पूर्णिमा पर चंद्रमा में इस बार नहीं दिखेगी चमक, जानिए माइक्रो फ्लावर मून का महत्व

12 मई 2025 को बुद्ध पूर्णिमा पर चंद्रमा पृथ्वी से दूर होगा, जिससे माइक्रो फ्लावर मून का दृश्य होगा। इस अवसर पर जानें चंद्रमा के आकार, चमक और नामकरण के बारे में।

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Jitendra Shrivastava
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buddha-purnima-2025 Photograph: (THESOOTR)

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बुद्ध पूर्णिमा भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो भगवान गौतम बुद्ध की जयंती के रूप में मनाई जाती है। इस वर्ष, 12 मई 2025 को बुद्ध पूर्णिमा के दिन एक खास खगोलीय घटना भी घटित हो रही है- यह दिन वैशाख पूर्णिमा ( Vaisakha Purnima ) और चंद्रमा का माइक्रो फ्लावर मून (Micro Flower Moon) भी है।

माइक्रो फ्लावर मून क्या है?

माइक्रो फ्लावर मून वह घटना है, जब पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पृथ्वी से अपेक्षाकृत अधिक दूर होता है। इस कारण चंद्रमा का आकार सामान्य से छोटा और उसकी चमक कम दिखाई देती है। खगोलविज्ञान में इसे माइक्रोमून (Micromoon) कहा जाता है, और इस बार इसे फ्लावर मून (Flower Moon) के नाम से भी जाना जा रहा है।

सारिका घारू, जो एक राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त विज्ञान प्रसारक हैं, ने इस खगोलीय घटना के बारे में बताया कि 12 मई को चंद्रमा की पृथ्वी से दूरी लगभग 4,06,000 किलोमीटर होगी। यह दूरी आम तौर पर 3,60,000 किलोमीटर होती है, जो सुपरमून के दौरान देखी जाती है। इसलिए इस दिन चंद्रमा छोटा और मंदा दिखेगा।

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 माइक्रोमून का महत्व

चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर एक अंडाकार कक्षा में परिक्रमा करता है और इस कक्षा में दो प्रमुख बिंदु होते हैं-

  • पेरिगी (Perigee): यह वह बिंदु है, जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है।
  • अपोजी (Apogee): यह वह बिंदु है, जब चंद्रमा पृथ्वी से सबसे दूर होता है।

जब पूर्णिमा के समय चंद्रमा अपोजी के आसपास होता है, तो यह माइक्रोमून कहलाता है। इस दौरान चंद्रमा सामान्य से छोटा और धुंधला दिखाई देता है।

माइक्रोमून का नामकरण

माइक्रो फ्लावर मून का नाम पश्चिमी देशों में मई महीने में खिलने वाले रंग-बिरंगे फूलों के कारण पड़ा है। यह नामकरण इसलिए किया गया क्योंकि मई में विभिन्न प्रकार के जंगली फूल खिलते हैं और इन फूलों को देखते हुए पश्चिमी देशों के लोग इस चंद्रमा का नाम फ्लावर मून रखते हैं।
भारत में, हालांकि, पूर्णिमा का नामकरण चंद्रमा के आस-पास स्थित नक्षत्र के आधार पर किया जाता है। इस बार चंद्रमा विशाखा नक्षत्र (Vishakha Nakshatra) में स्थित है, जिसे ध्यान में रखते हुए इस महीने को वैशाख (Vaisakha) कहा जाता है, और पूर्णिमा को वैशाखी पूर्णिमा (Vaisakhi Purnima) कहा जाता है।

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बुद्ध पूर्णिमा और खगोलीय घटनाएं

बुद्ध पूर्णिमा का महत्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से है, बल्कि इस दिन से जुड़ी खगोलीय घटनाएं भी अत्यधिक आकर्षक होती हैं।

वैशाख पूर्णिमा पर कैसा दिखेगा चंद्रमा

आज (सोमवार 12 मई), चंद्रमा सूर्यास्‍त के बाद पूर्व दिशा में उदय होगा और रात भर आकाश में रहेगा। अगले दिन, यानी 13 मई की सुबह, चंद्रमा पश्चिम दिशा में अस्त होगा। यह दृश्य खगोलीय दृष्टि से देखने के लिए बेहद रोमांचक होगा।
चंद्रमा के इस अद्भुत रूप को देखना विशेष रूप से खगोल प्रेमियों और उन लोगों के लिए रोमांचक होगा, जो इस दिन की खगोलीय घटनाओं को नजदीकी से देखना चाहते हैं।

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माइक्रोमून का प्रभाव

माइक्रोमून के दौरान चंद्रमा पृथ्वी से दूर होता है, जिसका प्रभाव सामान्य चंद्रमा की तुलना में कम होता है। चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण प्रभाव, जो आमतौर पर समुद्रों की लहरों पर असर डालता है, माइक्रोमून के दौरान कमजोर होता है। हालांकि, यह पृथ्वी पर कोई बड़ा बदलाव नहीं लाता, लेकिन आकाशीय घटनाओं को देखना हमेशा एक दिलचस्प अनुभव होता है।

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खगोल प्रेमियों के लिए अवसर

माइक्रो फ्लावर मून एक शानदार अवसर है खगोलशास्त्र प्रेमियों और आकाश प्रेमियों के लिए, क्योंकि यह एक दुर्लभ घटना है। इस दिन चंद्रमा की चमक और आकार को देखकर लोग इसके बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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