कि यह तब ही संभव है जब लीज धारक कंपनी ने ब्रेवरीज कंपनी की स्थापना 
की कुल लागत का करीब 50 फीसद निवेश कर लिया हो और उसकी इकाई चालू हालत में हो।

ज्ञातव्य हो कि सितंबर 2023 में की गई लीज बहाली व जमीन विक्रय के दौरान कंपनी इन दोनों ही शर्तों पर खरी नहीं थी। बावजूद इसके विभाग ने उसे जमीन बेचने की अनुमति दी। इसे लेकर विभाग के अधिकारी अब दबी जुबान में कह रहे हैं कि हो सकता है,उस समय कुछ विशेष परिस्थितियां पैदा हुई हों।

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जमीन खुर्द-बुर्द होने की टाइम लाइन काबिल-ए-गौर

शराब कंपनी की लीज बहाली व जमीन के विक्रय की टाइम लाइन काबिले गौर है।

  • साल 2007 में निरस्त लीज को 28 अगस्त 2023 को बहाल किया गया। तब सरकार चुनाव मोड में थी।
  • इस फैसले के करीब सवा माह बाद ही यानी 9 अक्टूबर 2023 को विधानसभा चुनाव घोषित हो गए।
  • 13 दिसंबर 2023 को प्रदेश में नई सरकार बनी। प्रदेश का मुखिया बदला।
  • नई सरकार अपना कामकाज ठीक तरह से शुरू कर पाती है,इससे पहले ही 4जनवरी 2024 को यानी सरकार बनने के करीब 20 दिन बाद ही लीज पुन: हासिल कर चुकी कंपनी ने जमीन को बेचने का आवेदन दिया। 
  • जमीन विक्रय का आवेदन मिलने के चंद मिनट बाद ही यानी 4 जनवरी को ही जिला महाप्रबंधक ने कंपनी को विक्रय के लिए शेष औपचारिकताएं पूरी करने जरूरी दस्तावेजों की मांग वाला पत्र सौंपा।
  • करीब एक पखवाड़े में जमीन की रजिस्ट्री व लीज भोपाल की हर्ष पैकेजिंग के  नाम हो गई।
  • अगले महीने यानी फरवरी 2024 में हर्ष पैकेजिंग ने गुरुकृपा फर्म को जमीन का एक बड़ा हिस्सा बेच दिया।  
  • इस तरह,शराब कंपनी को गोविंदपुरा के भूखंड क्रमांक 68 से 70,73 ए,73बी व 74 और 111 की करीब 1 लाख45 हजार 200 वर्गफीट (3.44 एकड़) जमीन एक नहीं दो बार बिक गई।
विजय माल्या जिला उद्योग केंद्र गोविंदपुरा इंडस्ट्रियल एरिया लिकर किंग विजय माल्या एमएसएमई मंत्री चैतन्य काश्यप
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