इस साल करवा चौथ और संडे एक ही दिन आन पड़े हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो व्रत और वर्क फ्रॉम होम एक साथ टकरा गए हैं। यूं तो अमूमन संडे यानी घर में आलस का व्रत, टीवी पर मनोरंजन और पेट भरने का सतत प्रयास, लेकिन आज संडे फन डे नहीं, व्रत वाला डे है। ये तो हुई घोर सरकारी मानसिकता वाले लोगों की आपबीती।
अब दूसरे नजरिए से देखें तो आज का संडे खुशनुमा है। ठंडी बयार बह रही है। व्रत रखने वाले सभी घर पर हैं, पकवान बन रहे हैं और उमड़ रहा है ढेर सारा प्रेम...स्नेह...समर्पण...। करवा चौथ की इस बेला में सूबे की नौकरशाही और अफसरशाही से कुछ लव स्टोरीज भी सामने आई हैं।
राजधानी भोपाल में दो पतियों वाली महिला अफसर की कहानी ने दो मंत्रियों को आमने-सामने ला दिया है। एक ने उन्हें फटाफट कार्यमुक्त कर दिया, तो दूसरे मंत्री साहब को गुस्सा आ गया। अब दोनों में ठन गई है। फार्मेसी वाले दफ्तर में बिना ब्याही मां बनने वाली महिला अफसर को लेकर कानाफूसी तेज है।
इस हफ्ते नौकरशाही का अखाड़ा भी बड़े दिलचस्प मोड़ पर आ पहुंचा है। नए साहब ने हॉट सीट पर बैठते ही पूरे मंत्रालय को 'बारीक पिसाई' में डाल दिया है। इधर, टेंधन के इस दौर में प्रमोटी IAS अफसरों को अटेंशन चाहिए है। खैर, देश प्रदेश में खबरें तो और भी हैं पर आप तो सीधे नीचे उतर आईए और बोल हरि बोल के रोचक किस्सों का आनंद लीजिए।
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बड़े साहब और बारीक पिसाई
हॉट सीट पर नए साहब क्या बैठे, पूरा मंत्रालय चक्करघिन्नी हो गया है। वे हर काम में बारीक पिसाई कर रहे हैं। अधीनस्थ अफसरों को परेशानी इस बात से है कि बड़े साहब काम कम करते हैं और ज्ञान ज्यादा पेलते हैं। अब देखिए ना, कैबिनेट की संक्षेपिका से लेकर हर फाइल में टीका टिप्प्णी लगकर आ रही है। ऐसे में अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिव स्तर के अफसरों का कहना है कि उनकी आधी एनर्जी साहब की टीका टिप्पणी सही करने में खर्च हो जाती है। यही हालात रहे तो आने वाले समय में फाइलों की गति धीमी हो सकती है। अब क्या करें, साहब भी अभी जोश में हैं, लिहाजा...इतना तो बनता है।
तुम मुझे पंत कहो, मैं तुम्हे निराला
कहावतें हमारी जिंदगी में घटने वाले लम्हों पर ही बनाई गई हैं, ऐसी ही एक कहावत है... 'तुम मुझे पंत कहो, मैं तुम्हे निराला...।' यह पंक्ति इन दिनों सूबे के दो आला अफसरों पर सटीक बैठ रही है। ये हम नहीं कह रहे, बल्कि हर दूसरे कलेक्टर और एसपी साहब कह रहे हैं। दरअसल, बड़े साहब ने कलेक्टर-एसपी कॉन्फ्रेंस बुलाई थी, इसमें खाकी वाले मुखिया भी पहुंचे। बैठक में बड़े साहब खाकी वाले साहब को सर-सर कहते नजर आए और खाकी वाले साहब बड़े साहब के कसीदे पढ़ते दिखे। इसे देखकर एसपी हैरान थे कि पहली बार हॉट सीट पर बैठने वाले बड़े साहब हमारे मुखिया को सर-सर कह रहे हैं तो उधर, कलेक्टर मजे ले रहे थे कि खाकी वाले साहब जिस तरह से बड़े साहब की तारीफ कर रहे हैं, ऐसा लगता है कि पूरी अमूल की टिकिया लेकर आए हैं।
टेंशन के दौर में हर कोई चाहता है अटेंशन
टेंशन के इस दौर में अटेंशन कौन नहीं चाहता, आपका भी हमारी तरह जवाब होगा कि सभी चाहते हैं। यहां भी कुछ ऐसा ही मसला है। क्या है कि दिसंबर में आईएएस मीट होने वाली है, ऐसे में प्रमोटी आईएएस अफसर चाहते हैं कि उन्हें भी पूरी तवज्जो मिले। इसके पीछे वजह यह है कि डायरेक्ट और प्रमोटी आईएएस अफसरों के बीच बड़ी खाई है। साल—दर—साल यह बढ़ती ही जा रही है। अब हाल ही में राज्य प्रशासिनक सेवा संघ के चुनाव में प्रमोटी राप्रसे अधिकारी राजेश गुप्ता को अध्यक्ष और डायरेक्ट राप्रसे टीना यादव को सचिव बनाया गया है। प्रमोटी आईएएस चाहते हैं कि यही फॉर्मूला आईएएस एसोसिएशन में लागू हो। प्रमोटी आईएएस को भी पद मिलना चाहिए, कुछ अफसरों का कहना है कि यदि एसोसिएशन में हमारे लोगों को सम्मानजनक पद नहीं मिलता है तो हम लोग बायकॉट करेंगे।
अरे! होने वाले बच्चे का पिता कौन है?
