संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर विकास प्राधिकरण ( IDA ) को हाई कोर्ट से जोरदार झटका लगा है। इंदौर विकास प्राधिकरण को ये झटका एक-दो या सौ करोड़ का नहीं आठ सौ करोड़ रुपए से ज्यादा का लगा है। आईडीए की स्कीम 114 पार्ट वन व टू में अधिग्रहित की गई 8 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण हाईकोर्ट इंदौर डबल बैंच ने खारिज कर दिया है।
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इस आधार पर हुआ फैसला
याचिकाकर्ता मूल भू स्वामियों की ओर से इस अधिग्रहण के खिलाफ याचिका लगाई गई थी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिनव मल्होत्रा के अनुसार आईडीए द्वारा जमीन मालिकों को सुने बिना ही जमीन अधिग्रहण किया गया। इसके लिए आईडीए ने धारा 17 का उपयोग किया। यह धारा कहती है कि जरूरी काम इमरजेंसी के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया बिना जमीन मालिकों को सुने आईडीए सीधे ले सकता है। वहीं इस जमीन का 6 साल से आईडीए ने कोई उपयोग नहीं किया। इस पर हाईकोर्ट के इस सवाल का जवाब आईडीए नहीं दे पाया कि तत्काल आवश्यकता वाली धारा 17 लगाई और फिर 6 साल तक कोई काम भी नहीं किया तो यह धारा ही गलत थी, जमीन मालिकों को सुना जाना था। प्रशासनिक जज एसए धर्माधिकारी, जस्टिस प्रणय वर्मा की डिविजन बेंच ने जमीन अधिग्रहण खाजिर करने का फैसला दिया।
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इन्होंने लगाई थी याचिका
जैन नर्सरी, पदमचंद बसंल व मदनलाल की जमीन इस मामले में शामिल है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अभिनव मल्होत्रा ने पैरवी की। इस तरह आईडीए की योजना से 84 हेक्टेयर से अधिक जमीन मुक्त हो गई है। उल्लेखनीय है कि जमीन मालिकों ने पहले रिट कोर्ट में याचिका दायर की थी, जहां से अर्जी खारिज हो गई थी। इस फैसले की डिविजन बेंच के समक्ष अपील की गई थी।
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