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INDORE. इंदौर नगर निगम के कामों में घोटाले रोजमर्रा की बात होने लगी है। फर्जी बिल लगाकर 150 करोड़ का घोटाला करने वाला मामला सामने आ ही चुका है।
इसके बाद भी घटिया काम कर बिल लगाने और इसे पास करने का खेल जारी है। ताजा मामला निगम के जरिए 6 करोड़ की लागत से बनवाए गए स्विमिंग पूल का है। यह स्विमिंग पूल इंदौर के नेहरू पार्क में बन रहा है।
छह करोड़ का स्विमिंग पूल और ये हाल
इंदौर नगर निगम के जरिए नेहरू पार्क में 6 करोड़ की लागत से स्विमिंग पूल बनवाया गया है। इसका उद्घाटन पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन पर 25 दिसंबर को होना था। वहीं, अब नहीं हो सकेगा। क्योंकि इसे उखाड़ना पड़ा है।
निगम के इंजीनियरों ने इसकी गुणवत्ता झांकने की जहमत ही नहीं उठाई है। इसके चलते टाइल्स पानी भरने से पहले ही फूल गई और अब उखाड़ी गई हैं।
ठेकेदार ने ये किया और इंजीनियर चुप
एमआईसी सदस्य नंदकिशोर पहाड़िया बताते हैं कि ठेकेदार ने टाइल्स लगाने के बाद अन्य निर्माण काम किए थे। कंक्रीट व अन्य सामग्री टाइल्स पर गिरी और इससे वह खराब हुई और फूलने लगीं।
वहीं जनकार्य प्रभारी एमआईसी सदस्य राजेंद्र राठौर सफाई दे रहे हैं कि ठेकेदार को ही मेंटनेंस करना है। वही अपने खर्चे से टाइल्स बदलेगा। अभी इसका भुगतान नहीं किया गया है।
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5 प्वाइंट में समझें क्या है पूरा मामला
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कांग्रेस ने मारा तंज
वहीं कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे का इस मामले में कोई बयान नहीं आया है। हालांकि, कांग्रेस प्रवक्ता अमित चौरिसाय ने कहा कि यह निगम का चमत्कार हो सकता है। उन्होंने कहा, पूल बना नहीं और टाइल्स उखड़ गईं। इसे विकास कहें या फिर विनाश की प्लानिंग। इस मामले में नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और महापौर पुष्यमित्र भार्गव को जवाब देना चाहिए।
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खामियाजा भुगतेंगे तैराक
निगम अब तक तैराकी के लिए 1200 रुपए सालाना फीस लेता रहा है। वहीं, अब इस ठेकेदार के घोटाले और घटिया काम का खामियाजा भी आमजन को भुगतना होगा। माना जा रहा है कि नेहरू पार्क में बन रहे इस स्विमिंग पूल में तैराकी का शुल्क बढ़ाया जाएगा।
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आर्थिक तंगी को झेल रहे निगम में ये हाल
नगर निगम आर्थिक तंगी को झेल रहा है। निगमायुक्त दिलीप यादव संपत्तिकर कलेक्शन बढ़ाने के रास्ते निकाल रहे हैं और कैंप लगा रहे हैं। वहीं अब संपत्ति कर चोरी की पहचान के लिए भी काम होगा।
महापौर भी जानते हैं कि नए काम के लिए निगम के पास धन की भारी कमी है। नए कर्जे लेने के लिए अभी निगम की स्थिति नहीं है। इसके बाद भी इस तरह के फिजूल के घटिया कामों पर धनराशि खर्च हो रही है। आमजन के संपत्तिकर, जलकर का पैसा इसमें जा रहा है।
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