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INDORE. डेली कॉलेज के बोर्ड से जुड़े विवाद में हाईकोर्ट के साफ निर्देश के बावजूद मामला आगे नहीं बढ़ पा रहा है। रजिस्ट्रार फर्म्स एंड सोसायटी ने एक महीने से ज्यादा वक्त बीतने के बाद भी अगली सुनवाई की तारीख तय नहीं की है। इस देरी के कारण याचिकाकर्ता संदीप पारिख और डेली कॉलेज का बोर्ड दोनों ही असमंजस में हैं कि आगे क्या होगा?
क्या है पूरा मामला ?
डेली कॉलेज में बोर्ड को लेकर विवाद लंबे समय से चला आ रहा है। बोर्ड चुनाव के बाद कार्यकाल पांच साल का तय था, लेकिन बाद में इसे बढ़ाया गया। इसी को लेकर आपत्तियां उठीं। बोर्ड की बनावट, एजीएम (वार्षिक आमसभा) न बुलाने, सदस्यों की नियुक्ति और लिए गए फैसलों की वैधता पर सवाल खड़े होते रहे। मामला पहले रजिस्ट्रार के पास गया और फिर कोर्ट तक पहुंचा।
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29 अगस्त 2025 को इंदौर के रजिस्ट्रार फर्म्स एंड सोसायटी बीडी कुबेर ने डेली कॉलेज प्रबंधन को नोटिस जारी किया। आदेश में कहा गया कि कॉलेज से जुड़े किसी भी फैसले या कार्रवाई के लिए विधिवत एजीएम आयोजित की जाए। डेली कॉलेज बोर्ड ने इस आदेश के खिलाफ भोपाल में अपील दायर की।
आदेश पर लगा स्टे
करीब एक माह बाद 29 सितंबर 2025 को भोपाल रजिस्ट्रार कार्यालय ने इंदौर के आदेश पर स्टे दे दिया। साथ ही अगली सुनवाई के लिए 10 अक्टूबर 2025 की तारीख तय की गई। इससे उम्मीद बनी कि विवाद का समाधान जल्द निकलेगा।
26 अक्टूबर 2025 को भोपाल के रजिस्ट्रार शाश्वत सिंह मीणा का तबादला हो गया। उनके स्थान पर आकाश श्रीवास्तव ने पदभार संभाला। इसके बाद डेली कॉलेज मामले में अगली सुनवाई की कोई तारीख तय नहीं की गई। देरी से परेशान होकर याचिकाकर्ता संदीप पारिख ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
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हाईकोर्ट का स्पष्ट आदेश
12 नवंबर 2025 को इंदौर हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि रजिस्ट्रार इस मामले को प्राथमिकता से जल्द निपटाएं। इसके बावजूद एक माह से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन अब तक अगली तारीख घोषित नहीं हुई है। इससे रजिस्ट्रार कार्यालय की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं।
फिलहाल स्थिति यह है कि संदीप पारिख हाईकोर्ट के आदेश के पालन का इंतजार कर रहे हैं। डेली कॉलेज का बोर्ड भी यह तय नहीं कर पा रहा कि आगे की प्रक्रिया कैसे चलेगी। यदि जल्द सुनवाई की तारीख तय नहीं होती है तो मामला कोर्ट की अवमानना तक पहुंच सकता है।
अब सभी की नजर रजिस्ट्रार कार्यालय पर है कि वह कब हाईकोर्ट के निर्देशों के अनुसार अगली तारीख तय करता है। इस मामले में 'द सूत्र' ने रजिस्ट्रार आकाश श्रीवास्तव से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हुआ।
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