Bhopal : मध्यप्रदेश अजब है, सबसे गजब है...। जी हां, वाकई अजब-गजब है यह राज्य। अब इसी मामले को देख लीजिए। पीडब्ल्यूडी का जो एग्जीक्यूटिव इंजीनियर रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा गया था, वह अब राज्य मंत्रालय में विधिक सलाहकार यानी लीगल एडवाइजर बना बैठा है।
दरअसल, लोकायुक्त पुलिस ने पीडब्ल्यूडी के तत्कालीन एक्जीक्युटिव इंजीनियर रहे नईमुद्दीन सिद्दीकी को एक ठेकेदार से 50 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा गया था। यह कार्रवाई वर्ष 2011-12 में हुई थी। सिद्दीकी ने 15 लाख रुपए के बिल पास करने के बदले ठेकेदार से यह घूस ली थी।
गोपाल भार्गव ने लिखी थी नोटशीट
इसके बाद तत्कालीन ईएनसी ने नईमुद्दीन को बहाल करते हुए तीन विभाग दे दिए थे, लेकिन तब तत्कालीन विभागीय मंत्री गोपाल भार्गव ने इस पर आपत्ति जताते हुए नोटशीट लिखी थी। भार्गव का कहना था कि नईमुद्दीन पर गंभीर आरोप हैं, लिहाजा इस तरह की जिम्मेदारियां न दी जाएं।
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इस तरह हुई विभाग में एंट्री
अब चूंकि नईमुद्दीन रिटायर हो चुके थे। आरोप है कि इसके बाद उन्होंने लीगल एडवाइजर बनने के लिए लगातार प्रयास किए। इसी बीच पीडब्ल्यूडी के भवन विभाग ने एक निजी कंपनी से लीगल एडवाइजर की मांग की। इसके बाद आईपीई ग्लोबल लिमिटेड से अलग अलग तरह की एडवाइजर मांगे गए। यहीं से नईमुद्दीन की एंट्री हुई।
5 लाख की रिश्वत लेते पकड़ा गया सब इंजीनियर, मांगे थे साढ़े 15 लाख
नियुक्ति के लिए अपना नाम बदला
अब उनकी इस कंपनी के जरिए नियुक्ति की भी रोचक खबर है। मामला यह रहा कि नईमुद्दीन सिद्दीकी दस्तावेजों में एन.सिद्दीकी हो गए। मतलब, उन्होंने अपना नाम बदल लिया। इस तरह आईपीई ग्लोबल लिमिटेड की तरफ से सिद्दीकी पीडब्ल्यूडी विभाग में बतौर लीगल एडवाइजर भर्ती हो गए। यह पूरा घटनाक्रम 2019 का है। सिद्दीकी की भवन शाखा में पदस्थापना हो गई। सूत्रों के अनुसार, एक बार वरिष्ठ अधिकारी ने उनके रिश्वत कांड का हवाल देते हुए भवन में ताला भी जड़ दिया था, लेकिन ज्यादा कुछ नहीं हुआ।
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विभाग से इस तरह चली नोटशीट
सिद्दीकी भवन शाखा के बाद अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर मंत्रालय पहुंच गए और उन्हें यहां बाकायदा केबिन भी अलॉट हो गया। इसके लिए नोटशीट चलाई गई है। यह अक्टूबर महीने का ताजा घटनाक्रम है। इसमें लिखा है कि आई.पी.ई. ग्लोबल लिमिटेड के माध्यम से आपके कार्यालय में नियुक्त एन.सिद्दीकी सलाहकार को आपके कार्यालयीन आदेश क्रमांक-261, दिनांक 20.02.2019 से लीगल, विभागीय जांच इत्यादि का कार्य सौंपा गया था। सिद्दीकी अपने कार्य के अतिरिक्त मंत्रालय, लोक निर्माण विभाग में लीगल सलाहकार संबंधी कार्य भी संपादित करेंगे। इस हेतु उन्हें पूर्ववत भुगतान प्राप्त होगा एवं पृथक से कोई वेतन देय नहीं होगा।
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एसीएस को भी अंधेरे में रखा
सूत्रों के अनुसार, सिद्दीकी की मंत्रालय में नियुक्ति को लेकर एसीएस यानी अपर मुख्य सचिव केसी गुप्ता को भी अंधेरे में रखा गया। उन्हें सिद्दीकी के पुराने केस के बारे में जानकारी ही नहीं है। लिहाजा, उन्होंने नोटशीट लिखकर सिद्दीकी की पदस्थापना मंत्रालय में करा ली है। अब जिस अधिकारी पर खुद भ्रष्टाचार का केस है, वह पूरे मध्यप्रदेश के पीडब्ल्यूडी के मामलों का लीगल एडवाइजर बना बैठा है।