बीजेपी का एक परिवार एक पद फॉर्मूला, मंत्री-विधायक पुत्रों को नहीं मिलेगा सगंठन में पद

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने हाल ही में अपने कार्यकारिणी गठन में एक महत्वपूर्ण बदलाव की घोषणा की है, एक परिवार-एक पद" का फॉर्मूला लागू किया जाएगा। इसका मतलब यह है कि पार्टी के किसी भी सक्रिय नेता के परिवार के सदस्य को संगठन में कोई भी पद नहीं मिलेगा।

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Sanjay Dhiman
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भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने हाल ही में अपने कार्यकारिणी गठन में एक महत्वपूर्ण बदलाव की घोषणा की है, जिसके तहत अब "एक परिवार-एक पद" का फॉर्मूला लागू किया जाएगा। इसका मतलब यह है कि पार्टी के किसी भी सक्रिय नेता के परिवार के सदस्य को संगठन में कोई भी पद नहीं मिलेगा। 

भाजपा का यह कदम पार्टी में परिवारवाद के आरोपों पर उठाया गया है। इस नए फार्मूले के लागू होने से प्रदेश के  कई ऐसे सांसदों, विधायकों और बड़े नेताओं के अरमानों पर पानी फिर जाएगा, जो अपने पुत्र या परिवार के किसी सदस्य को संगठन में एडजस्ट करने का सपना देख रहे थे।

बीजेपी के कार्यकारिणी गठन में लागू होगा फॉर्मूला

बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएलसंतोष ने हाल ही में भोपाल दौरे के दौरान इस फॉर्मूले को लागू करने का ऐलान किया। इसका उद्देश्य पार्टी में किसी भी प्रकार के परिवारवाद को रोकना और कार्यकर्ताओं के बीच समानता को बढ़ावा देना है। इस फैसले का असर पार्टी के सांसदों, विधायकों और अन्य नेताओं पर पड़ेगा, जिनके बेटे-बेटियाँ या अन्य पारिवारिक सदस्य सक्रिय राजनीति में शामिल हैं।

'एक परिवार-एक पद' के फॉर्मूले का फायदा

यह कदम पार्टी के अंदर अनुशासन और कार्यकर्ताओं की कार्यक्षमता को बढ़ावा देने के लिए लिया गया है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि किसी भी एक परिवार के सदस्य को ज्यादा ताकत नहीं मिल पाएगी, और यह अन्य कार्यकर्ताओं के लिए अवसर खोलेगा। हालांकि, इस नीति से कुछ नेताओं के परिवारों को निराशा भी हो सकती है, लेकिन यह पार्टी की दीर्घकालिक रणनीति के लिए आवश्यक कदम साबित हो सकता है।

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मऊगंज की घटना से लिया सबक

बीजेपी की जिला कार्यकारिणी में हाल ही में मऊगंज विधानसभा से विधायक और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के बेटे राहुल गौतम को उपाध्यक्ष बनाया गया था। हालांकि, यह निर्णय पार्टी के प्रदेश नेतृत्व द्वारा लिया गया, लेकिन बाद में यह पाया गया कि यह नियुक्ति ‘एक परिवार-एक पद’ के सिद्धांत के खिलाफ था। इसके बाद राहुल गौतम ने स्वेच्छा से पद छोड़ने का निर्णय लिया।

यह फार्मूला इनके लिए होगा फायदेमंद

कई नेता जो सक्रिय राजनीति से बाहर हो चुके हैं, उनके परिवार के सदस्य अब संगठन में योगदान दे सकते हैं। उदाहरण के लिए, पूर्व मंत्री गौरीशंकर शेजवार के बेटे मुदित शेजवार को संगठन में शामिल करने पर विचार हो सकता है। इसी तरह, बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा के बेटे तुष्मुल झा को भी मौका मिल सकता है।

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भाजपा के एक पद एक परिवार नियम को ऐसे समझें 

  1. बीजेपी ने "एक परिवार-एक पद" के फॉर्मूले को लागू किया, जिसके तहत सक्रिय राजनीति में किसी नेता के परिवार के सदस्य को पार्टी की कार्यकारिणी में पद नहीं मिलेगा।
  2. इस कदम का उद्देश्य पार्टी में पारदर्शिता और समानता बढ़ाना है, जिससे परिवारवाद को रोका जा सके।
  3. मऊगंज में गिरीश गौतम के बेटे राहुल गौतम को उपाध्यक्ष बनाए जाने के बाद पद वापसी का मामला सामने आया, जिसके बाद यह फॉर्मूला लागू किया गया।
  4. पार्टी के कुछ नेताओं के परिवारों को निराशा हो सकती है, जैसे दमोह के विधायक जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ मलैया और सागर के गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव।
  5. कुछ पूर्व नेताओं के परिवार, जैसे गौरीशंकर शेजवार के बेटे मुदित शेजवार और प्रभात झा के बेटे तुष्मुल झा को संगठन में अवसर मिल सकता है।

इन नेतापुत्रों के हाथ लगेगी निराशा

कुछ भाजपा नेता जिनके परिवार इस बदलाव से प्रभावित होंगे, उनमें केंद्रीय मंत्री व  पूर्व सीएम शिवराज सिंह चाैहान के पुत्र कार्तिकेय चाैहान, दमोह से विधायक जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ मलैया, सागर जिले के विधायक गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव, और विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे देवेन्द्र सिंह तोमर शामिल हैं। इन सभी नेताओं के परिवार या पुत्रों को फिलहाल पार्टी में कोई पद मिलने की संभावना कम ही है।

'एक परिवार-एक पद' से होगा पार्टी का विकास

नवनियुक्त बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल के अनुसार यह कदम पार्टी के भीतर नवाचार और कार्यकर्ताओं के समर्पण को प्रेरित करेगा। यह उन नेताओं के लिए एक संकेत होगा जो अपने परिवार को पार्टी से ऊपर मानते हैं। इस नए प्रयोग से पार्टी में लोकतंत्र व समानता के अवसर मिलेंगे। जिससे कार्यकर्ताओं में अच्छा मैसेज जाएगा।

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