हरीश दिवेकर @ भोपाल
आज का दिन सियासत में उबाल की तमाम खबरें लेकर आया है। नेताओं में वर्चस्व की जंग छिड़ी हुई है। कहीं श्रेय की होड़ है तो कोई सम्मान की खातिर उखड़ रहा है। जुबानी जंग में अफसरों की भी एंट्री हो गई है। कुल जमा सूबे की सियासत में हंगामा मचा है। चाहे विंध्य हो या भोपाल हर तरफ से सियासी द्वंद्व की खबरें आ रही हैं।
मंत्रालय में भी गुफ्तगू का दौर जारी है। वहां साउथ लॉबी फिर हावी होती नजर आ रही है। बड़ी मैडम की पलटी ने साहब को हैरान कर दिया है। डीजी साहब पर इन दिनों इंस्टा का रंग चढ़ गया है। नेतानगरी मामा और भैया के बीच झूल रही है। इधर, नौशाद और जावेद भाई के बाद अब चर्चाओं में हैं हाकिम भाई। देश- प्रदेश में खबरें तो ढेर हैं, पर आप तो सीधे नीचे उतर आईए और बोल हरि बोल के रोचक किस्सों का आनंद लीजिए।
सोयाबीन बनाम सोशल मीडिया...श्रेय की राजनीति!
सियासत में पूरा खेल क्रेडिट का है। जिसका क्रेडिट स्कोर जितना ज्यादा... वह उतना ही लोकप्रिय। पिछले दिनों सोयाबीन की एमएसपी पर खरीदी की हरी झंडी को लेकर नेतानगरी में श्रेय की होड़ मची रही। सोयाबीन बनाम सोशल मीडिया हो गया। किसी ने मामा को क्रेडिट दिया तो किसी ने भैया को। इसके इतर मामा की टीम ने तो बाकायदा वीडियो बनवाया और अपने समर्थकों से पोस्ट कराया। राजनीतिक गलियारों में इसकी खूब चर्चा रही। कुछ माननीय तो इसी दुविधा में रहे कि क्रेडिट भैया को दें अथवा मामा को। कुल मिलाकर कुछ ने आभार वाली पोस्ट ही नहीं की।
जुबानी जंग और आईएएस एसोसिएशन
सत्तारूढ़ दल और विपक्षी नेताओं में जुबानी जंग भी तेज हो गई है। पीसीसी चीफ जीतू पटवारी का कहना है कि बिना लेन-देन अफसर और कर्मचारियों की तैनाती नहीं होती। मीडिया चाहे तो स्टिंग कर ले। इसके जवाब में डॉक्टर साहब कहते हैं, रस्सी जल गई, पर अब तक बल नहीं गया। इन सबके बीच आईएएस एसोसिएशन भी उतर आया है। सचिव विवेक पोरवाल का कहना है कि सभी अफसरों की पदस्थापना योग्यता और जरूरत के हिसाब से होती है। नेता ऐसी टिप्पणी न करें, जिससे अधिकारियों का मनोबल टूटे।
हमें गिनो जी हमें गिनो...
ऐसे ही तीसरी खबर भी वर्चस्व और सम्मान से जुड़ी है। राज्यमंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल को अपनी ही पार्टी के होशंगाबाद सांसद दर्शन चौधरी को अधिक सम्मान मिलना इतना नागवार गुजरा कि उन्होंने निजी स्कूल को डीईओ से मान्यता खत्म करने का नोटिस दिलवा दिया। मंत्री से स्कूल संचालक ने माफी मांगी, फिर भी नोटिस थमाया गया। मंत्रीजी के इस बर्ताव की जमकर आलोचना हो रही है। विपक्ष ने उन्हें आड़े हाथों लिया है। दरअसल, मामला शिक्षक दिवस से जुड़ा है। उदयपुरा के एक स्कूल संचालक ने मंत्री से पहले सांसद जी का नाम लिखवा दिया था, बस फिर क्या... मंत्री जी फट पड़े।
राज्यमंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल का पूरा मामला पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें
साउथ लॉबी हो रही हावी
