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Photograph: (the sootr)
JABALPUR. MP के जबलपुर में हिस्ट्रीशीटर अपराधी अब्दुल रज्जाक की दहशत थी। इसका आलम यह था कि सरकारी अधिकारी भी उससे डरते थे। उसके इन्वेस्टमेंट वाली जगह पर नियम कानून के तहत कार्यवाही करने से कांपते थे।
अब इसी से जुड़ा हुआ एक ऐसा ही एक मामला सामने आया है। इस मामले में बिना किसी परमिशन के एक डायग्नोस्टिक सेंटर ऑपरेट किया जा रहा था। यह सेंटर अब्दुल रज्जाक की नाम की दहशत पर चल रहा था।
बिना डॉक्टर की निगरानी में इलाज
शहर के बीचों-बीच, डीएन जैन कॉलेज के पास यह सेंटर वर्षों से संचालित था। सुप्रा डायग्नोस्टिक सेंटर और कॉस्मेटिक हब को आखिरकार जिला प्रशासन ने सील कर दिया है। मुख्य स्वास्थ्य और चिकित्सा अधिकारी (CMHO) की लापरवाही से यहां अवैध गतिविधियां चल रही थीं।
इन अवैध गतिविधियों के माध्यम से खुलेआम मरीजों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा था। निरीक्षण के दौरान खुलासा हुआ कि यहां गंभीर बीमारियों के सीटी स्कैन और एमआरआई जैसे टेस्ट होते थे। टेस्ट तो ठीक है, लेकिन बिना एमबीबीएस डॉक्टर की निगरानी में ये सब हो रहा था। इतना ही नहीं, टेक्निकल स्टाफ भी प्रशिक्षित नहीं था।
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तीन घंटे की जांच, एक भी डॉक्टर नहीं मिला
जिला प्रशासन की संयुक्त टीम ने नोडल अधिकारी डॉ. आदर्श बिश्नोई और सीएसपी कोतवाली शिव कुमार के नेतृत्व में छापा मारा। इस दौरान संस्थानों के चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। जांच टीम ने तीन घंटे तक दोनों संस्थानों का निरीक्षण किया। जहां एक भी एमबीबीएस डॉक्टर वहां मौजूद नहीं मिला।
मरीजों के सीटी स्कैन और एमआरआई जैसे अति संवेदनशील परीक्षण गैर-तकनीकी और अप्रमाणित स्टाफ से करवाए जा रहे थे। यह न केवल चिकित्सा मानकों का उल्लंघन है, बल्कि यह मरीजों की जिंदगी के साथ सीधा खिलवाड़ है।
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5 पॉइंट में समझें पूरी खबरसुप्रा डायग्नोस्टिक सेंटर और कॉस्मेटिक हब सील: जबलपुर के सुप्रा डायग्नोस्टिक सेंटर और कॉस्मेटिक हब को सील कर दिया है। इन सेंटर्स पर बिना एमबीबीएस डॉक्टर के गंभीर बीमारियों का इलाज हो रहा था। निगरानी में बिना डॉक्टर के टेस्ट: तीन घंटे की जांच में सामने आया कि इन संस्थानों में बिना डॉक्टर की निगरानी और गैर-प्रशिक्षित स्टाफ से काम कराया जा रहा था। इस तरह का कार्य मानकों का उल्लंघन था। यहां अवैध रूप से सीटी स्कैन और एमआरआई जैसे संवेदनशील टेस्ट हो रहे थे। कॉस्मेटिक हब का पंजीकरण नहीं था: जांच में यह पाया गया कि कॉस्मेटिक हब का पंजीकरण नहीं था। यहां इलाज कर रहे डॉक्टर की डिग्री भी नेशनल मेडिकल कमीशन से मान्यता प्राप्त नहीं थी। अब्दुल रज्जाक गैंग की फंडिंग: सुप्रा डायग्नोस्टिक सेंटर और कॉस्मेटिक हब अब्दुल रज्जाक गैंग की अवैध कमाई से चल रहे थे। पुलिस उसकी अवैध संपत्तियों की जांच कर रही है। इसमें अस्पताल और डायग्नोस्टिक सेंटर शामिल हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी पर सवाल: मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMHO) की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। उनके रहते वर्षों तक इन अवैध संस्थानों पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई। |
