इंदौर के डेली कॉलेज बोर्ड की मनमानी पर हाईकोर्ट सख्त, संविधान में संशोधन पर रोक बरकरार

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने इंदौर के डेली कॉलेज बोर्ड की संविधान संशोधन की कोशिशों पर रोक लगा दी है। याचिकाकर्ता संदीप पारिख की याचिका पर यह निर्णय आया, जिसमें कोर्ट ने कहा कि जब तक लंबित मामलों का निपटारा नहीं हो जाता, तब तक कोई संशोधन नहीं होगा।

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Rahul Dave
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Photograph: (THE SOOTR)

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INDORE. देश के नामी स्कूलों में शुमार इंदौर के डेली कॉलेज प्रबंधन की मनमानी पर हाईकोर्ट ने सख्ती की है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने डेली कॉलेज बोर्ड की संविधान में बदलाव की कोशिशों पर ब्रेक लगा दिया है।

ओल्ड डेलियंस संदीप पारिख की याचिका पर कोर्ट ने साफ निर्देश दिया कि जब तक फर्म एंड सोसायटी भोपाल में लंबित मामलों और अपीलों का निपटारा नहीं हो जाता, तब तक डेली कॉलेज बोर्ड संविधान में किसी भी प्रकार का संशोधन नहीं कर सकता।

यह आदेश रिट याचिका क्रमांक 43366/2025 (संदीप पारिख बनाम मध्यप्रदेश राज्य व अन्य) की सुनवाई के दौरान आया। याचिकाकर्ता की ओर से सुमित नेमा, वरिष्ठ अधिवक्ता पीयूष पाराशर ने पक्ष रखा। प्रतिवादियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रवीन्द्र श्रीवास्तव व अधिवक्ता विजय कुमार उपस्थित रहे। मामले की सुनवाई जस्टिस प्रणय वर्मा ने की।

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Photograph: (याचिकाकर्ता संदीप पारिख)

यह था पूरा प्रकरण

डेली कॉलेज बोर्ड ने 12 नवंबर 2025 की बैठक में संविधान संशोधन का प्रस्ताव रखा था। बोर्ड के एजेंडे के पहले ही बिंदु में संविधान में बदलाव और बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की चुनाव प्रक्रिया में परिवर्तन का उल्लेख किया गया था। यह पूरा विषय पहले से पंजीयक फर्म एंड सोसायटी, भोपाल में विचाराधीन था। साथ ही 29 अगस्त 2025 को विभाग ने एक आदेश जारी कर यह स्पष्ट कर दिया था कि बिना एजीएम बुलाए संविधान में संशोधन अनुचित है। 

इस आदेश के खिलाफ डेली कॉलेज बोर्ड भोपाल के रजिस्ट्रार कार्यालय से सटे ले आया। इस मामले में शासन स्तर पर पहले से ही स्टे है। बोर्ड को किसी भी प्रकार के बदलाव से रोक दिया गया है। इन्हीं परिस्थितियों के बीच बोर्ड ने मीटिंग बुलाकर संविधान बदलने की तैयारी शुरू की, जिस पर याचिकाकर्ता संदीप पारिख हाईकोर्ट पहुंचे थे। 

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याचिकाकर्ता का तर्क

वरिष्ठ अधिवक्ता पीयूष पाराशर ने न्यायालय में अपना पक्ष रखते हुए कहा, संविधान संशोधन को लेकर अपील खुद डेली कॉलेज ने फर्म एंड सोसायटी, भोपाल में दायर की है।

यह मामला लंबित है, इसलिए किसी भी संशोधन की प्रक्रिया शुरू करना नियमों के खिलाफ है। याचिकाकर्ता मीटिंग के विरोध में नहीं है, लेकिन मीटिंग में संविधान संशोधन नहीं होना चाहिए। अदालत ने इन तर्कों को स्वीकार किया। वहीं, बोर्ड की ओर से यह कहा गया कि 12 नवंबर को सहायक रजिस्ट्रार ने जो आदेश दिया था, उसका बोर्ड ने विरोध किया है।

कोर्ट ने इस पर स्पष्ट कहा कि इसका विवरण याचिका में नहीं है। इस आदेश को चुनौती देने के लिए बोर्ड को अलग याचिका दायर करनी होगी। हाईकोर्ट ने यह भी माना कि सहायक पंजीयक का आदेश सही है, जिसमें कहा गया था कि बोर्ड ने खुद भोपाल रजिस्ट्रार कार्यालय से स्टे लिया है, इसलिए जब तक मामला लंबित है, तब तक संविधान संशोधन नहीं किया जा सकता।

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हाईकोर्ट के आदेश के अहम बिंदू... 

  • संविधान संशोधन फिलहाल नहीं होगा। शासन स्तर पर लंबित मामलों का पहले निपटारा होगा।
  • बोर्ड मीटिंग हो सकती है, पर उसमें सिर्फ प्रशासनिक व संचालन संबंधी निर्णय लिए जाएंगे।
  • संवैधानिक बदलाव, संरचनात्मक परिवर्तन या चुनाव में बदलाव का कोई प्रस्ताव वैध नहीं होगा।

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यह था मामला

जब अभिभावकों और सदस्यों को संविधान संशोधन की जानकारी मिली तो वे तत्काल कलेक्टर शिवम वर्मा के पास पहुंचे। कलेक्टर ने मामले की गंभीरता देखते हुए फर्म एंड सोसायटी विभाग से रिपोर्ट मांगी।

विभाग की ओर से कहा गया कि डेली कॉलेज बोर्ड ही भोपाल से स्टे लेकर आए थे कि संविधान में किसी भी प्रकार का संशोधन नहीं किया जा सकता है। बोर्ड फिर से बदलाव की कोशिश कर रहा था।

इसके बाद कलेक्टर ने निर्देश जारी करते हुए कहा कि 12 नवंबर की बैठक में केवल प्रशासनिक फैसले होंगे। स्टे के रहते संविधान में कोई बदलाव मान्य नहीं होगा।

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...तब तक बरकरार रहेगी रोक 

हाईकोर्ट के आदेश के बाद डेली कॉलेज बोर्ड की सभी बदलाव संबंधी योजनाओं पर ब्रेक लग गया है। संविधान संशोधन पर तब तक रोक बरकरार रहेगी, जब तक पंजीयक फर्म एंड सोसायटी, भोपाल और शासन स्तर पर लंबित सभी मामलों का निराकरण नहीं हो जाता। याचिकाकर्ता संदीप पारिख को बड़ी राहत मिली है। डेली कॉलेज बोर्ड की मनमानी पर अदालत ने स्पष्ट रूप से लगाम लगा दी है।

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