मुर्शिदाबाद हिंसा के बाद मालदा में मिले 17 बॉक्स बम, साजिश की आशंका से हड़कंप

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून के खिलाफ हिंसा के बाद, मालदा जिले में 17 बॉक्स बम मिलने से हड़कंप मच गया। अब इस घटना को लेकर बड़ी साजिश की आशंका जताई जा रही है।

author-image
Jitendra Shrivastava
New Update
the sootr

malda-bomb-suspicion Photograph: (the sootr)

Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में हाल ही में वक्फ कानून के खिलाफ हिंसा का एक भीषण मामला सामने आया। इस हिंसा के दौरान असामाजिक तत्वों ने जमकर उत्पात मचाया, जिसमें कई गाड़ियों में आग लगाने, घरों में तोड़फोड़ करने और पथराव करने की घटनाएं हुईं। यह घटना न केवल राज्य के लिए बल्कि देश के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन गई है। 

वक्फ कानून के खिलाफ होने वाली इस हिंसा में खासकर हिंदू समुदाय के लोगों को निशाना बनाया गया। इस हिंसा के बाद प्रभावित लोग अपने घरों को छोड़ने के लिए मजबूर हो गए और कई लोग मालदा जिले में शरण लेने पहुंचे। इस बीच, एक और चौंकाने वाली घटना ने स्थिति को और गंभीर बना दिया।

मालदा में मिले बम क्या बड़ी साजिश?

मुर्शिदाबाद हिंसा के बाद मालदा जिले में एक बड़ी साजिश की आशंका जताई जा रही है। हिंसा प्रभावित लोगों की शरण लेने के बाद, मालदा जिले में गन्ने के खेत से 17 बॉक्स बम बरामद हुए। इन बमों के मिलने से इलाके में हड़कंप मच गया और पुलिस ने तुरंत इन बमों को अपने कब्जे में ले लिया। इस घटनाक्रम ने एक नई दिशा में सवाल उठाए हैं और अब यह सवाल उठने लगा है कि क्या मुर्शिदाबाद हिंसा के बाद मालदा में कोई बड़ी साजिश रची जा रही है?

पुलिस ने बमों को बरामद करने के बाद मामले की जांच शुरू कर दी है, लेकिन इस घटना के बाद जो सवाल सामने आए हैं, वे राज्य की सुरक्षा व्यवस्था और संभावित आतंकवादी गतिविधियों के प्रति गंभीर चिंता पैदा करते हैं।

पलायन करने को मजबूर हिंदू परिवार

मुर्शिदाबाद हिंसा ने पश्चिम बंगाल के हिंदू परिवारों को पलायन करने के लिए मजबूर कर दिया। हिंसा के दौरान 400 से अधिक हिंदू परिवारों ने अपने घर छोड़ दिए और शरण लेने के लिए मालदा जिले में पहुंच गए। इस पलायन को लेकर राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो गई है। भाजपा ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है, क्योंकि उनके मुताबिक, राज्य सरकार हिंसा को रोकने में नाकाम रही है।

ये खबरें भी पढ़ें...

कर्नाटक में परीक्षा केंद्र पर छात्रों से जनेऊ उतरवाई, सीईटी अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज

'अब जीना नहीं चाहतीं', राष्ट्रपति को पत्र लिख रो पड़ीं लाड़ली बहनें

राज्यपाल और महिला आयोग का दौरा

राज्यपाल सीवी आनंद बोस और महिला आयोग की अध्यक्ष विजया रहाटकर ने घटनास्थल का दौरा किया और हिंसा प्रभावित लोगों से मुलाकात की। उन्होंने पीड़ितों को न्याय दिलाने का आश्वासन दिया और मामले की गंभीरता से जांच करने की बात की। हालांकि, इस हिंसा के बाद राजनीतिक माहौल भी गरमा गया है और भाजपा और टीएमसी के नेताओं के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है।

ये खबरें भी पढ़ें...

सुप्रीम कोर्ट पर BJP सांसद का बड़ा बयान, ‘अगर अदालत कानून बनाए, तो संसद बंद कर दें’

दिग्विजय सिंह बोले दंगा रोकने के लिए कट्टरपंथी को दूर रखो, जैसे बजरंग दल-सिमी पर मैंने किया

पुलिस की जांच और राजनीतिक घमासान

पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और इस हिंसा के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी, यह पुलिस का दावा है। हालांकि, भाजपा और अन्य राजनीतिक दलों ने इस हिंसा को लेकर राज्य सरकार पर सवाल उठाए हैं और मांग की है कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए। भाजपा का कहना है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्य सरकार इस हिंसा पर चुप हैं और वे इस मुद्दे को सही तरीके से नहीं सुलझा रही हैं।

वक्फ कानून और हिंसा के पीछे की सच्चाई?

वक्फ कानून के खिलाफ हिंसा का मुख्य कारण इस कानून के खिलाफ होने वाली कई दावों और आरोपों को माना जा रहा है। वक्फ संपत्ति के वितरण और प्रबंधन से जुड़े विवादों के कारण कई सालों से यह मुद्दा विवादास्पद बना हुआ है। इस कानून को लेकर विभिन्न समुदायों के बीच तनाव है और इस तनाव ने हिंसा का रूप ले लिया है। 

धार्मिक हिंसा | देश दुनिया न्यूज 

बम देश दुनिया न्यूज धार्मिक हिंसा मालदा वक्फ कानून मुर्शिदाबाद हिंसा