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बिना रजिस्ट्रेशन का कॉस्मेटिक हब
जांच में यह भी सामने आया कि कॉस्मेटिक हब में सौंदर्य संबंधित इलाज किया जा रहा था। जबकि उक्त इलाज के लिए कोई पंजीयन मौजूद नहीं मिला। वहीं वहां इलाज कर रहे डॉक्टर की डिग्री नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) से मान्यता प्राप्त नहीं है। ऐसे में, यह स्पष्ट है कि मरीजों के साथ धोखा कर उन्हें गैरकानूनी इलाज की भेंट चढ़ाया जा रहा था।
जिला प्रशासन ने दोनों संस्थानों को तत्काल प्रभाव से सील कर दिया है। संचालक मोहम्मद शहबाज के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई शुरू कर दी गई है। पुलिस भी अब मेडिकल फ्रॉड की इस चेन को खंगालने में जुट गई है।
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अब्दुल रज्जाक गैंग की फंडिंग से चल रहा डायग्नोस्टिक सेंटर
दिलचस्प बात यह है कि सुप्रा डायग्नोस्टिक सेंटर और कॉस्मेटिक हब की जांच की है। साथ ही जबलपुर पुलिस ने हिस्ट्रशीटर अब्दुल रज्जाक की संपत्तियों पर भी शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। हाल ही में उसके कई गुर्गे गिरफ्तार किए गए है। इसके बाद पुलिस अब उसकी अवैध कमाई से की गई संपत्तियों की जांच में जुट गई है।
सूत्रों की मानें तो अब्दुल रज्जाक ने जबलपुर, कटनी, सिहोरा, नरसिंहपुर और करेली में कई संपत्तियों में इन्वेस्टमेंट किया है। इन संपत्तियों में खदानें, पेट्रोल पंप, अस्पताल और डायग्नोस्टिक सेंटर तक शामिल हैं।
अब सवाल उठ रहा है कि क्या मोहम्मद शहबाज द्वारा संचालित सुप्रा डायग्नोस्टिक सेंटर भी अब्दुल रज्जाक की ब्लैक मनी से खड़ा किया गया था?
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बड़े नेटवर्क पर पुलिस की अगली कार्रवाई
जबलपुर पुलिस अब इस पूरे नेटवर्क को खंगालने में जुट गई है। अधिकारियों का कहना है कि अवैध वसूली और फिरौती से अर्जित संपत्ति पर कार्रवाई तेज की जाएगी। कुख्यात हिस्ट्रीशीटर अब्दुल रज्जाक का डायग्नोस्टिक और हेल्थ सेक्टर सहित माइनिंग, रियल एस्टेट और पैट्रोलियम इंडस्ट्री में निवेश भी जांच के घेरे में है।
यदि सुप्रा सेंटर से कोई संबंध साबित होता है, तो यह मामला सिर्फ मेडिकल फ्रॉड का नहीं, बल्कि संगठित अपराध और मनी लॉन्ड्रिंग का भी बन सकता है।
जबलपुर के CMHO पर भी खड़े हुए सवाल
इस पूरे मामले में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। वर्षों से अवैध रूप से संचालित हो रहे इन संस्थानों पर अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई? क्या इसमें प्रशासनिक संरक्षण था या लापरवाही की हदें पार हो गई थीं?
अगर जमीनी हकीकत की बात करें तो अब्दुल रज्जाक का नाम ही हर तरह की परमिशन के लिए काफी था, क्योंकि जेल में रहते हुए भी इस अपराधी का खौफ प्रशासनिक अधिकारियों तक फैला हुआ था।
जांच की आंच और तेज होगी
यह घटना प्रशासनिक विफलता को उजागर करती है। साथ ही दिखाती है कि कैसे अपराधी और फर्जी डॉक्टरों का गठजोड़ जनता की सेहत से खिलवाड़ कर रहा है। अब देखना यह होगा कि पुलिस और जिला प्रशासन इन अवैध संस्थाओं पर कितनी गहराई से कार्रवाई करता है। क्या अब्दुल रज्जाक के नेटवर्क को पूरी तरह बेनकाब किया जा सकेगा या नहीं?
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