बोल हरि बोल: मोटाभाई के सियासी डोज और मोहन की तान...गुरु-चेला फिर चर्चा में

गुना लोकसभा वाले गुरु और चेला फिर चर्चा में हैं। गुरु पासपोर्ट सेवा केंद्र का फीता काटने के लिए आने वाले थे और यहां पता चला कि चेला पंडित, फीता, कैंची और मिठाई लेकर पहुंचे और शुभारंभ कर दिया।

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Pratibha Rana
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बोल हरि बोल

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हरीश दिवेकर @ Bhopal.

कल गर्मी थी, आज मौसम ठंडा है। एमपी का सियासी मौसम भी ऐसा ही नरम- गरम बना हुआ है। तो आज के इस ठंडे मौसम में सियासत गर्म है और इसकी सिर्फ एक वजह हैं मोटाभाई। वे दिनभर सूबे में रहेंगे। समझाइश, डांट- फटकार के डोज देंगे। 

दूसरी खबर डॉक्टर साहब से जुड़ी हुई है। वे मामा का एक अहम फैसला पलटने जा रहे हैं। चुनाव से पहले मामा ने समाज के अलग- अलग वर्गों को साधने के लिए आनन- फानन 14 बोर्ड बना डाले थे। अब डॉक्टर साहब इन्हें भंग करने वाले हैं। सब तय हो गया है, बस मुहर लोकसभा चुनाव के बाद लगेगी। इसके पीछे की वजह यही है कि बीजेपी किसी को खफा नहीं करना चाहती है। ​इधर, एमपी के गुरु और चेले फिर चर्चा में हैं। मोहन ने तान छेड़ रखी है। नाटू- नाटू भी खूब गूंज रहा है। मैडम का पुराना मोह नहीं छूट रहा है। कांग्रेस एक बार फिर दम भर रही है ( bol hari bol )। 

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खैर, देश- प्रदेश में खबरें तो और भी हैं पर आप तो सीधे नीचे उतर आईए और बोल हरि बोल के रोचक किस्सों का आनंद लीजिए…

गुरु गुड़ रह गए, चेला शक्कर हो गए

गुना लोकसभा वाले गुरु और चेला फिर चर्चा में हैं। गुरु पासपोर्ट सेवा केंद्र का फीता काटने के लिए आने वाले थे और यहां पता चला कि चेला पंडित, फीता, कैंची और मिठाई लेकर पहुंचे और शुभारंभ कर दिया। श्रेय लेने की यह होड़ ऐसी थी कि शनिवार को जब डाकघर और पासपोर्ट केंद्र दोनों बंद थे, चेले ने निरीक्षण करने के नाम पर इन्हें खुलवाया और 'कैंची' चला दी। लड्डू से लोगों को मुंह मीठा कराया गया। अब यह बात गुरुजी को कड़वी लगी है। समझ तो गए न आप कि हम किनकी बात कर रहे हैं! नहीं समझे तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि लोकसभा चुनाव में चेले ने ही गुरु को हराया था। अब यहां भी श्रेय लेने में चेला आगे निकल गए। 

मोटा भाई तो मोटा भाई हैं...

जहां चुनाव, वहां मोटा भाई। जी हां, बीजेपी के चाणक्य केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लोकसभा चुनाव से पहले फिर मध्यप्रदेश दौरे पर हैं। वे भोपाल में डॉक्टर, प्रोफेसर और कारोबारियों समेत तमाम प्रबुद्ध वर्ग से बातचीत करेंगे। खजुराहो और ग्वालियर में कार्यकर्ता से बात होगी। उनके हर दौरे का बीजेपी को सियासी तौर पर फायदा मिलता है। कांग्रेस को तो यही चिंता खाए जाती है कि मोटा भाई का आना मतलब, बीजेपी में बड़ा डेवलपमेंट। उधर, लोकसभा चुनाव के प्रभारी और सहप्रभारी भी लगातार प्रदेश में डेरा डाले हुए हैं। इन तैयारियों को देखकर कांग्रेसी ही कह रहे हैं कि चुनाव लड़ना तो बीजेपी से सीखना चाहिए। 

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इश्क के आते ही मुंह पर मिरे फूली है बसंत

हो गया जर्द ये शागिर्द, जब उस्ताद आया।।

'साहब' बीजेपी में नहीं गए। न कभी जाने वाले थे और न कभी जाएंगे। ये जलने वाले भी न बड़े जालिम हैं। क्या- क्या बातें बनाईं। खैर अब तो तस्वीर साफ हो गई है। साहब को लेकर छाया सियासी कुहासा छंटने के बाद अब कांग्रेस में फिर दम आया है। लोकसभा चुनाव के लिए स्क्रीनिंग कमेटी को उम्मीदवारों का पैनल मिल गया है। खबर है कि कांग्रेस एक दो दिन में 28 सीटों पर प्रत्याशी तय कर लेगी। अब आपको तो पता ही है कि जो एक सीट रह गई है, उस पर साहब के साहबजादे ही लड़ेंगे।

मोहन ने छेड़ दी तान...

