बीना विधायक निर्मला सप्रे केस की सुनवाई अब जनवरी 2026 तक टली

बीना से भाजपा विधायक निर्मला सप्रे की सदस्यता रद्द करने की सुनवाई 18 नवंबर को निर्धारित थी। चीफ जस्टिस की बेंच की व्यस्तता के कारण सुनवाई नहीं हो सकी। इस मामले में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने याचिका दायर की थी।

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Neel Tiwari
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Bina. बीना से भाजपा विधायक निर्मला सप्रे की सदस्यता रद्द करने की सुनवाई टल गई है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने याचिका दायर की थी। इस मामले में आज मंगलवार, 18 नवंबर को सुनवाई निर्धारित थी। चीफ जस्टिस की बेंच की व्यस्तता के कारण केस नहीं लिया गया। इस कारण मामला पेंडिंग रह गया।

स्पीकर को बताना था स्टेटस

इससे पहले हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई मे सरकार सहित विधानसभा स्पीकर को नोटिस जारी किया था। मध्यप्रदेश विधानसभा के स्पीकर नरेंद्र सिंह तोमर को जवाब देना था। जवाब में यह बताना था कि दल-बदल याचिका पर अब तक क्या कार्रवाई हुई है। उमंग सिंघार का आरोप है कि विधायक निर्मला सप्रे ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा जॉइन की। इसके बावजूद 16 महीने बीतने के बाद भी स्पीकर ने कोई निर्णय नहीं लिया।

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अब जनवरी 2026 में होगी अगली सुनवाई

आज सुनवाई न हो पाने के बाद अब यह मामला जनवरी 2026 के लिए लिस्ट हुआ है। कोर्ट की अगली उपलब्ध तारीख के अनुसार सुनवाई 13 जनवरी 2026 के बाद ही हो सकेगी। इससे पहले, हाईकोर्ट दल-बदल से जुड़े मामलों में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का हवाला दे चुका है। इन निर्देशों में कहा गया है कि याचिकाओं का निपटारा तीन महीनों के भीतर होना चाहिए।

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4 पॉइंट्स में समझें पूरी स्टोरी

👉 बीना से भाजपा विधायक निर्मला सप्रे की सदस्यता रद्द करने वाली याचिका पर आज सुनवाई होनी थी। चीफ जस्टिस की बेंच व्यस्त होने के कारण केस नहीं लिया गया। मामला अब पेंडिंग है।

👉 पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने सरकार और विधानसभा स्पीकर को नोटिस जारी किया था। स्पीकर को बताना था कि दल-बदल मामले में अब तक क्या कार्रवाई हुई है। 

👉 आज सुनवाई न हो पाने के बाद अगली सुनवाई 13 जनवरी 2026 के बाद होगी। यानी अब लगभग पूरे एक साल तक मामला आगे नहीं बढ़ेगा।

👉 निर्मला सप्रे का कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाना पहले से ही चर्चा में रहा है। विजयपुर उपचुनाव में हार के बाद उनका भविष्य और निगाहों में है। सुनवाई टलने से मामला और संवेदनशील व जटिल बन रहा है।

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राजनीतिक रूप से संवेदनशील है मामला

निर्मला सप्रे भाजपा में शामिल हुईं। कांग्रेस छोड़ उन्होंने पाला बदला। यह मामला राजनीतिक गलियारों में चर्चा में है। लोग इसके बारे में लगातार बात कर रहे हैं। विजयपुर उपचुनाव में रामनिवास रावत की हार के बाद सप्रे के राजनीतिक भविष्य पर निगाहें टिकी हैं। सुनवाई टलने से मामला और पेचीदा होता दिख रहा है।

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