बैंक खातों की दलाली और ऑनलाइन फ्रॉड का पर्दाफाश, संगठित गिरोह को किया गिरफ्तार

सरकारी योजना का लालच देकर लोगों से बैंक खाते खुलवाए जाते थे। खातों के एटीएम कार्ड और सिम कार्ड आरोपी अपने पास रख लेते थे। इन खातों को ऑनलाइन सट्टेबाजी और जुए में इस्तेमाल किया जाता था।

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Neel Tiwari
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जबलपुर जीआरपी ने एक बड़े संगठित अपराध गिरोह का पर्दाफाश किया है। पुलिस के मुताबिक ये गिरोह भोले-भाले ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं के नाम पर ठगकर उनके बैंक खाते खरीदता था।  फिर इन खातों का इस्तेमाल ऑनलाइन सट्टेबाजी और जुए में करता था। पुलिस ने इस गिरोह के मास्टरमाइंड सहित कई आरोपियों को गिरफ्तार किया है। उनके पास से कई बैंक खातों की पासबुक, एटीएम कार्ड, मोबाइल फोन, सिम कार्ड और नगद राशि जब्त की है।

सरकारी योजना के नाम पर हुई ठगी

फरियादी संजय चौधरी 2 मार्च 2025 को जीआरपी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई कि एक महीने पहले रेलवे स्टेशन मदनमहल में उसकी मुलाकात शुभम पटेल नामक व्यक्ति से हुई थी। शुभम ने उसे बताया कि सरकार गांव के लोगों के लिए एक योजना चला रही है, जिसके तहत हर व्यक्ति को 10 हजार रूपये की राशि सीधे बैंक खाते में दी जाएगी। इस योजना का लाभ उठाने के लिए सिर्फ आधार कार्ड, पैन कार्ड और एक मोबाइल नंबर की जरूरत थी।संजय चौधरी इस झांसे में आ गया और शुभम पटेल के साथ नरसिंहपुर स्थित यूको बैंक पहुंचा। वहां शुभम ने उसके नाम से एक नया बैंक खाता खुलवाया। खाते के साथ मिलने वाली पासबुक, एटीएम कार्ड और सिम कार्ड शुभम ने अपने पास रख लिए। संजय को भरोसा दिलाया गया कि सरकारी योजना की रकम जल्द ही खाते में आ जाएगी और इसकी सूचना उसे फोन पर मिल जाएगी।

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खातों से पैसों के लेन-देन पर फरियादी को हुआ शक

कई हफ्ते बीत जाने के बाद भी संजय के खाते में कोई पैसा नहीं आया, जिससे उसे शक हुआ। जब उसने शुभम पटेल से दोबारा संपर्क किया, तो उसे बताया गया कि उसके दस्तावेज शुभम शर्मा नामक व्यक्ति को दे दिए गए हैं, जो उन्हें दिल्ली भेजकर खाते में पैसा डलवाएगा। इसके बाद संजय ने खुद बैंक जाकर अपने खाते की जानकारी ली, तो उसे पता चला कि खाते में पैसे डाले जा रहे हैं और निकाले भी जा रहे हैं। इस खुलासे के बाद संजय को समझ आया कि उसके साथ बड़ी धोखाधड़ी हुई है। उसने तुरंत जीआरपी जबलपुर में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू की।

दिल्ली में बेचे जा रहे थे बैंक खाते

शिकायत के आधार पर जीआरपी ने शुभम पटेल और शुभम शर्मा के खिलाफ अपराध क्रमांक 170/25 धारा 318(4), 61(2) BNS के तहत केस दर्ज किया। जांच में पता चला कि यह कोई साधारण ठगी का मामला नहीं था, बल्कि बैंक खातों की अवैध खरीद-फरोख्त का संगठित रैकेट था। गिरोह के सदस्य भोले-भाले ग्रामीणों को सरकारी योजना का झांसा देकर उनके नाम से बैंक खाते खुलवाते थे और फिर इन खातों के एटीएम कार्ड और सिम कार्ड अपने पास रखकर उन्हें दिल्ली स्थित एक बड़े गिरोह को बेच देते थे।

