एक दिन के लिए खुलता है बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व का यह मंदिर, शिथिल हो जाते हैं जंगल के नियम

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन एक विशेष पूजा होती है। यहां भगवान श्रीराम को कान्हा के रूप में और माता सीता को राधारानी के रूप में पूजा जाता है। मेले के दौरान वन्यजीव संरक्षण कानून को इस दिन शिथिल कर दिया जाता है।

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Jitendra Shrivastava
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Photograph: (THESOOTR)

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बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व ( Bandhavgarh Tiger Reserve ) मध्य प्रदेश के रीवा जिले में स्थित है और इसे बाघों का साम्राज्य माना जाता है। यहाँ बाघों की संख्या बहुत अधिक है, और यह एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। लेकिन यहां हर साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर एक बहुत ही विशेष घटना घटित होती है।

श्रीराम-जानकी मंदिर की विशेषता

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इस दिन, बांधवगढ़ किले के अंदर स्थित उमरिया का श्रीराम-जानकी मंदिर को श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोला जाता है। इस मंदिर में भगवान श्रीराम को कान्हा के रूप में और माता सीता को राधारानी के रूप में पूजा जाता है। यह एक अद्वितीय और रोमांचक अनुभव है, क्योंकि ऐसा दृश्य कहीं और देखने को नहीं मिलता।

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15 किलोमीटर की कठिन यात्रा

इस दिन, लाखों श्रद्धालु ताला गांव से लगभग 15 किलोमीटर पैदल यात्रा कर किले में स्थित मंदिर तक पहुँचते हैं। इस कठिन यात्रा को पार करने के बाद, भक्त भगवान श्रीराम और माता सीता के दर्शन कर अपनी थकान को दूर कर ऊर्जा से भर जाते हैं। इस यात्रा का हिस्सा बनना एक धार्मिक अनुभव से ज्यादा, एक साहसिक यात्रा बन जाती है।

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रीवा राजघराने की परंपरा

बांधवगढ़ किले में स्थित इस मंदिर की परंपरा सदियों पुरानी है। यह मंदिर कभी रीवा राजघराने का हिस्सा हुआ करता था। रीवा राजघराना के सदस्य आज भी इस दिन यहां पूजा करने आते हैं, और  इस परंपरा को जीवित रखते हैं।

महाराजा मार्तंड सिंह की शर्त

बांधवगढ़ किला कभी रीवा राज्य की राजधानी था। 1970 के दशक में इसे टाइगर रिजर्व में बदल दिया गया, लेकिन महाराजा मार्तंड सिंह ने इस बदलाव के दौरान एक शर्त रखी थी कि जन्माष्टमी पर मंदिर की पूजा और मेला आयोजित करना जारी रहेगा। इस शर्त के चलते हर साल वन्यजीव संरक्षण कानून को शिथिल किया जाता है ताकि श्रद्धालु मंदिर तक पहुंच सकें।

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बांधवगढ़ किला: भगवान श्रीराम का उपहार

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बांधवगढ़ किला का इतिहास बहुत ही रोचक है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब भगवान श्रीराम वनवास से लौटे थे, तो उन्होंने यह किला अपने छोटे भाई लक्ष्मण को उपहार स्वरूप दिया था। यही कारण है कि इस किले का नाम 'बांधवगढ़' पड़ा, जिसका अर्थ होता है 'भाई का किला'। इस किले और मंदिर का उल्लेख स्कंध पुराण और शिव संहिता में भी मिलता है।

FAQ

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में कृष्ण जन्माष्टमी के दिन ही क्यों खुलता है मंदिर?
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में श्रीराम-जानकी मंदिर हर साल कृष्ण जन्माष्टमी के दिन एक दिन के लिए श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खुलता है। यह परंपरा रीवा राजघराने द्वारा सदियों से निभाई जाती रही है और महाराजा मार्तंड सिंह ने इस परंपरा को जारी रखने की शर्त रखी थी।
बांधवगढ़ किला और श्रीराम-जानकी मंदिर का ऐतिहासिक महत्व क्या है?
बांधवगढ़ किला का ऐतिहासिक महत्व पौराणिक मान्यता से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि भगवान श्रीराम ने यह किला अपने भाई लक्ष्मण को उपहार में दिया था। साथ ही, किले के भीतर स्थित श्रीराम-जानकी मंदिर का महत्व भी काफी गहरा है, क्योंकि यह रीवा राजघराने की परंपराओं से जुड़ा हुआ है।

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