निगमायुक्त सिंह का मन लग नहीं रहा, महापौर, जनप्रतिनिधि बदलाव चाहते हैं, फिर मामला अटका कहा हैं?

इंदौर नगर निगम में महापौर, एमआईसी सदस्यों के साथ ही विधायकों की पटरी निगम के अधिकारियों के साथ नहीं बैठ रही है। निगमायुक्त हर्षिका सिंह के आने के बाद से ही यह अंदरूनी कलह पूरी तरह सतह पर आ चुकी है।

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Pratibha Rana
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हर्षिका सि, महापौर पुष्यमित्र भार्गव और विधायक गोलू शुक्ला

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संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर नगर निगम में महापौर, एमआईसी सदस्यों के साथ ही विधायकों की पटरी निगम के अधिकारियों के साथ नहीं बैठ रही है। निगमायुक्त हर्षिका सिंह ( Municipal Commissioner Harshika Singh ) के आने के बाद से ही यह अंदरूनी कलह पूरी तरह सतह पर आ चुकी है, खुद सिंह का मन इंदौर में नहीं लग रहा और वह किसी नए जिले में कलेक्टर बनकर जाने में अधिक इच्छुक है। वहीं महापौर पुष्यमित्र भार्गव ( Mayor Pushyamitra Bhargava ) से लेकर विधायक तक बदलाव चाहते हैं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि बदलाव कहां अटका है? दो-दो बार आईएएस की सूची जारी हो चुकी है लेकिन निगमायुक्त का हर बार नाम चलने के बाद भी नाम नहीं आया। वहीं बदलाव की संभावना में सभी मामले अधर में अटके हुए हैं। 

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महापौर दोनों ओर से मजबूत फिर बदलाव क्यों नहीं?

सीएम पद पर बदलाव होने के बाद शिवराज दौर खत्म हुआ और डॉ. मोहन यादव की सरकार बनी। इसके साथ ही एक और अहम बदलाव हुआ, नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय हुए। यानि महापौर पुष्यमित्र भार्गव दोनों ओर से मजबूत हो गए। महापौर के साथ सभी चाहते हैं निगमायुक्त पद पर बदलाव हो, लेकिन दोनों ओर से मजबूत होने के बाद भी अभी तक यह नहीं हुआ। इस दौरान दो बार आईएएस की बड़ी ट्रांसफर सूची जारी हो गई। जो बदलाव होना है वह एक सप्ताह में होना है, यदि अभी नहीं हुआ तो फिर मामला लोकसभा चुनाव के बाद ही होगा।

निगमायुक्त पद संवेदनशील, सफाई तमगा अब पूरी सरकार की छवि से जुड़ा

दरअसल इसकी सबसे बड़ी वजह है कि इंदौर का सफाई में लगातार सातवीं बार नंबर वन आना। निगमायुक्त रहते हुए मनीष सिंह ने जो उपलब्धि हासिल की थी, वह आशीष सिंह, प्रतिभा पाल के बाद हर्षिका सिंह के समय भी कायम रही, हालाकिं सिहं के समय इंदौर को एक झटका लगा कि वह सूरत के साथ संयुक्त तौर पर नंबर वन आया। सफाई का तमगा केवल अब इंदौर का नहीं रह गया है यह पूरे मप्र की छवि और प्रदेश की सरकार के साथ जुड़ गया है, इसमें चूक यानि पूरे इंदौर निगम के साथ ही शासन, प्रशासन व सरकार निशाने पर आ जाएगी। ऐसे में निगमायुक्त ऐसा चाहिए जो सफाई में अब गिर रही साख को समेटने के साथ ही इसे नंबर वन के ताज पर बनाए रखे।

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पद के लिए जो नाम तय हुआ था वह कलेक्टर बन गए

इस पद के लिए पहले आईएएस आदित्य सिंह का नाम तय हुआ था लेकिन वह अब कलेक्टर बन गए हैं। वहीं एक नाम चंद्रमौली शुक्ला का था, जिन्हें उज्जैन में रीजनल कान्क्लेव को देखते हुए एमपीआईडीसी का जिम्मा दे दिया गया, साथ ही नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजययवर्गीय उन्हें हुकमचंद मिल प्रोजेक्ट के चलते हाउसिंग बोर्ड में ही रखना चाहते हैं। यह शहर का अहम प्रोजेक्ट है। ऐसे में मोहन सरकार अभी तक किसी ऐसे नाम पर तय नहीं कर पाई है, जिसे इंदौर निगमायुक्त की जिम्मेदारी दी जा सके, इसके चक्कर में ही बदलाव उलझा हुआ है। हालांकि अभी भी इंदौर में रह चुके दो प्रमोटी आईएएस अधिकारियों के नाम विचार में हैं, जिन्हें कलेक्टर पद का भी अनुभव है। वहीं महापौर अब चाहते हैं कि उनकी पसंद का निगमायुक्त आए, ताकि अब वह मुफीद परिस्थितियों में अपने आप को बेहतर लीडर के रूप में साबित कर सकें और अपने हिसाब से निगम का चला सकें।

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ताजा विवाद विधायक गोलू शुक्ला का

निगम में ताजा विवाद विधानसभा तीन के विधायक गोलू शुक्ला का है। विकसित भारत संकल्प यात्रा की सूचना नहीं देने पर क्षेत्र 3 के विधायक गोलू शुक्ला नाराज हो गए। उनका कहना था हमारी विधानसभा में रथ निकाला जा रहा है और निगम के अधिकारी हमें ही जानकारी नहीं दे रहे हैं। फोन तक नहीं उठाते हैं। उन्होंने महापौर पुष्यमित्र भार्गव और निगमायुक्त हर्षिका सिंह से जोनल अधिकारी नदीम खान को तुरंत हटाने के लिए कहा। यहां तक की उन्होंने मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखकर जोनल अधिकारी के साथ निगमायुक्त को हटाने का कहा। मामला बढ़ता देख निगमायुक्त ने अपर आयुक्त को कार्रवाई करने के लिए कहा और शनिवार देर शाम जोनल अधिकारी को हटा दिया गया। गोलू का कहना था कि विकसित भारत संकल्प यात्रा के कार्यक्रम की जानकारी न मुझे दी गई और न कार्यकर्ता और पार्षद को बताया गया। ऐसे तो हमारे क्षेत्र की जनता कल्याणकारी योजनाओं से वंचित रह जाएगी।

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