दबे पांव चली गईं छुट्टियां त्योहार की...। अब चौकस और फोकस हो जाइए साहब! डॉक्टर साहब अब बड़े और कुछ कड़े फैसले लेने के मूड में आ गए हैं। पिछले दिनों अफसरों को सस्पेंड करके उन्होंने सिर्फ टीजर जारी किया है, ट्रेलर और फिल्म अब रिलीज होगी।
आगे की खबर यह है कि पर्व की इस बेला में जहां सब गिले शिकवे भुला रहे थे, वहीं दो माननीय आपस में झगड़ गए। अबोला हो गया दोनों में। अबोला से याद आया, नए DGP को लेकर कोई कुछ नहीं बोल रहा है। अफसर भी चुप हैं, क्योंकि हाल के कुछ फैसलों से ये माना जाने लगा है कि जिसका नाम उछला, समझो उसका पत्ता कट गया। श्रॉफ के चर्चे भी खाकी में खूब हो रहे हैं। उधर, लापता मैडम ने सबको घुमाकर रख दिया है। दो मंत्री इन मैडम के लिए उलझे हुए हैं और वह खुद छुट्टी पर हैं- बिल्कुल बॉलीवुड की किसी थ्रिलर फिल्म की तरह!
खैर, देश प्रदेश में खबरें तो और भी हैं, पर आप तो सीधे नीचे उतर आइए और बोल हरि बोल के रोचक किस्सों का आनंद लीजिए।
बोल हरि बोल : मंत्रीजी और पीएस में ठनी, बड़े साहब की मीटिंग-मीटिंग
और जब लड़ लिए दो माननीय...
आयोजन प्रयोजन कोई भी हो, नेताओं को अटेंशन चाहिए होता है। अब इसी मसले को देख लीजिए…वर्चस्व की जंग में दो माननीय लड़ पड़े। दरअसल, हेलीपैड पर डॉक्टर साहब का स्वागत करने दो विधायक पहुंचे थे। एक ने दूसरे से कहा, आपके इलाके तक ठीक है, लेकिन यहां क्यों घुसे हैं? दूसरे ने जवाब दिया, आप मुझसे प्रेम से बात करो। पहले ने जवाब में कहा, आप मुझसे भी प्रेम से बात करो, और फिर एक्स मिनिस्टर साहब ने घोषणा कर दी, मैं बात ही नहीं करूंगा। यह घटनाक्रम देखकर कार्यकर्ता अवाक रह गए। उन्हें समझ ही नहीं आया कि क्या किया जाए। आखिरकार डॉक्टर साहब आए और चले भी गए, पर दोनों माननीयों में बात नहीं हुई। आपको बता दें कि यह घटनाक्रम मालवा अंचल का है। एक माननीय पहले मंत्री भी रह चुके हैं।
हम तो यही कहेंगे भैया कि...
दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे
जब कभी हम दोस्त हो जाएं तो शर्मिंदा न हों।
कौन बनेगा DGP, DGP कौन बनेगा!