आईएएस अफसरों में साउथ लॉबी एक बार फिर से हावी होती दिख रही है। मजे की बात है कि इस बार इनका कोई लीडर नहीं है, इसके बावजूद साउथ के अफसरों को मलाईदार पोस्टिंग के साथ एक से ज्यादा महकमों की जिम्मेदारी मिल रही है। इतना ही नहीं, कलेक्टर स्तर के अधिकारियों के भी जलवे हैं। विवादों में रहे एक कलेक्टर साहब की शिकायतें हुई थीं, इसके बाद माना जा रहा था कि उनकी कुर्सी जाना तय है, पर लिस्ट आई तो साहब को संभागीय मुख्यालय में कलेक्टरी मिल गई। अब जलने वाले तो कह रहे हैं कि साउथ वालों ने कॉकस बना लिया।
मिले सुर मेरा तुम्हारा...मैडम की पलटी से साहब हैरान
हॉट सीट पर बैठने वाली मैडम की पलटी देखकर प्रमुख सचिव स्तर के साहब हैरान हैं। मैडम पलटी नहीं मारतीं तो शायद इन साहब से विभाग न छिनता। पूरा मामला दो अफसरों की पदोन्नति से जुड़ा है। प्रमुख सचिव साहब ने विभाग के दो अफसरों को पदोन्नत करने के लिए डीपीसी की। मैडम की अध्यक्षता में ये बैठक हुई। इसमें रिटायरमेंट से दो दिन पहले एक अफसर को पदोन्नत किया गया, उनके बाद दूसरे को। सीएम कार्यालय ने इस पर नाराजगी जताई तो मैडम ने प्रमुख सचिव का साथ छोड़कर सीएम कार्यालय के सुर में सुर मिला दिए। नतीजा प्रमुख सचिव से एक विभाग छीन लिया गया। अब ये साहब हैरान हैं कि आखिर अपना दर्द कहें भी तो किससे।
डीजी साहब पर चढ़ा इंस्टा का रंग
डीजी स्तर के अधिकारी इन दिनों इंस्टाग्राम पर ज्यादा सक्रिय हैं। कार में चलते हुए खुद अपनी रील बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहे हैं। उनके एक लाख फॉलोअर्स हो गए हैं, साहब की पोस्ट पर लड़कियों के कमेंट्स ज्यादा आने से वे उत्साहित हैं। यही वजह है कि उनकी हर रील में ब्लॉक बस्टर फिल्मों का म्यूजिक होता है। समझ ही नहीं आ रहा साहब 60 की तरफ जा रहे हैं या जवानी की ओर लौट रहे हैं। कोई नहीं... लगे रहो साहब। सोशल मीडिया पर ही सही, जवानी का आनंद ले लीजिए। बाकी क्या है, बोलने वाले तो बोलते रहेंगे।
मंत्रीजी नहीं बचा पाए चहेते को
पैसों के लेन देन में उलझे दवा-दारू वाले महकमे के एक अधिकारी को मंत्रीजी चाहकर भी नहीं बचा पाए। लोकायुक्त ने एक ऑडियो क्लिप के आधार पर इन साहब को रिश्वत मांगने के आरोप में धरदबोचा था, लेकिन छानबीन में लोकायुक्त के हाथ कुछ नहीं लगा। लोकायुक्त ने इनकी अभियोजन स्वीकृति मांगी तो विभाग ने इनकार कर दिया। मामला विधि विभाग के पास गया। विधि ने ऑडियो के आधार पर अभियोजन देने की सहमति जताई। मुख्यमंत्री की कमेटी के लिए मामला गया तो मंत्रीजी ने नोटशीट लिखी कि ऑडियो में साफ नहीं हो रहा कि ये इनकी ही आवाज है। हालांकि मंत्रीजी बैठक से गायब रहे, फिर वही हुआ, जो होना था सीएम की कमेटी ने इनकी अभियोजन स्वीकृति दे दी।
हाकिम भाई का भौकाल भयंकर!
नौशाद और जावेद भाई के बाद अब चर्चाओं में हाकिम भाई। भोपाल से सटे एक जिले में कलेक्टर-एसपी से बड़ा जलवा हाकिम भाई का है। बताने वाले तो यह भी कहते हैं कि कलेक्टर-एसपी भी हाकिम भाई के यहां यदा कदा मेहमाननवाजी के लिए जाते रहते हैं। इतना ही नहीं, जिले के स्थानीय विधायक भले ही तुष्टीकरण की राजनीति की बात करते हों, लेकिन हाकिम भाई के लिए उनके दरवाजे हमेशा खुले रहते हैं। हाकिम के यहां खदान कारोबारी हो या वेयर हाउस के मालिक सभी तोड़ बट्टे के लिए आते हैं, बाकी काले-पीले धंधे वालों को भी इन्हीं का आसरा है। कुल जमा कहना यही है कि हाकिम भाई का भौकाल भयंकर है।
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