आय से अधिक संपत्ति मामले में FCI कर्मचारी को 5 साल की जेल और जुर्माना

भोपाल की सीबीआई कोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने एफसीआई कर्मचारी को 5 साल की जेल और भारी जुर्माने से दंडित किया है। साथ ही कर्मचारी के घर से बरामद नकद राशि राजसात करने का भी आदेश सुनाया।

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Vikram Jain
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MP Bhopal FCI employee sentenced disproportionate assets case by CBI court
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भोपाल की विशेष सीबीआई कोर्ट ने आय से अधिक मामले में भारतीय खाद्य निगम (Food Corporation of India) के संभागीय कार्यालय के आरोपी कर्मचारी को दोषी ठहराते हुए चार करोड़ से ज्यादा का जुर्माना लगाया है। साथ ही 5 साल के कठोर कारावास (rigorous imprisonment) की सजा सुनाई है। जुर्माना (Fine) जमा नहीं भरने पर 1 साल अतिरिक्त जेल में रहना होगा। साथ ही कर्मचारी के घर से बरामद 3 करोड़ 96 लाख से ज्यादा की नकद राशि राजसात करने का भी आदेश सुनाया।

सीबीआई कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

भोपाल जिला न्यायालय में सीबीआई कोर्ट के विशेष न्यायाधीश अरविंद कुमार शर्मा ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में बुधवार को बड़ा फैसला सुनाया। सीबीआई कोर्ट ने भारतीय खाद्य निगम के भोपाल संभागीय कार्यालय के आरोपी किशोर मीणा सहायक एक को अवैध संपत्ति अर्जित करने के मामले में दोषी करार दिया। विशेष न्यायाधीश अरविंद कुमार शर्मा ने अपना फैसला सुनाते हुए दोषी कर्मचारी को 5 साल का कठोर कारावास की सजा सुनाई। साथ ही साढ़े चार करोड़ का जुर्माना भी लगाया है। विशेष न्यायाधीश अरविंद कुमार शर्मा ने जुर्माना नहीं भरने की दशा में दोषी किशोर मीणा को 1 साल के अतिरिक्त कठोर कारावास में रखने के आदेश भी दिए हैं।

जानें पूरा मामला

दरअसल, 27 मई 2021 को CBI की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा भोपाल को संदीप कपूर सिक्योरिटीज के फील्ड मैनेजर शिवदयाल द्विवेदी से रिश्वत मांगने के मामले में शिकायत मिली थी। शिकायत में बताया गया था कि भारतीय खाद्य निगम संभागीय कार्यालय भोपाल के अधिकारी उनके लंबित बिलों के भुगतान को मंजूरी देने के लिए रिश्वत की डिमांग की जा रही है। इसको लेकर सीबीआई एसीबी भोपाल शाखा ने शिकायत का सत्यापन करने के बाद एफआईआर दर्ज की थी।

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FCI के कार्यालय में CBI की कार्रवाई

सीबीआई ने केस दर्ज करने के बाद आरोपियों को रंगे हाथों पकड़ने के लिए जाल बिछाया। इसके बाद FCI के संभागीय कार्यालय भोपाल के अधिकारी अरुण कुमार श्रीवास्तव और मोहन पराते ने शिकायतकर्ता से 1 लाख रुपए की रिश्वत राशि प्राप्त की। सीबीआई की पूछताछ में अरुण कुमार और मोहन पराते ने बताया कि उन्होंने संभागीय प्रबंधक हरीश प्रकाश हिनौनिया के निर्देश पर यह रिश्वत ली है।

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रिश्वत मामले में चार लोगों की गिरफ्तारी

इसके बाद सीबीआई ने अरुण कुमार श्रीवास्तव को संभागीय प्रबंधक हरीश प्रकाश हिनौनिया को राशि देने के लिए भेजा। जिसके बाद हरिश प्रकाश हिनौनिया ने रिश्वत का पैसा सहायक स्तर-एक किशोर मीणा को देने के लिए कहा। इसके बाद किशोर मीणा ने जैसे ही रिश्वत के रुपए लिए तो सीबीआई ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों में अरूण कुमार श्रीवास्तव, मोहन पराते, हरीश प्रकाश हिनौनिया और किशोर मीणा शामिल थे। सीबीआई की टीम ने किशोर मीणा के कब्जे से रिश्वत के 1 लाख रुपए बरामद किए।

किशोर मीणा से मिला था 3 करोड़ से ज्यादा का कैश

इसके बाद आरोपियों की तलाशी ली गई। आरोपी किशोर मीणा की तलाशी के दौरान उसके पास 60 हजार 840 रुपए का अन्य कैश बरामद हुआ था। इसके बाद सीबीआई ने सभी आरोपियों के घर की भी दबिश दी। आरोपी किशोर मीणा के घर की तलाशी के दौरान लगभग 3 करोड़ रुपए से ज्यादा की नकदी, 387 ग्राम सोने के ज्वेलरी, 670 ग्राम चांदी के जेवर और चल-अचल संपति के दस्तावेज बरामद किए गए थे। जिसके बारे में वह संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए थे।

