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Photograph: (the sootr)
INDORE. इंदौर बीआरटीएस हटाने का फरवरी 2025 से आदेश होने के बाद भी आज दिनांक तक पूरी तरह नहीं हटा है। इसी मामले को लेकर हाईकोर्ट ने इसे लेकर सख्त आदेश जारी करना शुरू कर दिए हैं। अधिकारियों को कोर्ट में लगातार तलब किया जा रहा है।
एक दिसंबर की सुनवाई में 16 दिसंबर तक एक तरफ की रैलिंग हटाने और फिर सुनवाई में कलेक्टर शिवम वर्मा, निगमायुक्त दिलीप यादव व डीसीपी ट्रैफिक आनंद कलादगी को पेश होने के लिए कहा गया था, लेकिन अधिकारियों ने आवेदन लगाकर छूट ले ली।
हाईकोर्ट ने नई तारीख अगले दिन 17 दिसंबर की लगा दी। लेकिन इसके लिए भी फिर SIR (निर्वाचन) काम की व्यस्तता का बोलकर छूट लेने की बात कही गई। इस पर हाईकोर्ट सख्त हुआ और अधिकारियों को दोपहर ढाई बजे उपस्थित होने के आदेश दिए गए। इसके बाद यह अधिकारी डबल बैंच के सामने पेश हुए।
सुनवाई के दौरान कमेटी की रिपोर्ट आई
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट द्वारा वकीलों की बनाई गई कमेटी की रिपोर्ट आई। इसमें यह तो कहा गया कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद रैलिंग हटाने का काम हुआ है, लेकिन अभी दूसरी ओर की नहीं हटी है। साथ ही जो पेंचवर्क हुआ है वह सही नहीं हुआ है और इससे सड़क अनईवन हो रही है। बस स्टाप के पास सुरक्षा के मानक सही नहीं है। वहां सामान पड़ा हुआ है। इससे रास्ता ब्लाक हो रहा है और दुर्घटना की भी आशंका बनी हुई है।
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इस तरह हुई बहस, यह दिए आदेश
हाईकोर्ट बेंच ने इस मामले में एक बार अधिकारियों से पूछा कि भोपाल में नौ दिन में बीआरटीएस हट गया था यहां इतनी देर क्यों हो रही है। इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता अजय बागड़िया ने कहा कि क्योंकि वह भोपाल था और यह इंदौर है।
वहीं बागड़िया ने कहा कि रैलिंग एक ओर की हटी है लेकिन दूसरी ओर की नहीं हटी है। इसअधिवक्ता अजय बागड़ियाके चलते रास्ता एक और तो बहुत चौड़ा है वहीं दूसरी ओर तंग है। अभी तक बीच में डिवाइडर नहीं लगे हैं।
सीमेंट ब्लाक की लागत बहुत ज्यादा, खत्म हो गए
इस पर जस्टिस ने कहा कि सीमेंट के ब्लाक लगा दिए जाएं, जैसे जीपीओ पर लगाए हैं। इस पर निगमायुक्त दिलीप यादव ने कहा कि इन ब्लाक की लागत बहुत ज्यादा आती है। एक किमी में करीब एक करोड़ होती है। जो अभी थे वह 500 मीटर में लगा दिए हैं। इस पर जस्टिस ने कहा कि जो रैलिंग निकाली है क्या उसका उपयोग कर बीच में डिवाइडर नहीं कर सकते हैं।
इस पर कलेक्टर ने कहा कि जो टेंडर दिया है वह एजेंसी ही इस निकले माल को रखेगी और इसे ही बेचकर वह टेंडर की राशि भरेगी, इसलिए इनका उपयोग सही नहीं है। इस पर बागड़िया ने कहा कि रस्सी बांधकर या ट्रैफिक पुलिस के बैरिकेडिंग लगाकर व्यवस्था की जाए। इससे अधिकारियों ने एक्सीडेंट होने की आशंका जताई।
अब 12 जनवरी को पेश होगी स्टेटस रिपोर्ट
सभी तर्क सुनने के बाद हाईकोर्ट बेंच ने कहा कि अधिकारी वकीलों की बनी कमेटी के साथ बैठक कर इसमें और क्या होना चाहिए इस पर बात करें। कमेटी से भी सुझाव लें। साथ ही 12 जनवरी को इस मामले में स्टेटस रिपोर्ट पेश करें। जो कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है उन समस्याओं को देखें और ठीक करें।
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हाईकोर्ट में बीती सुनवाई में यह हुआ था
हाईकोर्ट में बीती सुनवाई में भी यह मामला उठा था कि भोपाल का बीआरटीएस 9 दिन में हट गया था। लेकिन इंदौर में बीआरटीएस फरवरी से अबतक 10 महीने बाद भी नहीं हटा है। साथ ही कहा गया कि जब किसी मकान, तोड़फोड़ के लिए बुलडोजर चलाना होता है तो देरी नहीं होती है।
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