लोकसभा चुनाव में भाजपा का दामन थामने वाले विजयपुर (मुरैना) से 6 बार कांग्रेस से विधायक रामनिवास रावत को मध्यप्रदेश की बीजेपी सरकार में मंत्री बना दिया गया। रावत ने सोमवार को मोहन सरकार के 68वें दिन 19वां कैबिनेट मंत्री की शपथ ली। बस इसी बात को लेकर मध्यप्रदेश बीजेपी में एक बार फिर नाराजगी जाहिर होते दिखी। पार्टी के सबसे वरिष्ठ विधायक गोपाल भार्गव ने कहा कि मैं 15000 दिन से विधायक हूं, पता नहीं रावत को किस मजबूरी में मंत्री बनाया।
पहली बार 20 मिनट में दो बार शपथ
प्रदेश में पहली बार ऐसी घटना हुई जब किसी को 20 मिनट में दो बार शपथ दिलाई। रामनिवास रावत ने राज्य के मंत्री की जगह राज्यमंत्री बोलकर शपथ ली। इस 'के' न बोलने की चूक को पकड़ा तो राज्यपाल ने रावत को दूसरी बार कैबिनेट मंत्री की शपथ दिलाई। रावत को मंत्री बनाने से कई वरिष्ठ बीजेपी नेता नाखुश हैं। उनका कहना है कि जब पार्टी अच्छे बहुमत से सत्ता में है, तो कांग्रेसी को मंत्री बनाने की क्या मजबूरी है। गोपाल भार्गव ने नाराज होते हुए कहा कि मैं 15000 दिन से विधायक हूं, पता नहीं रावत को किस मजबूरी में मंत्री बनाया।
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पहले इस्तीफा देते फिर मंत्री बनतेः तन्खा
कांग्रेस ने भी रामनिवास रावत के शपथ लेने के पहले और बाद में बीजेपी पर हमला किया। विवेक तन्खा ने एक्स पर पोस्ट किया कि रामनिवास जी किस पार्टी के सदस्य रहना चाहते हैं यह आपका डिसीजन है। उचित होता कांग्रेस से निर्वाचित विधायक पद से पहले इस्तीफा देते फिर मंत्री बनते। शाम को रावत ने सफाई दी कि वे 5 जुलाई को विस सचिवालय इस्तीफा भेज चुके हैं। विधानसभा सचिवालय के प्रमुख सचिव एपी सिंह ने कहा कि रावत का इस्तीफा सोमवार शाम मिला, जिसे स्पीकर ने स्वीकार कर लिया।
6 माह में चुनाव जीतना होगा
चंबल संभाग के श्योपुर, मुरैना और शिवपुरी में रावत समाज का वर्चस्व है और यहां रामनिवास रावत का खासा प्रभाव है। रामनिवास ओबीसी समुदाय से आते हैं। उनकी सौम्य छवि और समाज में खासे प्रभाव का बीजेपी को लोकसभा चुनाव में फायदा मिला। रावत को इस्तीफे के बाद अब 6 माह में चुनाव जीतकर फिर सदन पहुंचना होगा।