बोत्सवाना से भारत लाए जाएंगे 8 चीते, गांधी सागर सेंचुरी बनेगी नया ठिकाना

बोत्सवाना से भारत में लाए जाएंगे 8 चीते, मई से गांधी सागर अभयारण्य में होगा पुनर्वास। यह मध्य प्रदेश का पहला अंतर-राज्यीय चीता क्षेत्र बनेगा।

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Jitendra Shrivastava
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botswana-cheetah Photograph: (the sootr)

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भारत में विलुप्त हो चुके चीतों (Cheetahs) को फिर से बसाने की महत्वाकांक्षी योजना प्रोजेक्ट चीता (Project Cheetah) अब एक नए चरण में प्रवेश कर रही है। मध्य प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार के सहयोग से अब बोत्सवाना (Botswana) से 8 नए चीते भारत लाए जाएंगे। इस बार इन चीतों को मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के मंदसौर जिले (Mandsaur District) स्थित गांधी सागर अभयारण्य (Gandhisagar Sanctuary) में पुनर्स्थापित किया जाएगा।

गांधी सागर अभयारण्य बन रहा नया चीता घर  

इससे पहले, कूनो नेशनल पार्क में चीतों को बसाने की पहल की गई थी। अब गांधी सागर को दूसरा चीता गंतव्य बनाया गया है। यह अभयारण्य राजस्थान की सीमा से लगा है और इसे अंतर-राज्यीय चीता संरक्षण क्षेत्र (Interstate Cheetah Conservation Area) के रूप में विकसित किया जाएगा। केंद्र सरकार और मध्य प्रदेश सरकार के बीच इस प्रोजेक्ट को लेकर गहन समीक्षा बैठक हुई, जिसमें केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव और मुख्यमंत्री मोहन यादव मौजूद रहे।

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चरणबद्ध तरीके से होंगे चीते ट्रांसफर  

मई 2025 से चीते चरणबद्ध तरीके से भारत लाए जाएंगे। पहले चरण में 4 चीते आएंगे, फिर अगले चरण में शेष 4। ये सभी चीते पहले 64 वर्ग किलोमीटर के विशेष बाड़ों में रखे जाएंगे, जहां पर उनके स्वास्थ्य और अनुकूलन का मूल्यांकन किया जाएगा।

गांधी सागर में चीता बाड़ा और सुविधाएं ...

बाड़े का क्षेत्रफल 15.4 वर्ग किमी (Khemala क्षेत्र)
भोजन के लिए वन्यजीव 150 चीतल, 80 चिंकारा, 50+ नीलगाय
अन्य सुविधाएं कैमरा मॉनिटरिंग, अस्पताल भवन, मेडिकल टीम

अबतक प्रोजेक्ट चीता पर खर्च हो चुके हैं 112 करोड़ रुपए

प्रोजेक्ट चीता (Project Cheetah) के तहत अब तक ₹112 करोड़ से अधिक खर्च किए जा चुके हैं। इसमें अफ्रीकी देशों से चीतों को लाना, उनका रखरखाव, चिकित्सा व्यवस्था और उनके लिए वन्य क्षेत्र तैयार करना शामिल है।

चीतों के आने से पर्यटन और अर्थव्यवस्था को मिलेगा बूस्ट  

गांधी सागर सेंचुरी में चीतों की मौजूदगी यहां की जैव विविधता (Biodiversity) को तो समृद्ध करेगी ही, साथ ही स्थानीय पर्यटन और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। रामपुरा, भानपुरा जैसे क्षेत्रों में होटल, टूर गाइड, ट्रांसपोर्ट और अन्य सेवाओं की मांग बढ़ेगी।

संभावित लाभ:

  • पर्यटन में वृद्धि (Tourism Boost)
  • स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती (Economic Strengthening)
  • नवीन रोजगार अवसर (Employment Generation)

चीतों की निगरानी और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

मंदसौर के डीएफओ संजय रायखेरे ने बताया कि चीतों की निगरानी के लिए बाड़ों में कैमरे लगाए गए हैं। एक विशेष मॉनिटरिंग टीम (Monitoring Team) उनकी गतिविधियों पर नजर रखेगी। एक विशेष मेडिकल यूनिट (Medical Unit) भी गठित की गई है जो हर समय मौजूद रहेगी।

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सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से जोड़े जाएंगे 'चीता मित्र'

श्योपुर के 80 गांवों के 400 नागरिकों को चीता मित्र (Cheetah Friends) के रूप में प्रशिक्षित किया जाएगा। इन्हें सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से जोड़ा जाएगा और पुनर्वास के लिए सरकार आर्थिक सहायता भी देगी।

भारत-केन्या के साथ अनुबंध की तैयारी

भारत अब केन्या (Kenya) के साथ भी चीतों के संरक्षण और ट्रांसफर को लेकर MoU साइन करने की तैयारी में है। इससे भविष्य में और अधिक चीतों को लाने का रास्ता साफ होगा।

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