जिला बदर करना पड़ा भारी, HC ने कलेक्टर पर लगाया 50 हजार का जुर्माना, जानें पूरा मामला

बुरहानपुर में अवैध वन कटाई का विरोध करने वाले आदिवासी नेता अनंत राम के खिलाफ जिला बदर आदेश को जबलपुर हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने सरकार को बुरहानपुर कलेक्टर से 50 हजार रुपए वसूलने का आदेश दिया है।

Advertisment
author-image
Neel Tiwari
एडिट
New Update
burhanpur illegal forest felling case jabalpur high court decision

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट।

Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

जबलपुर हाईकोर्ट ने बुरहानपुर अवैध वन कटाई मामले में सुनवाई करते हुए एक अहम फैसला जारी किया जिसमें कलेक्टर के द्वारा अपनी अधिकार क्षेत्र से बाहर कानूनी नियमों से अलग बाहरी दबाव में आकर अवैध वन कटाई किए जाने का विरोध करने वाले आदिवासी नेता का जिला बदर किए जाने का आदेश दिया था जिसमें कोर्ट के द्वारा इस आदेश को खारिज करते हुए राज्य सरकार को बुरहानपुर कलेक्टर से 50 हजार रुपए वसूलने और राज्य के मुख्य सचिव को समस्त जिला दंडाधिकारियों की बैठक बुलाकर उन्हें राज्य सुरक्षा अधिनियम 1990 में मौजूद कानूनों का आशय समझाने के आदेश दिए।

अवैध वन कटाई का विरोध करने पर जिला बदर 

मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में जागृत आदिवासी दलित संगठन के कार्यकर्ता अनंत राम आवासे के द्वारा बुरहानपुर में हो रही अवैध वन कटाई का विरोध किया जा रहा था जिसमे उनके द्वारा प्रशासन से इस मामले को लेकर लगातार शिकायत की जा रही थी साथ इस अवैध कटाई के विरोध में धरना प्रदर्शन भी किया गया था। लेकिन प्रशासन के द्वारा इस पर कोई भी कार्रवाई नहीं की गई साथ ही राजनीतिक दबाव के कारण अनंत राम आवासे पर 11 वन्य अपराध और 2 आपराधिक मामले भी दर्ज किए गए। जिसे आधार बनाकर कलेक्टर बुरहानपुर के द्वारा इनका जिला बेदखली का आदेश भी जारी कर दिया गया।

जीतू यादव के गुंडे पिंटू की जमानत खारिज, ये है चाल एक की भी बेल हो तो सामने आए

हाई कोर्ट का लिया सहारा

बुरहानपुर कलेक्टर के द्वारा 23 जनवरी 2024 को एक आदेश पारित करते हुए अनंत राम आवासे का एक वर्ष के लिए जिला बदर किए जाने का आदेश जारी किया गया। जिसके बाद अनंत राम के द्वारा इंदौर कमिश्नर से इस आदेश के खिलाफ अपील की गई जिसे कमिश्नर के द्वारा निरस्त कर दिया गया। कमिश्नर के द्वारा अपील को खारिज किए जाने के बाद जबलपुर हाईकोर्ट में इस आदेश के विरुद्ध में रिट याचिका को दायर किया गया।

नहीं पाई गई जिला बदर की कोई ठोस वजह

जबलपुर हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया है कि जिला बदर के आदेश में जिन अपराधों को आधार बनाया गया है उनमें 11 वन्य अपराध और 2 आपराधिक मामले है लेकिन राज्य सुरक्षा अधिनियम 1990 की धारा 6 के अनुसार वन्य अपराधों में जिला बदर की कार्रवाई किए जाने संबंधी कोई भी प्रावधान मौजूद नहीं है साथ ही जिन 2 आपराधिक मामलों में जिला बदर की कार्यवाही की गई है उनमें भी किसी ऐसे बयानों को दर्ज नहीं किया गया है कि जिससे याचिकाकर्ता से किसी सार्वजनिक व्यवस्था या सुरक्षा के लिए कोई खतरा हो।

70 घंटों से भूख हड़ताल पर पेरेंट्स एसोसिएशन, जिम्मेदारों ने अब तक नहीं ली सुध

प्रतिवादी नहीं दे पाए कोई स्पष्टीकरण

शासन की पैरवी कर रहे उप महाधिवक्ता यश सोनी से जब कोर्ट के द्वारा जब रिकॉर्ड में यह दिखाने के लिए कहा गया कि किस प्रकार वन अपराध राज्य सुरक्षा अधिनियम 1990 की धारा 6 के अंतर्गत आते हैं। तब उनके द्वारा इस बात को स्वीकार किया गया कि ऐसे अपराधों को इस श्रेणी में शामिल नहीं किया जाता है लेकिन 2 आपराधिक मामलों में जिला बदर किया जा सकता है तब कोर्ट के द्वारा उन मामलों में गवाहों के बयानों को प्रस्तुत किए जाने की बात कही गई जिस पर उप महाधिवक्ता के द्वारा बताया गया कि किसी भी प्रकार के बयानों को दर्ज नहीं किया गया है जिस पर कोर्ट ने उनसे उन व्यक्तियों के नाम को बताने को कहा जिनके द्वारा बयान दिए जाने से मना किया गया था। इस पर भी उनके द्वारा कहा गया कि उनके पास ऐसे किसी भी व्यक्तियों के नाम मौजूद नहीं है।

रजिस्ट्रेशन सस्पेंड फिर भी अफसरों ने खुला छोड़ा नर्सिंग होम-अल्ट्रासाउंड सेंटर

हाई कोर्ट ने जारी किया आदेश 

इस याचिका पर सुनवाई जस्टिस विवेक अग्रवाल की सिंगल बेंच में हुई जिसमें  सुनवाई के दौरान स्पष्ट हुआ कि मध्य प्रदेश राज्य सुरक्षा अधिनियम 1990 की धारा 6 के अंतर्गत वन अपराधों के लिए किसी व्यक्ति का जिला बदर नहीं किया जा सकता है साथ ही जिन 2 आपराधिक मामलों में जिला बदर की कार्रवाई की गई है उनमें भी कोई साक्ष्य या बयानों की गैर मौजूदगी में केवल FIR की वजह से दोष सिद्ध नहीं होता है इसलिए कोर्ट के द्वारा याचिका का निपटारा करते हुए जिला बदर के आदेश को खारिज किया जाता है साथ ही याचिकाकर्ता को शासन की तरफ से 50 हजार रुपए दिए जाने का आदेश दिया जाता हैं। 
इसके अलावा राज्य शासन को यह निर्देश भी दिया जाता है कि उक्त राशि की वसूली संबंधित कलेक्टर (कलेक्टर बुरहानपुर) के द्वारा की जाए क्योंकि उनके द्वारा प्रासंगिक तौर पर इस प्रकार के विवादित आदेश को पारित किया गया था। साथ ही राज्य के मुख्य सचिव को भी आदेश देते हुए कहा कि समस्त जिला अधिकारियों की बैठक बुलाकर उन्हें इस राज्य सुरक्षा अधिनियम में निहित कानूनों का वास्तविक अर्थ समझाएं जिससे किसी भी राजनीतिक दबाव में आकर इस प्रकार के आदेशों को पारित न किया जाए।

HC का बड़ा फैसला, दोबारा होगा उज्जैन जनपद पंचायत अध्यक्ष का चुनाव

Jabalpur High Court जबलपुर हाईकोर्ट जबलपुर न्यूज मध्य प्रदेश Burhanpur News बुरहानपुर न्यूज जिला बदर बुरहानपुर कलेक्टर