सुप्रीम कोर्ट में चल रहे OBC आरक्षण केस के बीच ओबीसी महासभा ने 13 % पद पर नियुक्ति के लिए दी चेतावनी
मध्यप्रदेश में 27% ओबीसी आरक्षण को लेकर 100 से ज्यादा याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में चल रही हैं। 2019 से मामला लंबित है और 87-13% का फार्मूला लागू है। ओबीसी महासभा ने इसे लेकर अब फिर से विरोध शुरू किया है।
INDORE.मप्र में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण के संबंध में 100 से ज्यादा याचिकाएं लगी है और इसमें सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। साल 2019 से यह मामला लंबित है। इसके चलते मप्र शासन ने 87-13 फीसदी का फार्मूला लागू करते हुए हर भर्ती विज्ञापन के 13 पद होल्ड किए हुए हैं।
राज्य सेवा परीक्षा 2019 से अभी तक की विविध पीएससी, ईएसबी परीक्षाओं में हजारों पद होल्ड है। इसे लेकर अब ओबीसी महासभा ने फिर मोर्चा खोला है।
ओबीसी महासभा ने हर जिले में दिया ज्ञापन, दी चेतावनी
ओबीसी महासभा (जिसका प्रदेश कार्यालय अशोकनगर में हैं) द्वारा हर जिले में एक साथ ज्ञापन देने का आयोजन किया गया। पीएम, सीएम के साथ ही राष्ट्रीय व राज्य पिछड़ा वर्ग आयोज के अध्यक्ष के नाम पर यह ज्ञापन दिया गया है।
इसमें कहा गया है कि 13 फीसदी होल्ड पद पर 15 दिन के अंदर ओबीसी अभ्यर्थियों की नियुक्तियां दी जाएं। मप्र में 27 फीसदी आरक्षण लागू किया जाए और जातिगत जनगणना भी की जाए। यदि 15 दिन में इन मांगों का निराकरण नहीं हुआ तो ओबीसी महासभा ने 28 जुलाई को भोपाल में मुख्यमंत्री निवास घेराव की चेतावनी दी है।
ओबीसी महासभा की चेतावनी, 4 पॉइंट्स में समझें पूरी खबर
सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई: मप्र में 27% ओबीसी आरक्षण के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में 100 से ज्यादा याचिकाएं लंबित हैं। राज्य सरकार ने 87-13 फीसदी का फार्मूला लागू किया है, जिससे भर्ती विज्ञापनों में 13% पद होल्ड किए गए हैं।
ओबीसी महासभा का विरोध: ओबीसी महासभा ने प्रदेशभर में ज्ञापन देकर 13% होल्ड पदों पर 15 दिन में ओबीसी अभ्यर्थियों की नियुक्तियां करने की मांग की है।
28 जुलाई को घेराव की चेतावनी: महासभा ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों का समाधान नहीं हुआ, तो 28 जुलाई को भोपाल में मुख्यमंत्री निवास घेराव किया जाएगा।
संविधानिक अधिकारों की मांग: ओबीसी महासभा ने कहा कि 1931 के बाद से ओबीसी जनसंख्या के आंकड़े अपडेट नहीं हुए हैं, और 27% आरक्षण लागू होने के बावजूद 6 साल से 13% पद होल्ड हैं।
ज्ञापन में यह भी लिखा गया
ओसीबी महासभा ने कहा कि हम गैर संवैधानिक संस्था है और ओबीसी को संवैधानिक अधिकार दिलाने के लिए सक्रिय है। ओबीसी की जनसंख्या के आंकड़े साल 1931 से ही अपडेट नहीं किए गए हैं, 75 साल बाद भी जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया। मप्र में 27 फीसदी आरक्षण लागू होने और एक्ट पास होने पर भी 6 साल से 13 फीसदी होल्ड है।