BHOPAL. गैस त्रासदी की चपेट में आए मोहल्लों का निरीक्षण करने शुक्रवार को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण का दल मौके पर पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट की निगरानी समिति के आदेश पर पहुंचे विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव सुनित अग्रवाल के मार्गदर्शन में पहुंचे दल ने पहले दिन 19 बस्तियों का मुआयना किया। ये सभी बस्तियां यूनियन कार्बाइड परिसर से सटी हुई हैं। इन मोहल्लों में प्रदूषित पेयजल की शिकायतें पहुंचने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण की स्थिति का आंकलन और प्रदूषणमुक्त पेयजल उपलब्ध कराने हाईकोर्ट जज की अध्यक्षता में समिति का गठन किया है। बस्तियों के निरीक्षण दल द्वारा तैयार रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट की निगरानी समिति के समक्ष पेश किया जाएगा।
भोपाल में साल 1984 में यूनियन कार्बाइड कैंपस के टैंक से मिथाइल आइसोसाइनेट गैस के रिसाव से हजारों की मौत हुई थी। गैस के प्रभाव से हजारों लोगों में शारीरिक और मानसिक विकृतियां भी आ गई हैं। गैस के रिसाव के कारण यूका के आसपास की जमीन और भूमिगत जल स्त्रोत भी प्रदूषित हो चुके हैं। काबाईड दुर्घटना के कारण इस क्षेत्र की जमीन में हैवी मैटल, जहरीले रसायन, आर्गेनिक पॉल्युटेंट मिल गए हैं। कारखाने के आसपास स्थित करीब 42 बस्तियों को इन जहरीले तत्वों से प्रदूषित पाया गया है। साल 2004 में गैस पीड़ितों के हक में आवाज उठाने वाले संगठनों की कोशिशों के बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा इन मोहल्लों में साफ और प्रदूषणमुक्त पानी मुहैया कराने के आदेश जारी किए गए थे।
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अब भी प्रदूषित पानी पीने मजबूर
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सीकोलॉजिकल रिसर्च की साल 2012 में तैयार की गई रिपोर्ट में भी यूनियन कार्बाइड के आसपास की दो दर्जन से ज्यादा बस्तियों में जहरीले पानी के उपयोग की पुष्टि की गई थी। यानी यूनियन कार्बाइड परिसर के आसपास की बस्तियां अब भी लगातार दूषित पानी की चपेट में आ रही हैं। वहीं सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी नगर निगम इन बसाहटों में रहने वाले लाखों परिवारों को स्वच्छ और प्रदूषण रहित पानी दैनिक उपयोग के लिए मुहैया नहीं करा पा रहा है। इस स्थिति के चलते सुप्रीम कोर्ट ने इन बस्तियों में होने वाली जलापूर्ति की रिपोर्ट हर तीन माह में सार्वजनिक करने का आदेश दे चुका है।
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जायजा लेने पहुंची निगरानी समिति
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गैस त्रासदी प्रभावित बस्तियों की निगरानी के लिए राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण अध्यक्ष के मार्गदर्शन में समिति गठित है। इस समिति में हाईकोर्ट जज के अलावा गैस राहत आयुक्त, नगर निगम आयुक्त, जल प्रदाय शाखा के इंजीनियर, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी और गैस पीड़ितों के लिए काम कर रहे भोपाल ग्रुप फॉर इंफार्मेशन एंड एक्शन के सदस्य भी शामिल हैं। समिति ने शुक्रवार को चिन्हित 42 बस्तियों में से 14 का जायजा लिया। इस दौरान स्थानीय लोगों ने अन्नू नगर, आरिफ नगर में दूषित पेयजल के साक्ष्य समिति के सामने पेश किए। वहीं प्रेमनगर, शिवशक्तिनगर, शिव नगर और अन्य कॉलोनियों में भी क्षतिग्रस्त पाइपों के कारण पेयजल प्रदूषित होने के बारे में बताया।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अनदेखी
गैस पीड़ित रहवासियों ने निगरानी दल को नगर निगम के बेरुखी की शिकायत की। उनका कहना था सुप्रीम कोर्ट सभी चिन्हित बस्तियों में नए सिरे से नल कनेक्शन देकर साफ_स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने का आदेश दे चुका है। लेकिन अब भी 42 मोहल्लों की 70 फीसदी से ज्यादा आबादी प्रदूषित पानी पीने को मजबूर है। इस वजह से इन बस्तियों के रहवासी बीमारियों की चपेट में बने रहते हैं।
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