बिंजलवाड़ा सिंचाई प्रोजेक्ट 9 साल बाद भी अधूरा, खेतों तक नहीं पहुंचा नर्मदा जल

खरगोन जिले में 692 करोड़ रुपए की बिंजलवाड़ा परियोजना अधूरी है। किसानों की उम्मीद नर्मदा जल से सिंचाई पर टिकी थी। देरी के कारण फसलें खराब हो रही हैं। एनवीडीए और प्रशासन परियोजना का 98 फीसदी काम कर चुके हैं।

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Sanjay Sharma
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BHOPAL. प्रशासन की लापरवाही से निमाड़ के हजारों किसान नर्मदा जल के लिए तरस रहे हैं। खरगोन जिले में 692 करोड़ रुपए लागत की बिंजलवाड़ा सिंचाई परियोजना 8 साल बाद भी अधूरी है। नर्मदा जल से खेतों को सींचने की उम्मीद में बैठे किसान कई बार आंदोलन कर चुके हैं, लेकिन उनके हिस्से में केवल आश्वासन ही आए हैं। 

निर्माण में लेटलतीफी के बावजूद नर्मदा घाटी विकास विभाग (एनवीडीए) कंपनी को ब्लैक लिस्ट नहीं कर सका। अब भी किसान सिंचाई परियोजना को लेकर धरना- प्रदर्शन करने मजबूर हैं। साल 2022 से किसान सरकार, विभाग और अधिकारियों के आश्वासनों के भरोसे हैं और सिंचाई न कर पाने से उनकी फसलें चौपट हो रही हैं। एनवीडीए और प्रशासन सिंचाई परियोजना का 98 फीसदी काम पूरा होने का दावा कर रहे हैं। नहरों का काम अब तक अधूरा पड़ा है।

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चार साल पिछड़ा सिंचाई प्रोजेक्ट

खरगोन जिले में साल 2016 में नर्मदा नदी के पानी को किसानों के खेतों तक पहुंचाने बिंजलवाड़ा सिंचाई परियोजना शुरू हुई थी। इसके जरिए 129 गांवों की 50 हजार हैक्टेयर जमीन में सिंचाई का लक्ष्य है। परियोजना का ठेका हैदराबाद की कंपनी जीवीपीआर को दिया गया था। 

परियोजना साल 2021 में पूरी होनी थी लेकिन अब तक आधा ही काम हो पाया है। कंपनी ने 2019 में कोरोना संक्रमण का बहाना बनाकर एक्सटेंशन लिया। अब वह दूसरी वजहें गिनाती आ रही है। 2022 में एनवीडीए उपाध्यक्ष आईपीसी केसरी ने कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने का आदेश दिया था। सरकार में संपर्कों के चलते कार्रवाई टल गई।

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एनवीडीए के दावे से नाराज किसान

बिंजलवाड़ा सिंचाई परियोजना का निर्माण अधूरा होने के कारण किसानों ने सितंबर में भीकनगांव में बड़ा आंदोलन किया था। किसानों की नाराजगी और जिला प्रशासन की मध्यस्थता के बाद एनवीडीए के कार्यपालन यंत्री ने 30 नवम्बर तक काम पूरा करने का लिखित आश्वासन दिया था। 

एनवीडीए ने इस आश्वासन को आधार बनाकर परियोजना का 98 फीसदी काम पूरा होने का दावा किया। हालांकि, जमीनी हकीकत कुछ और है। दर्जन भर से ज्यादा गांवों में नहरें अधूरी पड़ी हैं। कई पम्प हाउस भी अधूरे हैं। इन्हें पूरा होने में अभी कई महीने लग सकते हैं।

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आंदोलन के बाद भी अधूरा निर्माण 

एनवीडीए के आश्वासन के बावजूद परियोजना का निर्माण कछुआ चाल से हो रहा है। इससे किसान रबी सीजन में सिंचाई से वंचित हैं। पुराने आश्वासन झूठे निकलने से नाराज किसान 15 दिसंबर को भीकनगांव में भारतीय किसान संघ के बैनर तले आंदोलन करने पहुंचे। इस बार भी एनवीडीए के अधिकारी कोरा आश्वासन दे रहे हैं। किसानों के गुस्से के बाद जिला प्रशासन को मोर्चा संभालना पड़ा। अपर कलेक्टर रेखा राठौड़ एनवीडीए के अधिकारियों के साथ किसानों को समझाने पहुंची।

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रबी सीजन में प्यासे रहेंगे खेत

 बार-बार के आश्वासन और निर्माण में देरी से नाराज किसानों ने अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया। किसान संघ के जिला मंत्री वासुदेव चौधरी और नीलेश सिंह मौर्य ने बताया कि एनवीडीए के कार्यपालन यंत्री ने 20 जनवरी तक काम पूरा करने का आश्वासन दिया। 30 जनवरी से नहरों में पानी छोड़ने का भरोसा भी दिया गया। हालांकि, आश्वासन पत्र में 30 अप्रैल के बाद पानी देने का उल्लेख है। इसका मतलब प्रशासनिक अनदेखी और एनवीडीए की सुस्ती का खामियाजा किसानों को रबी सीजन में उठाना पड़ेगा।

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