अफसरशाही और नेतानगरी में ड्रामा, रसूख और टकराव की कहानियां खत्म ही नहीं होतीं। अब देखिए न, मंत्रीजी की तुनक मिजाजी, बड़े साहब की लंबी-लंबी मीटिंग्स, गेस्ट हाउस के बिल को लेकर साहब का 'फाइनेंशियल ज्ञान' और पॉवर मिनिस्टर के ठहरने का संघर्ष...ऐसे कई दिलचस्प किस्से इन दिनों चर्चा में हैं।
कहीं मंत्रीजी की अपने ही प्रमुख सचिव से रार ठन गई है तो कहीं जंगल महकमे के मंत्रीजी से भी ज्यादा जलवा उनके करीबी का है। दिल्ली वाले एमपी भवन में तबादले की सरगर्मी और एक साहब की फीकी विदाई पार्टी के साथ के चर्चे भी खूब चल रहे हैं।
कहानी तो कांग्रेस से भी निकली है। ताजा तरीन सूची को कोई जीतू की जीत बता रहा है तो जलने वाले इसे वर्चस्व से जोड़कर देख रहे हैं। देश- दुनिया में खबरों का पूरा पिटारा भरा है। हम आपके लिए लेकर आए हैं, चुनिंदा रोचक कहानियां... तो जनाब, सीधे नीचे उतर जाइए और बोल हरि बोल के रोचक किस्सों का आनंद लीजिए।
पीएस से परेशान मंत्रीजी
डॉक्टर साहब की कैबिनेट के एक कद्दावर मंत्री इन दिनों खासे परेशान हैं। इसकी मुख्य वजह हैं विभाग के प्रमुख सचिव, जो मंंत्री के हिसाब से नहीं चल रहे हैं। मंत्रीजी परेशान होकर दाएं-बाएं से डॉक्टर साहब तक खबरें पहुंचा रहे हैं कि प्रमुख सचिव को नहीं हटाया तो वे इस्तीफा दे देंगे। मंत्री चाहते तो अपनी बात सीधे मुख्यमंत्री के सामने रख सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। मंत्री और उनके प्रमुख सचिव दोनों ही बड़े खिलाड़ी हैं। अब आप जानना चाहेंगे कि आखिर वो मंत्री कौन है, हम आपको बता दें कि इन्हें बड़बोले मंत्री के नाम से जाना जाता है। बड़बोलेपन में वे तत्कालीन मुख्यमंत्री की पत्नी के बारे में भी अंट- शंट बोल गए थे, मामला बढ़ा तो फिर माफी मांगी। प्रमुख सचिव की भी जान लीजिए। ये सागर कलेक्टर रहते हुए खासे चर्चा में आए थे, इनकी पत्नी ने सोशल मीडिया पर इन पर प्रताड़ना का आरोप लगाया था।
मीटिंग- मीटिंग खेल रहे साहब
ये कुछ- कुछ वैसा ही है, जैसा पंचायत वेबसीरीज में मीटिंग- मीटिंग…अलगुआ वाला डायलॉग है। दरअसल, बड़े साहब की मीटिंग का मैसेज आते ही अपर मुख्य सचिव और प्रमुख सचिवों के पसीने छूट जाते हैं। दरअसल, जो मीटिंग 10-15 मिनट में खत्म हो जानी चाहिए, वो दो- दो घंटे तक चलती है। अब दिवाली का समय है, ऐसे में अफसरों से लोग मिलने आ रहे हैं। उधर, साहब हैं कि मीटिंग पर मीटिंग किए जा रहे हैं। शनिवार को छुट्टी वाले दिन अफसरों ने लोगों को दिवाली मिलन के लिए समय दिया था, पर इसी बीच बड़े साहब ने कई अफसरों को मीटिंग के लिए बुलाकर उनके दिन की बैंड बजा दी।
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साहब की जिद... नहीं दूंगा पूरा एचआरए
प्रदेश के वित्त विभाग में सचिव के पद पर पदस्थ रहे साहब हाल ही में केन्द्र सरकार में डेपुटेशन पर गए हैं। साहब को केन्द्र सरकार से अभी बंगला नहीं मिला है, तो ऐसे में वे ऊर्जा विभाग के गेस्ट हाउस में ठहरे हुए हैं। जब साहब से गेस्ट हाउस ने कमरे में ठहरने का किराया मांगा तो वे बोले, मैं वित्त विभाग में रहा हूं। मुझे नियम पता हैं। मैं सरकार से मिलने वाले हाउस रेंट अलाउंस का आधा पैसा ही दूंगा। साहब को समझाया गया कि इससे पहले जितने भी अफसर ठहरे हैं, वे एचआरए का पूरा पैसा देते रहे हैं।
इतना ही नहीं फायनेंस विभाग के प्रमुख सचिव रहे मनोज गोविल ने भी पूरा एचआरए दिया था, इसी से गेस्ट हाउस का खर्चा चलता है। अब नए साहब तो मान ही नहीं रहे। बता रहे हैं कि गेस्ट हाउस के प्रबंधन ने इस पूरे मामले में अपने विभाग के सीनियर अफसरों से मार्गदर्शन मांगा है कि वो इन जिद्दी साहब का क्या करें?