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सीबीआई ने 3 जून 2021 को दर्ज किया था केस

आरोपी किशोर मीणा ने सहायक स्तर एक एफसीआई, भोपाल के पद पर रहते हुए जांच अवधि 2 दिसंबर 2016 से 29 मई 2021 के दौरान अपनी आय के स्रोत से लगभग 900 प्रतिशत अधिक संपत्ति अर्जित की। इस मामले में सीबीआई ने 3 जून 2021 को धारा 13(2) सहपठित 13(1)(बी) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (संशोधित अधिनियम 2018) में एफआईआर दर्ज की थी। 

इस मामले में, सीबीआई ने अभियोग को प्रमाणित करने के लिए 31 गवाहों को पेश किया, बचाव पक्ष, यानी किशोर मीणा, ने अपने बचाव में 2 गवाहों को पेश किया और स्वयं भी गवाही दी। मुकदमे की पैरवी सीबीआई की ओर से लोक अभियोजक डॉ. मनफूल बिश्नोई ने की। फिलहाल रिश्वत का मामला सीबीआई न्यायालय में लंबित है।

इस खबर से जुड़े सामान्य सवाल जवाब

मामला किससे संबंधित है?
यह मामला भारतीय खाद्य निगम (FCI) के भोपाल संभागीय कार्यालय के सहायक स्तर-एक कर्मचारी किशोर मीणा के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति रखने के आरोपों से संबंधित है। उन्होंने अपनी वैध आय के स्रोतों से लगभग 900% अधिक संपत्ति अर्जित की थी।
सीबीआई ने इस मामले में कब कार्रवाई की थी?
सीबीआई ने इस मामले में 27 मई 2021 को शिकायत मिलने के बाद कार्रवाई शुरू की थी। इसके बाद, 3 जून 2021 को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी।
सीबीआई ने किस आधार पर आरोप लगाए?
सीबीआई ने यह आरोप लगाया कि किशोर मीणा ने अपने सरकारी पद का दुरुपयोग करते हुए अवैध तरीके से संपत्ति अर्जित की, जो उनकी वैध आय से लगभग 900% अधिक थी। जांच के दौरान उनके घर से बड़ी मात्रा में नकद, सोना, चांदी और संपत्ति के दस्तावेज बरामद किए गए थे।
कोर्ट का क्या फैसला था?
भोपाल की विशेष सीबीआई कोर्ट ने किशोर मीणा को दोषी ठहराते हुए 5 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई और साढ़े चार करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया। जुर्माना नहीं भरने पर उन्हें 1 साल अतिरिक्त जेल में रहना होगा। साथ ही, उनके घर से जब्त की गई लगभग 3 करोड़ 96 लाख रुपये की नकद राशि को सरकारी खजाने में जमा करने का आदेश दिया गया।
क्या अन्य आरोपी भी थे?
जी हां, इस मामले में अन्य आरोपियों में अरुण कुमार श्रीवास्तव, मोहन पराते और एफसीआई के संभागीय प्रबंधक हरीश प्रकाश हिनौनिया भी शामिल थे। इन्हें रिश्वत लेने और देने के मामले में सीबीआई ने गिरफ्तार किया था।
क्या रिश्वत से संबंधित मामला अभी भी लंबित है?
जी हां, रिश्वत से संबंधित एक अन्य मामला अभी भी सीबीआई कोर्ट में लंबित है।
सीबीआई ने कितने गवाह पेश किए थे?
सीबीआई ने अपने अभियोग को प्रमाणित करने के लिए 31 गवाहों को पेश किया था, जबकि बचाव पक्ष ने 2 गवाहों को प्रस्तुत किया था और खुद किशोर मीणा ने भी गवाही दी थी।
इस मामले में सीबीआई की पैरवी किसने की?
सीबीआई की ओर से इस मामले की पैरवी लोक अभियोजक डॉ. मनफूल बिश्नोई ने की थी।
क्या आरोपी किशोर मीणा ने खुद भी अपनी सफाई में गवाही दी थी?
जी हां, किशोर मीणा ने खुद भी अपनी सफाई में कोर्ट में गवाही दी थी।
क्या यह मामला भ्रष्टाचार के अन्य मामलों के साथ जुड़ा हुआ है?
यह मामला मुख्य रूप से आय से अधिक संपत्ति और रिश्वत के लेन-देन से जुड़ा हुआ है। रिश्वत से संबंधित एक अन्य मामला अभी भी न्यायालय में विचाराधीन है।

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