नील तिवारी, JABALPUR. गुरुवार, 25 अप्रैल को दोपहर 12 बजे दोपहर में हुए खिजरी-खिरिया बाईपास के पास रजा मेटल स्क्रेप के कबाड़खाने में हुए धमाके के तार अब बड़ी साजिश की ओर इशारा कर रहे हैं। धमाके की तीव्रता ने केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के भी कान खड़े कर दिए हैं। जबलपुर जिला कलेक्टर दीपक सक्सेना के अनुसार सभी एजेंसियों को घटना के बारे में सूचित किया गया है। जहां आयुध निर्माणी ने अपनी ओर से मामले की जांच की है तो वही आज ही दिल्ली से एक जांच टीम जबलपुर आ रही है।
सवालों के घेरे में जबलपुर की आयुध निर्माणी
यह कोई पहला मामला नहीं है जब जबलपुर के आयुध निर्माणी पर सवाल खड़े हो रहे हैं। कुछ महीने पहले इसी निर्माणी से निजी मजदूर बम में लगने वाली टंगस्टन रॉड ले जाते हुए पकड़ा गया था, वहीं आज से लगभग 5 वर्ष पूर्व एक डीएससी के जवान के हाथ में हथगोला उस समय फट गया था जब वह कबाड़ के लॉट को उठाकर दूसरी जगह रख रहा था। जिंदा हैंडग्रेनेड कबाड़ में पहुंचने की सच्चाई वर्षों बाद भी सामने नहीं आ पाई है। आयुध निर्माणी खमरिया (OFK) के महाप्रबंधक एमएन हालदार ने इस घटना में निर्माणी का हाथ होने से पूरी तरह से पल्ला झाड़ लिया है और यह कह दिया है कि यह बम ओएफके के नहीं थे। वहीं जबलपुर जिला कलेक्टर सहित मिलिट्री इंटेलिजेंस ब्यूरो के बीके सिंह इन बमों के कबाड़ खाने तक पहुंचाने की हर एंगल से जांच की बात कर रहे हैं।
आरोपी के भाई के घर पर चला बुलडोजर, समर्थन में खड़े हुए कांग्रेस विधायक
जबलपुर में हुए बम ब्लास्ट में कबाड़ खाने के मालिक शमीम खान के भाई सलीम खान के घर आज नगर निगम का अमला पहुंचा और लगभग 800 वर्ग फुट की कब्जा की गई जगह को बुलडोजर से जमींदोज कर दिया। इस दौरान सलीम खान के परिवार ने शमीम के साथ अपने संबंध न होने की दुहाई दी, पर पूर्व में भी हुई सलीम के ऊपर अतिक्रमण की कार्यवाही और कल मौके पर की गई मामले को दबाने की कोशिश यह बताती है कि इस व्यापार में उसकी पूरी मिलीभगत है। अतिक्रमण की कार्यवाही के दौरान आरोपी के समर्थन में कांग्रेस के विधायक लखन घनघोरिया खड़े हुए नजर आए और प्रशासनिक अधिकारियों से बहस करते दिखे। इन नियमों को ताक में रखकर व्यापार करने वाले और सैकड़ो की जान को जोखिम में डालने वाले कबाड़ी के विरुद्ध नियम अनुसार कार्यवाही की मांग करते हुए दिखाई दिए।
कहीं मलबे में ना दबकर रह जाए सच्चाई
ब्लास्ट के 48 घंटे बीत जाने के बाद भी अभी दो मजदूरों के लापता होने की ही बात की जा रही है। अभी तक मृत्यु की कोई भी आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। अगर मीडिया के कैमरों में जले हुए मानव अंग कैप्चर ना होते तो शायद इन दो मौतों पर कोई चर्चा ना होती। हालांकि अब जबलपुर जिला कलेक्टर ने यह माना है कि मलबे में मानव अंग मिले हैं जिनकी डीएनए जांच के बाद ही पुष्टि की जा सकेगी। गौरतलब है इस कबाड़ी पर पहले भी अवैध व्यापार और चोरी के वाहन काटने जैसी कई धाराओं पर कार्यवाही हो चुकी है, पर अपने राजनीतिक रसूख के चलते यह उन मामलों में फरार होने के बाद भी अपने व्यापार को सुचारू रूप से चला रहा था। अब आम जनों में यह चर्चा जोरों पर है की कहीं इस मलबे में सच्चाई दफन होकर ना रह जाए।