बिल्डर मनोहर देव और शैलेंद्र अग्रवाल विवाद में निगम के जोन 19 के बिल्डिंग अफसर की मनमानी पर नाराज हाईकोर्ट

देव के गायत्री पैराडाइज प्रोजेक्ट में राजशील के शैलेंद्र अग्रवाल ने निगम को शिकायत की थी कि बिल्डिंग परमिशन उनके द्वारा मेरे दस्तावेजों का उपयोग कर गलत तरीके से लिया गया। इसमें भवन अधिकारी ने देव को 8 सितंबर 2023 को नोटिस दिया गया कि जवाब दो।

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Pratibha ranaa
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बिल्डर मनोहर देव और शैलेंद्र अग्रवाल विवाद
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संजय गुप्ता, INDORE. गायत्री पैराडाइज के बिल्डर मनोहर देव ( Builder Manohar Dev ) और उनके पुत्र पंकज देव के साथ राजशील रियलटर्स के शैलेंद्र अग्रवाल व अमित अग्रवाल ( Shailendra Agarwal ) के विवाद में हाईकोर्ट इंदौर ने आदेश जारी किया है। इस केस में निगम जोन 19 के भवन अधिकारी की भूमिका पर हाईकोर्ट ने सवाल उठाए हैं और इस मामले में निगमायुक्त को एक्शन लेने के आदेश देते हुए जांच कराने के लिए कहा गया है। ( Indore Municipal Corporation )

क्या किया भवन अधिकारी ने

देव के गायत्री पैराडाइज प्रोजेक्ट में राजशील के शैलेंद्र अग्रवाल ने निगम को शिकायत की थी कि बिल्डिंग परमिशन उनके द्वारा मेरे दस्तावेजों का उपयोग कर गलत तरीके से लिया गया। इसमें भवन अधिकारी ने देव को 8 सितंबर 2023 को नोटिस दिया गया कि जवाब दो। जवाब देने के लिए समय 30 सितंबर तक दिया गया, लेकिन 18 सितंबर को ही परमीशन रद्द कर दी गई यह कहते हुए आपने गलत दस्तावेजों का उपयोग कर मंजूरी ली है। वहीं साथ ही अधिकारी ने कनाडिया थाने में भी देव के खिलाफ एफआईआर करने का प्रतिवेदन भी उसी दिन भेज दिया। जबकि मंजूरी रद्द करने के आदेश में ही तीन दिन का समय दस्तावेज पेश करने के लिए दिया है। 

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हाईकोर्ट ने यह पाया

हाईकोर्ट ने पाया कि यह पूर मनमाना आदेश है, जिसमें शक्तियों का गलत प्रयोग किया गया है और भवन अधिकारी इतने सक्रिय थे कि मंजूरी रद्द करने में तीन दिन का समय दे रहे हैं और साथ ही कनाडिया थाने में भी आवेदन दे रहे हैं। निगमायुक्त उनके खिलाफ जांच बैठाए।

यह है मामला

कनाडिया की 20 एकड़ जमीन जो मनोहर और पंकज देव की है। उन्होंने इसके विकास के लिए राजशील के शैलेंद्र अग्रवाल के साथ डील की, लेकिन बाद में दोनों के बीच विवाद हो गया। इसमें दोनों पक्षों की ओर से जनसुनवाई से लेकर अन्य जगह शिकायतें हुई। शैलेंद्र अग्रवाल को बाद में देव ने हटा दिया और उनकी जगह सम्राट बिल्डकान को जोड़ लिया। लेकिन निगम से मंजूरी 28 दिसंबर 2021 को राजशील के नाम से मिली थी। इसे लेकर राजशील ने सितंबर 2023 में शिकायत कर दी कि इनकी मंजूरी मेरे नाम से गलत तरीके से ली गई है, इसे रद्द किया जाए। इस पर भवन अधिकारी ने यह एक्शन ली। राजशील के अधिवक्ता विनय पुराणिक ने बताया कि 15 दिन में नगर निगम को सभी पक्ष को सुन और दस्तावेज देखकर स्पीकिंग आर्डर पास करने के आदेश हुए हैं। साथ ही भवन अधिकारी की भी जांच के आदेश दिए गए हैं। अब आगे निगम से आदेश होगा।

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