पॉवर मिनिस्टर का पॉवर काम नहीं आया
दिल्ली प्रवास पर गए पॉवर मिनिस्टर प्रद्युम्न सिंह तोमर नाराज बताए जा रहे हैं। दरअसल, उन्हें एमपी भवन में कमरा नहीं मिला था। एमपी भवन के अफसरों ने उन्हें दो टूक कह दिया कि कमरे रिजर्व हैं, इस पर माननीय ने कहा कि पहली प्राथमिकता सीएम और मिनिस्टर की होना चाहिए, लेकिन बात नहीं बनी। इस पर मजबूरन उन्हें अपने विभाग के गेस्ट हाउस में ठहरना पड़ा। अब भला मंत्रीजी किसे बताएं कि उनका पॉवर नहीं चल पाया। दु:खी मन से ही सही, वे गेस्ट हाउस में ठहर गए।
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गुर्जर का जलवा मंत्री से ज्यादा
जंगल महकमे के मंत्रीजी से ज्यादा जलवा उनके करीबी राजेन्द्र गुर्जर का बताया जा रहा है। हालात यह हैं कि मंत्री की बात को एक बार आईएफएस इधर- उधर की बात करके टाल देते हैं, पर गुर्जर का फोन जाते ही काम हो जाता है। अरे भई, हो भी क्यों न... किस अफसर को मलाई का जिम्मा देना है, किसे अंधेरे कोने में बैठाना है, ये सब गुर्जर के कहने पर फाइनल होता है। ऐसे में जो अफसरों को इधर- उधर करने का पॉवर रखता है, असली में मंत्री तो वो ही होता है। मंत्रीजी भी गुर्जर से प्रसन्न हैं। उनके सारे काम जो हो जाते हैं। खैर वो फिलहाल चुनाव में व्यस्त हो गए हैं, क्योंकि जीतेंगे तो ही मंत्री बने रहेंगे, तब तक विभाग गुर्जर साहब संभाल ही रहे हैं।
फीकी रही साहब की विदाई पार्टी
एमपी भवन के आवासीय आयुक्त की विदाई पार्टी की चर्चा मंत्रालय में है। बताया जा रहा है कि सबसे संबंध बनाए रखने में माहिर साहब की अंतिम विदाई पार्टी फीकी रही। ये पार्टी खुद साहब ने अरेंज की थी। एक आईपीएस अफसर ने बढ़- चढ़कर पूरा कार्यक्रम बनाया था। उम्मीद थी कि दिल्ली में पदस्थ एमपी कॉडर के सभी अफसर और रिटायर अधिकारी पार्टी में शामिल होंगे, लेकिन गिने- चुने अफसर ही पहुंचे। हालांकि कुछ साहब के करीबी अफसर दिवाली के अवसर पर दिल्ली में ट्रैफिक ज्यादा होने की बात कहकर साहब की विदाई पार्टी को कवर करने में लगे हैं।
साहब से पहले पहुंचा उनका खौफ
एमपी भवन के आवासीय आयुक्त 31 अक्टूबर को रिटायर हो रहे हैं। ऐसे में उनकी जगह मध्यप्रदेश के एक तेज तर्रार अफसर को भेजा जाना तय हो गया है। इन साहब का नाम आते ही एमपी भवन में सालों से डेपुटेशन पर जमे अफसरों की नींद उड़ी हुई है। हाल ये है कि वर्तमान साहब की विदाई पार्टी में एमपी से आने वाले साहब की चर्चा ही होती रही। हर कोई जानने की कोशिश कर रहा था कि उन्हें कैसे हैंडल विथ केयर रखा जाए। क्योंकि कई अफसरों ने तो सेटिंग जमाकर सालों से अपनी दुनिया दिल्ली में बसा रखी है। ऐसे में तुनक मिजाज वाले नए साहब के साथ पटरी बैठाना उनके लिए तनाव का कारण बना हुआ है।
क्या कमलनाथ से जीतू का बैर है...
10 महीने के लंबे इंतजार के बाद पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने अपनी टीम का ऐलान कर दिया है। इसमें कहीं निराशा है तो कहीं मिठाई बंट रही हैं। इस सूची में एक तथ्य बड़ा खास है। क्या है कि 177 सदस्यों वाली इस जम्बो लिस्ट में दिग्विजय सिंह हैं और उनके बेटे जयवर्धन सिंह भी। कांतिलाल भूरिया का नाम है और उनके बेटे विक्रांत का भी। अरुण यादव का नाम है और उनके भाई सचिन यादव भी शामिल हैं। लिस्ट में कमलनाथ का नाम है, पर उनके बेटे नकुलनाथ का नाम नहीं… बस यहीं विरोधियों को मौका मिल गया है। बीजेपी कह रही है कि जीतू पटवारी दिग्गज कांग्रेस नेता कमलनाथ से बैर रखते हैं।
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