नौकरशाही में इन दिनों एक अनोखी हलचल मची हुई है। फार्मेसी वाले दफ्तर में एक महिला अफसर के बिना ब्याही मां बनने का मामला छाया हुआ है। जब साहब ने उन्हें तलब किया तो सवालों की बौछार शुरू हो गई— क्या शादी हो चुकी है? बड़ी अजीब स्थिति बन गई। मैडम बगलें झांकने लगीं। मातृत्व अवकाश की बात पर भी उनकी चुप्पी रही। अब बिचारे विभाग प्रमुख ने मां बनने की बधाई देते हुए समझाया कि सरकार से मैटरनिटी लीव की अनुमति तो लेनी होगी, आखिर आचरण संहिता का मामला जो ठहरा! इधर, सुश्री के मातृत्व की खबर सुनते ही गलियारों में कानाफूसी तेज हो गई— "बच्चे का पिता कौन? ऐसे में एक नाम अचानक चर्चा में आ गया। लोग कहते हैं, पांच महीने बाद सच्चाई बाहर आएगी। तब तक, अफसरों और नेताओं की धड़कनें तेज रहेंगी और विभाग में जिज्ञासा चरम पर।
एक महिला अफसर और दो मंत्री
इन दिनों एक अनोखा 'द्विविवाह' प्रकरण तूल पकड़ रहा है। वित्त सेवा की एक महिला अफसर, जो निगम में पदस्थ थीं, दो पतियों के साथ 'व्यवस्थित जीवन' जी रही थीं। जैसे ही इसकी भनक विभागीय मंत्री महोदय को लगी, उन्होंने बिना समय गंवाए उन्हें कार्यमुक्त कर दिया, पर खेल यहीं खत्म नहीं हुआ। आगे सीन में आए वरिष्ठ मंत्री महोदय, जिन्हें इस कार्रवाई से सख्त आपत्ति हुई। उन्होंने तुरंत कनिष्ठ मंत्री पर महिला अफसर का तबादला रद्द करने का दबाव बनाया, पर कनिष्ठ मंत्री भी ठहरे कड़क। उन्होंने नोटशीट में महिला अफसर की पूरी 'बायोग्राफी' लिख डाली। अब कनिष्ठ मंत्री का रुख देख, वरिष्ठ मंत्री महोदय थोड़ा झेंप में हैं और इधर महिला अफसर छुट्टी पर चली गईं। अब आगे देखना यह है कि मंत्री महोदयों की यह 'द्विविवाद' की लड़ाई किस मोड़ पर खत्म होती है, लेकिन फिलहाल, यह दास्तां चर्चा का विषय बनी हुई है।
मैडम ने ये क्या कर दिया?
एक मैडम ने अपने पुराने साहब पर प्रताड़ना का आरोप लगाकर बवाल काट दिया है। मैडम ने सीधे डॉक्टर साहब को चिट्ठी भेजी है। मैडम का तर्क है कि उन्हें बेवजह सस्पेंड किया गया, उनकी तो कोई गलती ही नहीं थी। अब ये आरोप कितने सच्चे हैं, ये तो कलांतर में ही पता चलेगा, पर फिलहाल तो कुछ कथित बुद्धिजीवियों की उन्हें भरपूर सहानुभूति मिल रही है। उधर, दूसरी तरफ विभाग में उन्हें लेकर खुसर—पुसर चल रही है। जब मैडम पॉवर में थीं, तब कई अधीनस्थों से उनकी ठनी थी। अब मैडम की विदाई के बाद उन्होंने भी मोर्चा खोल दिया है। कुला मिलाकर बाण दोनों तरफ से चल रहे हैं।
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अफसरों को विदेश घूमने का चस्का
सूबे के कुछ साहबों को विदेश घूमने का चस्का सा लग गया है। हालांकि इनमें कुछ साहब अपने असल कामों के लिए जा रहे हैं। पता चला है कि एक साहब तो ओलंपिक के नाम पर विदेश गए थे। अब मजेदार बात यह है कि साहब का ओलंपिक से कोई लेना देना ही नहीं है। उधर, पुलिस में एक साहब ने घूमने के नाम पर छुट्टी ली है, जबकि असल बात यह है कि साहब वहां एक अवॉर्ड लेने के लिए जा रहे हैं। पुलिस महकमे के ही एक अधिकारी बेटी के दीक्षांत समारोह में शिरकत करने के लिए जा रहे हैं। हालांकि यह उनकी निजी यात्रा है। पिछले एक महीने और आने वाले एक माह के दरमियां देखें तो कई अफसर विदेश टूर पर हैं। उम्दा है साहब! खूब घूमिए... काम तो लगा ही रहता है।
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