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पहली गिरफ्तारी के बाद हुआ गिरोह का खुलासा

जीआरपी की जांच में सबसे पहले शुभम लोधी (21 वर्ष) और शुभम शर्मा (24 वर्ष) का नाम सामने आया, जो नरसिंहपुर के गोटेगांव इलाके में रहते थे। पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया और उनके पास से कई बैंकों के एटीएम कार्ड और सिम कार्ड जब्त किए। पूछताछ में खुलासा हुआ कि ये आरोपी लोगों को झांसा देकर उनके दस्तावेज लेते थे और बैंक खाते खुलवाकर उन्हें दिल्ली में बेचा जाता था। इस खुलासे के बाद पुलिस को शक हुआ कि इस रैकेट के पीछे कोई बड़ा संगठित गिरोह काम कर रहा है, जिसे पकड़ने के लिए दिल्ली में छानबीन शुरू की गई।

दिल्ली से जुड़े तार, मास्टरमाइंड गिरफ्तार

पुलिस जांच में पाया गया कि इस पूरे रैकेट का मास्टरमाइंड संजीव अरोरा उर्फ सनी अरोरा (निवासी तिलक नगर, दिल्ली) है। वह अपने साथी नीरज चावला (लालमाटी, जबलपुर, हाल निवासी दिल्ली) और अन्य आरोपियों के साथ मिलकर यह अवैध कारोबार चला रहा था।जीआरपी की एक विशेष टीम ने 23 मार्च 2025 को दिल्ली में छापा मारकर संजीव अरोरा को गिरफ्तार कर लिया। उसके पास से मोबाइल फोन, सिम कार्ड और कई बैंक खातों से जुड़ी जानकारियां जब्त की गईं।

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जबलपुर में गिरोह के और सदस्य गिरफ्तार

संजीव अरोरा की गिरफ्तारी के बाद उसकी निशानदेही पर पुलिस ने जबलपुर से ऋषि कपूर (बेदी नगर) और लखन सिंह ठाकुर (लालमाटी) को 27 मार्च 2025 को गिरफ्तार किया। ये आरोपी भी भोले-भाले लोगों को सरकारी योजनाओं का लालच देकर उनके बैंक खातों का इस्तेमाल ऑनलाइन सट्टेबाजी और जुए में कर रहे थे। पुलिस ने इन आरोपियों के पास से भी मोबाइल फोन, एटीएम कार्ड और नगद राशि जब्त की है।

ऐसे ठगी को अंजाम देता था गिरोह

सरकारी योजना का लालच देकर लोगों से बैंक खाते खुलवाए जाते थे। खातों के एटीएम कार्ड और सिम कार्ड आरोपी अपने पास रख लेते थे। इन खातों को ऑनलाइन सट्टेबाजी और जुए में इस्तेमाल किया जाता था।पैसों का लेन-देन दिल्ली से ऑपरेट होने वाले गिरोह के जरिए होता था। पुलिस को इस गिरोह से जुड़े अन्य फरार आरोपियों की तलाश है, जो इस अवैध धंधे में शामिल थे।

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पुलिस टीम को मिलेगा इनाम

इस बड़ी सफलता के लिए जीआरपी जबलपुर की विशेष टीम को पुलिस अधीक्षक सिमाला प्रसाद के निर्देशन और उप पुलिस अधीक्षक लोकेश मार्को के मार्गदर्शन में गठित किया गया था। इस ऑपरेशन में निरीक्षक अरुणा वाहने, उपनिरीक्षक संजीवनी राजपूत, सहायक उपनिरीक्षक रोशनलाल, प्रधान आरक्षक विनोद तिवारी, गणेश तिवारी, सागर उपाध्याय, रविकांत रजक, मनीष शर्मा, विमलेश ठाकुर, मोहनीश सेन, कंपनी कुमार, महिला आरक्षक हेमलता किरकिट्टा, काजल सिंह और शकुंतला की अहम भूमिका रही। पुलिस अधीक्षक रेलवे ने इस टीम को नगद पुरस्कार देने की घोषणा की है।

 

 

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