पुलिस पर कार चढ़ाने वाले BJP नेता के बेटे माज खान को जमानत, ड्यूटी पर पुलिस का वर्दी नहीं पहनना बना कारण
इंदौर में पुलिस पर कार चढ़ाने के आरोपी बीजेपी नेता के बेटे माज खान को जमानत मिल गई है। कोर्ट ने पुलिस की अधूरी जांच और वर्दी न पहनने को जमानत का आधार बनाया। हालांकि, यदि जांच में संदिग्ध पाउडर अवैध निकला तो जमानत रद्द हो सकती है।
INDORE. पुलिस की अधूरी जांच और रिपोर्ट के साथ ही उनका ड्यूटी पर वर्दी नहीं पहनना एक आरोपी के लिए जमानत का आधार बन गया। यह आरोपी और कोई नहीं बल्कि बीजेपी नेता कमाल खान के बेटा माज खान है। जिस पर पुलिसकर्मियों पर ही कार चढ़ाकर जान से मारने की कोशिश करने और शासकीय काम में बाधा जैसी गंभीर धाराओं में केस था।
पुलिस ने यह बताई पूरी घटना
पुलिस ने 26 जुलाई को माज खान को धेनू मार्केट पर एक सफेद रंग की कार में एक महिला के साथ पकड़ा था और उसके पास संदिग्ध पाउडर मिला था। संदेह था कि वह कार से ड्रग्स की तस्करी कर रहा है। पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली। प्रधान आरक्षक दीपक थापा ने अपने साथी के साथ इस कार को चिन्हित कर रोकने का प्रयास किया। लेकिन माज को शक हो गया कि पुलिस उसे पकड़ेगी। थापा ने केस में लिखवाया है कि उसने कार जान से मारने की नियत से तेजी से दौड़ाई और चढ़ाने की कोशिश की और फिर रिवर्स लेकर चढ़ाने की कोशिश की।
👉 आरोप: माज खान पर पुलिसकर्मियों पर कार चढ़ाकर जान से मारने की कोशिश और शासकीय काम में बाधा डालने का आरोप था।
👉 पुलिस जांच: पुलिस ने 26 जुलाई को माज को संदिग्ध पाउडर के साथ पकड़ा था, संदेह था कि वह ड्रग्स तस्करी कर रहा था।
👉 पुलिस का तर्क: पुलिस ने कहा कि माज आदतन अपराधी है, और जमानत से गलत संदेश जाएगा, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज किया।
👉 कोर्ट का निर्णय: कोर्ट ने पुलिस के सिविल ड्रेस में कार रोकने और जांच रिपोर्ट न मिलने को जमानत का आधार माना।
👉 संदिग्ध पाउडर की जांच: कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर पाउडर अवैध सामग्री निकला, तो माज की जमानत रद्द हो जाएगी।
जमानत नहीं देने के लिए पुलिस ने यह तर्क रखे
पुलिस ने कहा कि माज आदतन अपराधी है उस पर मल्हारगंज थाने और छत्रीपुरा थाने में दो केस है (यह मारपीट जान से मारने की धमकी, आमर्स एक्ट का है)। हिंदू सगंठनों में रोष है और जमानत देने से गलत संदेश जाएगा। वहीं साक्षी महिला की सुरक्षा का सवाल है।
माज की जमानत का आधार बन गई पुलिस की वर्दी
लेकिन कोर्ट ने इसमें साक्षी महिला के बयान को भी देखा जिसमें कहा गया कि पुलिस ने सिविल ड्रेस में कार को रोकने का प्रयास किया था। इस पर कोर्ट ने कहा कि- यदि कोई व्यक्ति सिविल ड्रेस में किसी वाहन को रोकता है तो वाहन चालक के लिए यह अनिवार्य नहीं है कि वह वाहन को रोके। एमएलएसी में आया है कि पुलिसकर्मी दीपक व कैलाश की एमएसली में कोई खास चोट नहीं वहीं संदिग्ध पाउडर की भी जांच रिपोर्ट नहीं आई कि वह क्या है, इसलिए 25 हजार के मुचलके पर जमानत मंजूर की जाती है।
हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि संदिग्घ पाउडर की जांच रिपोर्ट आती है और वह अवैधानिक सामग्री पाई जाती है तो यह जमानत स्वयं समाप्त मानी जाएगी और पुलिस उसे गिरफ्तार करने के लिए स्वतंत्र होगी।