बीएमएचआरसी रेडिएशन से बचाव में निभाएगा अहम भूमिका, देश के छह प्रमुख संस्थानों में हुआ चयन

भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (बीएमएचआरसी) को नेटवर्क में शामिल किया गया है। यह नेटवर्क रेडिएशन आपातकाल में मदद करेगा। बीएमएचआरसी की लैब अब रेडिएशन से कोशिकाओं के नुकसान का पता लगाएगी।

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Sandeep Kumar
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BHOPAL. भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (बीएमएचआरसी) को एक बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि मिली है। इसे अब इंडियन बायोडोसिमीट्री नेटवर्क में शामिल किया गया है। यह नेटवर्क रेडिएशन आपातकाल की स्थिति में लोगों की मदद के लिए बनाया गया है।

बायोडोसिमीट्री नेटवर्क का महत्व

यह नेटवर्क भारत में रेडिएशन के खतरों से निपटने और आपातकालीन स्थितियों में उपचार देने के लिए तैयार किया गया है। देशभर से केवल छह संस्थानों को चुना गया है, और बीएमएचआरसी इनमें एक महत्वपूर्ण नाम बनकर उभरा है। इसके अलावा, चेन्नई, दिल्ली, लखनऊ, मंगलूरु और कलपक्कम जैसे प्रतिष्ठित संस्थान भी इस नेटवर्क का हिस्सा हैं। इस पहल का नेतृत्व भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) कर रहा है, जो भारतीय परमाणु ऊर्जा क्षेत्र का प्रमुख संस्थान है।

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बीएमएचआरसी की लैब

बीएमएचआरसी के शोधकर्ता रविंद्र एम. समर्थ ने बताया कि उनकी लैब आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करती है। इसमें डायसेंट्रिक क्रोमोजोम अस्से और माइक्रोन्यूक्लियस अस्से शामिल हैं। इन तकनीकों से खून की जांच कर यह पता लगाया जा सकता है कि रेडिएशन से कोशिकाओं को कितना नुकसान हुआ है।

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यह तकनीक तब प्रभावी होती है जब परमाणु संयंत्र में दुर्घटना हो, रेडिएशन उपकरणों में खराबी आए, या रिसाव हो। रेडिएशन का सबसे बड़ा प्रभाव शरीर की कोशिकाओं में मौजूद c पर पड़ता है। ये क्रोमोज़ोम्स टूट सकते हैं, जुड़ सकते हैं या उनका आकार बदल सकता है, जिससे शरीर को गंभीर नुकसान हो सकता है।

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 BMHRC की लैब का योगदान

अब बीएमएचआरसी की लैब ऐसे मामलों में अन्य बड़ी प्रयोगशालाओं के साथ मिलकर काम करेगी। इसका उद्देश्य अधिक प्रभावी और सटीक जानकारी प्राप्त करना है।

बीएमएचआरसी की सफलता

बीएमएचआरसी की प्रभारी निदेशक मनीषा श्रीवास्तव ने कहा कि बीएमएचआरसी को इस नेटवर्क में शामिल किया जाना गर्व की बात है। इससे मध्य भारत के लोग, विशेष रूप से भोपाल के निवासी, रेडिएशन से संबंधित आपात स्थिति में बीएमएचआरसी पर निर्भर रह सकेंगे।

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