MP में इन दिनों होली कब है…कब है होली वाली स्टाइल में काम चल रहा है। अब देखिए ना, मुख्य सचिव की पहेली आखिरी वक्त तक कोई सुलझा नहीं पाया। दूसरा कोई तो छोड़िए, खुद दावेदार भी लास्ट मूवमेंट पर झटका खा गए। अब बारी नए डीजीपी की है। दावेदार अपने-अपने हिसाब से गुणा भाग कर रहे हैं। कोई अपने मैनेजमेंट के दम पर अपनी पुख्ता दावेदारी बता रहा है तो कोई सीनियरटी के आधार पर ताल ठोक रहा है। अब बड़ा सवाल यहां भी यही है कि हकीकत में डीजीपी बनेगा कौन? अभी तो कोई भी तुर्रम खां दावा नहीं कर पा रहा है। हालांकि सिंह साहब और शर्मा जी में रेस लगी है। समय ही बताएगा की कौन बाजी मारेगा? वैसे 30 नवंबर अब दूर नहीं है।
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ये श्रॉफ कौन है भाई
अरे आप कहीं श्रॉफ का नाम पढ़कर कन्फ्यूज तो नहीं हो गए? हम जैकी दादा या उनके बेटे टाइगर श्रॉफ की बात नहीं कर रहे। हम तो पुलिस अफसर के लाइजनर दोस्त श्रॉफ की बात कर रहे हैं। सुना है, श्रॉफ को वाटर स्पोर्ट्स की बोट का ठेका दिलाने के लिए एडीजी साहब खुद डीजी साहब के पास गए थे। सिफारिश भी कुछ पर्सनल थी, तो डीजी भावना में बह गए और एडीजी के लाइजनर दोस्त के कहे अनुसार टेंडर जारी कर दिया। बताया जा रहा है कि इस टेंडर में जो बोट मांगी गई है, वो आउट ऑफ डेट हो गई है। शिकवे शिकायत होने लगे तो डीजी साहब ने एडीजी को फोन लगाकर कह दिया कि क्यों बैठे बिठाए आफत मोल दिलवा दी? पता है ना, अभी मेरा नाम डीजीपी की दौड़ में चल रहा है। आपको बता दें कि डीजी साहब भले आदमी हैं, लेकिन उनकी इस खूबी का फायदा एडीजी उठा ले गए। अब देखते है टेंडर का क्या होता है?
कॉफी शॉप पर वसूली का प्लान
मदिरा से कैसे ज्यादा से ज्यादा उगाही की जाए, इसके लिए विभाग के बड़े अफसरों के साथ बनाया जा रहा है। इसका ब्लू प्रिंट तैयार करने के लिए आजकल भोपाल के दस नंबर मार्केट स्थित ब्रांडेड कॉफी शॉप पर मीटिंग्स हो रही हैं। अंदर खानों की मानें तो ये करोड़ों की ब्रांडेड शॉप भी इन्हीं साहब लोगों की बेनामी संपत्ति का हिस्सा है। इसलिए साहब लोग सारा काला पीला करने का प्लान यहीं बैठकर बनाते हैं, लेकिन साहब लोग भूल गए कि दीवारों के भी कान होते हैं। लो साहब अब बात आ गई ना बाजार में... अब ये दूर तलक जाएगी।
एसीएस मार रहे हाथ-पैर
मंत्रालय में वापसी के लिए एक एसीएस जमकर हाथ-पैर मार रहे हैं। इन दिनों ये साहब भोपाल से इंदौर और उज्जैन जमकर दौड़ लगा रहे हैं। बताते हैं कि एसीएस साहब को बड़ी मेहनत के बाद अब जाकर कोई भरोसेमंद आदमी मिला है, जिसने भरोसा दिलाया है कि उनकी मंत्रालय के मलाईदार महकमे में वापसी होगी। अब इस बात में कितना दम है, इसका खुलासा अगले 15 दिनों में हो जाएगा।
मैडम, मंत्री जी और...
दो पतियों वाली मैडम से आला अफसर भी परेशान हैं। किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा कि आखिर किया क्या जाए। क्योंकि मैडम की कहानी में कई झोल हैं। ट्रांसफर हुए लंबा समय बीत गया पर अब तक भी मैडम ने नए विभाग में आमद नहीं दी है। अव्वल तो पुराना कॉपी किताब वाला विभाग असली मैडम और नकली मैडम तक की पहचान नहीं कर पाया और गेंद पैसों वाले डिपार्टमेंट को पास कर दी। अब पैसों वाले महकमे के तो क्या ही कहने। वहां भी कोई लोड नहीं ले रहा है। आपको बता दें कि इन्हीं मैडम को लेकर सूबे के दो माननीय आपस में भिड़ गए हैं। एक मंत्री जी ने तबादला किया तो दूसरे इसे रुकवाने पर आमदा हैं। इन सबके बीच मैडम हैं कि छुट्टी पर चली गईं हैं। किसी को उनकी खबर नहीं है।
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