INDORE : बीजेपी ने एक बार फिर अग्निपथ योजना (इसमें चयनित जवानों को अग्निवीर कहा जाता है) का समर्थन किया है। भारतीय सेना से सेवानिवृत्त सैनिक प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक ब्रिगेडियर अवधेंद्र प्रताप सिंह ने सोमवार को इंदौर में बीजेपी कार्यालय में प्रेस कांफ्रेंस करते हुए कहा कि केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई अग्निपथ योजना देश के युवाओं के साथ-साथ देश के भी हित में है। अग्निवीरों की सेवा शर्तों को लेकर जानबूझकर देश में भ्रम का वातावरण पैदा किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर इस योजना को लेकर दुष्प्रचार किया जा रहा है।
6 साल में सेना का आधा हिस्सा अग्निवीरों का होगा
उन्होंने कहा कि वर्तमान में हमारे सैनिकों की औसत उम्र 32 वर्ष है, जो दुनिया के कई देशों के मुकाबले काफी अधिक है। लेकिन अग्निपथ योजना के लागू होने के बाद अगले छह-सात वर्ष में हमारी सेना अधिक युवा होगी और सैनिकों की औसत आयु 26 वर्ष हो जाएगी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2030-2032 तक 12 लाख सैनिकों वाली हमारी सेना का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा अग्निवीरों का होगा।
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शहादत पर दी जा रही इस तरह की राशि
सैनिक प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक ब्रिगेडियर अवधेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि इन दिनों सोशल मीडिया में यह दुष्प्रचार जोर-शोर से किया जा रहा है कि अग्निवीरों के शहीद होने या सेवा के दौरान उनकी मृत्यु होने पर सरकार उनकी या परिजनों की कोई मदद नहीं करती, लेकिन ये सरासर झूठ है। वास्तविकता यह है कि अग्निवीरों को ट्राई सर्विसेज के समान ही जोखिम और कठिनाई भत्ते दिए जाते हैं। किसी भी अग्निवीर की शहादत या सेवा के दौरान मृत्यु होने पर 48 लाख रुपए की बीमा राशि तथा 44 लाख रुपए की एकमुश्त अनुग्रह राशि प्रदान की जाती है। इसके अलावा विभिन्न राज्य सरकारें शहीद सैनिकों के लिए जो सहायता राशि देती हैं, वो भी उनके परिजनों को मिलती है। ब्रिगेडियर अवधेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि ड्यूटी के दौरान अगर कोई अग्निवीर विकलांग हो जाता है, तो उसे विकलांगता के अनुसार एकमुश्त मुआवजा दिया जाता है।
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सैन्य बजट का बड़ा हिस्सा वेतन व पेंशन में
उन्होंने कहा कि वर्तमान में हमारे सैन्य बजट का बड़ा हिस्सा सैनिकों के वेतन एवं पेंशन पर ही खर्च हो जाता है। चालू वित्त वर्ष में केंद्र सरकार ने रक्षा मंत्रालय को पेंशन के लिए लगभग 1.38 लाख करोड़ रूपए आवंटित किए हैं, जो देश के कुल रक्षा बजट का लगभग एक चौथाई है। यह स्थिति सेनाओं के आधुनिकीकरण की रफ्तार को प्रभावित करती है। अग्निपथ योजना से सैन्य बलों की पेंशन में कमी आएगी, जिससे आधुनिकीकरण के लिए पर्याप्त धन बचेगा।
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इसमें आने वाले युवा बेरोजगार नहीं होंगे
सिंह ने कहा कि अग्निपथ योजना के बारे में एक झूठ यह भी प्रचारित किया जा रहा है कि यह योजना अग्निवीरों को युवावस्था में ही बेरोजगार बनाकर यहां-वहां भटकने के लिए छोड़ देती है। लेकिन ऐसा कहने वालों ने संभवत: योजना की सेवा शर्तों को ठीक से पढ़ा नहीं है। अग्निवीर चार साल तक सशस्त्र बलों में सेवा करते इसके बाद, इनमें से 25 प्रतिशत अग्निवीरों को भारतीय सेना में ही स्थायी सेवा में नियुक्ति दी जाती है। सेवानिवृत्त अग्निवीरों को बीएसएफ, सीआईएसएफ, रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) और रक्षा पीएसयू में 10 प्रतिशत आरक्षण के साथ-साथ शारीरिक परीक्षण की छूट एवं पांच साल की आयु में छूट दी जाएगी। सेवानिवृत्ति के समय प्रत्येक अग्निवीर के पास एक व्यापक कौशल-सेट प्रमाण पत्र होगा जिसमें उनकी सेवा के दौरान प्राप्त कौशल और प्रवीणता का विवरण होगा। अग्निवीरों को उच्च शिक्षा क्रेडिट भी प्राप्त होंगे। उनके पास तीन साल या उससे अधिक की अवधि में 18.2 लाख रुपये का बैंक ऋण प्राप्त करने का विकल्प भी होगा तथा सेवा निवृत्ति पर उन्हें 10.4 लाख रुपये की राशि भी दी जाएगी, जिसका उपयोग वे अपना उद्योग स्थापित करने में कर सकते हैं।
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यह सभी रहे मौजूद
इस अवसर पर सैनिक प्रकोष्ठ प्रदेश कार्यालय मंत्री रिटा. कर्नल श्री वैभव त्रिपाठी , प्रदेश सह मीडिया प्रभारी दीपक जैन टीनू, सैनिक प्रकोष्ठ प्रदेश सहसंयोजक पूर्व सैन्य अधिकारी अजय जैन, पूर्व सैनिक आरके अग्रवाल, शोभरन सिंह जाट पूर्व सैनिक डॉ. एस एल शर्मा, मीडिया प्रभारी रितेश तिवारी, सह मीडिया प्रभारी ,नितिन द्विवेदी उपस्थित रहे।