बीजेपी की रणनीति : परिसीमन के बाद से ही जहां हार रही BJP, वहां बागी नेताओं के भरोसे बूथ जीतने की उम्मीद

मध्य प्रदेश के 7 हजार 526 पोलिंग बूथ ऐसे हैं, जहां बीजेपी पिछले 16 साल से लगातार हार रही है। 2008 में हुए परिसीमन के बाद प्रदेश में विधानसभा और लोकसभा के 7 चुनाव हुए हैं। आज हम आपको कुछ ऐसे आंकड़े बताएंगे जिन्हे जानकार आप हैरान रहे जाएंगे...

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Sandeep Kumar
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BHOPAL. मध्य प्रदेश की 29 में 6 लोकसभा सीटों ( Lok Sabha seats ) पर मतदान हो चुका है । पहले चरण के बाद जमीन से मिल रहे संकेतों से पार्टी के अंदर चिंता है। इसलिए बाकी बची सीटों को जीतने के लिए बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। उसने अपना जांचा, परखा फार्मूला लागू कर दिया है। यानी बूथ जीते तो चुनाव जीते... इसीलिए बीजेपी खासतौर से उन लोकसभा सीटों की पोलिंग बूथों ( booths ) को जीतने की तैयारी में जुट गई है, जिसमें पार्टी पिछले 16 साल से लगातार हारती चली आ रही है। प्रदेश के 7 हजार 526 पोलिंग बूथ ऐसे हैं, जहां बीजेपी पिछले 16 साल से लगातार हार रही है। बता दें कि 2008 में हुए परिसीमन के बाद मध्य प्रदेश में विधानसभा और लोकसभा के 7 चुनाव हुए हैं। जिसमें प्रदेश की 7 हजार 526 बूथ ऐसे है, जहां पर पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है। इन बूथों को जीतने के लिए पार्टी ने उन बागी नेताओं पर भरोसा जताया है जो हाल ही में बीजेपी का दामन थाम चुके हैं।

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दिग्गज नेताओं के बूथों पर भी मिली हार

एमपी में बीजेपी को विधानसभा और लोकसभा चुनावों में जिन बूथों पर हार का सामना करना पड़ा है उसमें पार्टी के कई दिग्गज नेता शामिल है । इनमें सीएम डॉ. मोहन यादव की उज्जैन दक्षिण सीट के 16 बूथ, पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान की बुधनी के 6 बूथ, पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के 23 बूथ और विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर की दिमनी सीट के 44 बूथ भी शामिल हैं। बीजेपी के प्रदेश महामंत्री भगवान दास सबनानी का कहना है कि ऐसे बूथों पर माइक्रो लेवल पर कार्यकर्ताओं की नियुक्ति की गई है। हर बूथ पर अर्ध पन्ना प्रभारी बनाए गए हैं।

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हर बूथ पर 370 वोटिंग का टारगेट अब गंभीरता से लागू होगा

दरअसल प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीट जीतने के लिए बीजेपी ने हर बूथ पर 370 वोटिंग का टारगेट तय किया है। 8 लोकसभा सीटों की 7 हजार 526 बूथों को जीतने की जिम्मेदारी बीजेपी हाईकमान ने बागी नेताओं को सौंपी है।

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आदिवासी सीटों पर बीजेपी का सबसे बुरा हाल 

चार विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां आधे से ज्यादा बूथों पर बीजेपी पिछले 4 - 5 चुनावों से हारते आ रही है। बीजेपी सूत्रों की मानें तो ये बूथ ऐसे हैं जहां 2008 के परिसीमन के बाद बीजेपी जीत ही नहीं सकी।

लखनादौन- सिवनी जिले की लखनादौन विधानसभा में करीब 396 मतदान केंद्र हैं। इस विधानसभा में 169 पोलिंग बूथ ऐसे हैं, जहां बीजेपी पिछले 5 चुनावों में कभी नहीं जीत सकी। लखनादौन विधानसभा में 2013 से लगातार कांग्रेस के योगेंद्र सिंह बाबा विधायक चुने जा रहे हैं।

कुक्षी- धार जिले की कुक्षी विधानसभा में करीब 270 मतदान केंद्र हैं। इस विधानसभा में 160 पोलिंग बूथ ऐसे हैं जो बीजेपी पिछले 4 - 5 चुनावों में कभी नहीं जीत सकी। इस सीट पर कांग्रेस के सुरेंद्र सिंह हनी बघेल 2013 से लगातार चुनाव जीत रहे हैं।

डिंडोरी- विधानसभा क्षेत्र में 300 से ज्यादा मतदान केन्द्र हैं। बीजेपी पिछले 4 - 5 चुनावों में इस विधानसभा क्षेत्र के 144 बूथ नहीं जीत सकी। इस सीट पर कांग्रेस के ओमकार सिंह मरकाम लगातार चार बार से चुनाव जीत रहे हैं।

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मंत्रियों की सीट वाली बूथों पर भी मिली हार 

मध्य प्रदेश सरकार के राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा सीहोर जिले की इछावर सीट से 7वीं बार के विधायक हैं। इछावर विधानसभा में करीब 275 मतदान केंद्र हैं। 2008 में हुए परिसीमन के बाद बीजेपी इस विधानसभा क्षेत्र के 35 पोलिंग बूथों पर कभी जीत दर्ज नहीं कर सकी। ऐसे ही सरकार के एमएसएमई मंत्री चैतन्य काश्यप, रतलाम सिटी से तीसरी बार के विधायक हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में 259 मतदान केंद्र हैं। इनमें से 22 पोलिंग बूथों पर बीजेपी चुनाव नहीं जीत पाई।

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