एमपी के डॉक्टर साहब शानदार फॉर्म में चल रहे हैं। कभी सीएम हेल्पलाइन के कमांड सेंटर से लोगों से बात कर उनकी परेशान पूछ रहे हैं तो कभी मिनी इन्वेस्टर समिट हो रही है। भूमिपूजन- लोकार्पण तो हर ​दिन हो रहे हैं। अब उनके विपक्षी ही कहने लगे हैं कि डॉक्टर साहब के पास तो हर मर्ज की दवा है। बस अब वे प्रदेश की माली हालत और सुधार दें। 

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बंगला, गाड़ी झुमके... नहीं, नहीं...रिनोवेशन

चार्वाक दर्शन का मूल मंत्र है कि ‘कर्ज लो और घी पियो’। नव उदारवाद या आर्थिक उदारीकरण का भी मूलमंत्र कमोबेश यही है। विकास के नाम पर सरकार कर्ज पर कर्ज लिए जा रही है और नेता- अफसर हैं कि बंगलों के रंग- रोगन में सरकारी पैसा उड़ा रहे हैं। एक नए नवेले मंत्री जी ने 74 बंगला वाले अपने आवास से पुराना फर्नीचर बाहर कर दिया है। किचन, टॉयलेट में काम हो रहे हैं। गेट भी नया बन रहा है। ऐसे ही एक मंत्री जी के बंगले में सीलिंग लगाई जा रही है। चार इमली स्थित एक बंगले में तो 74 लाख के काम हो रहे हैं। पीडब्ल्यूडी के चीफ इंजीनियर को आधी बातें पता ही नहीं है। 

किस्मत मारे जोर तो...

आपने वो कहावत तो सुनी ही होगी कि 'किस्मत मारे जोर तो घर में रख जाएं चोर।' यही कहावत 'बड़ी' मैडम पर फिट बैठ रही है। मैडम ने कभी सपने में नहीं सोचा था कि वे हॉट सीट पर बैठ जाएंगी। बैठना तो ठीक उन्हें आगे एक्टसटेंशन भी मिल पाएगा, लेकिन भाग्य का खेल देखिए, मैडम ने पहले प्रभारी के रूप में एंट्री मारी। फिर धीरे से कुर्सी पर जमकर बैठ गईं। रिटायरमेंट होने का समय आया तो एक्सटेंशन की फाइल तैयार हो गई। दूसरे दावेदार मैडम की किस्मत देखकर अपना सिर पीट रहे हैं। 

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नाटू- नाटू, वीरा नाटू 

इन दिनों अफसरान के बीच मशहूर फिल्म RRR का गाना नाटू- नाटू खूब गूंज रहा है। अच्छी पोस्टिंग के बाद अधिकारी सहसा यही गाना गुनगुना रहे हैं। अब इसका राज क्या है, यह तो मलाईदार पोस्टिंग पाने वाले अफसर ही बता सकते हैं। हमने तो अपना काम कर दिया है। अब आपका कोई परिचित अफसर हो तो उनसे नाटू- नाटू का राज जान लीजिए। 

एडीजी साहब के दलाल की चर्चा

इन दिनों एक एडीजी साहब अपने खासमखास को लेकर चर्चा में हैं। नहीं समझे… हां,हां, उसी दलाल की बात कर रहे हैं हम। एडीजी साहब एमपी के एक महकमे में प्रतिनियुक्ति पर हैं। उन्होंने महकमे के सिस्टम पर अपना कब्जा जमाने के लिए मुंबई से एक बंदे को बुलाया है। बताया जा रहा है कि अब साहब से हर काम को कराने की गारंटी दलाल साहब को दे रखी है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि साहब ने मंत्री से अच्छी खासी ट्यूनिंग जमा रखी है। महकमे के सिस्टम से खेलने में साहब को मजा आ रहा है। 

मैडम से नहीं छूट रहा बोर्ड का मोह

पुरानी चीज पुरानी ही होती है। कुछ भी नया मिल जाए, पुराने का मोह नहीं छूटता। अब देखिए न, मैडम भले हॉट सीट पर बैठकर राज कर रही हैं, लेकिन उनका पुरानी संस्था से मोह भंग नहीं हुआ है। मैडम के पास आज भी उसका प्रभार है। सूत्रों की मानें तो इसी संस्था में बड़ा कम्प्यूटर खरीदी का खेला हुआ है। मैडम को डर है कि इसमें कोई और गया तो राज बाहर आ सकते हैं। यही वजह है कि मैडम हॉट सीट पर रहकर भी पुरानी संस्थान के सारे मामले गुपचुप तरीके से रफा- दफा करवा रही हैं। अब ये कितनी हकीकत है, कितना फसाना… ये तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन मैडम का हॉट सीट पर बैठने के बाद भी बोर्ड का मोह नहीं छूटना चर्चा में है। 

वे नए हैं, इसलिए कुछ समझ नहीं पाए 

एक ओर डॉक्टर साहब प्रदेश में नवाचार कर अपनी लाइन बड़ी करने में जुटे हुए हैं। वहीं दूसरी ओर अफसरों की लापरवाही सिर दर्द बढ़ा रही है। अब देखिए न, अफसरों ने बैठे बिठाए पटवारी आंदोलन को हवा दे दी। पार्टी के कई नेताओं को मामा की दूरदर्शिता आज याद आ रही है विधानसभा चुनाव को देखते हुए पटवारी भर्ती में गड़बड़ी के आरोपों की जांच के लिए उन्होंने कमेटी बनाकर मामला टाल दिया था। जानकार कह रहे हैं कि डॉक्टर साहब नए- नए हैं, वे कुछ समझ पाते, इससे पहले ही अफसरों ने कमेटी की रिपोर्ट ले ली और पटवारी भर्ती के आदेश जारी कर दिए। वे समझ ही नहीं पाए कि लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने मधुमक्खी के छत्ते में हाथ डाल दिया। अब आंदोलन के रूप में नतीजा सबके सामने है। 

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