उज्जैन में अब जनपद पंचायत अध्यक्ष का चुनाव फिर से होगा। इंदौर हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए जनपद अध्यक्ष का चुनाव दोबारा कराने के निर्देश दिए हैं। 2022 में हुए अध्यक्ष के चुनाव को असंवैधानिक करार देते हुए शून्य घोषित किया है। इस आदेश के तहत कलेक्टर को फिर से चुनाव प्रक्रिया कराना होगी।
जानें क्या पूरा मामला
दरअसल, उज्जैन में 25 जून 2022 को हुए जनपद पंचायत के चुनाव कराए गए थे। इसके बाद 27 जुलाई 2022 अध्यक्ष-उपाध्यक्ष का चुनाव हुआ था, यहां विरोध और हंगामे के बीच कांग्रेस समर्थित पिपलोदा द्वारकाधीश की विंध्या देवेंद्र सिंह पंवार अध्यक्ष चुनी गई थीं। और दताना के नासीर पटेल उपाध्यक्ष चुने गए थे। हालांकि, बीजेपी के पास 25 सदस्यीय जनपद में से 13 सदस्य थे। इसके बावजूद बीजेपी के सदस्य वोटिंग में हिस्सा नहीं ले पाए थे, जिसके बाद कांग्रेस प्रत्याशियों को विजयी घोषित किया गया था। यहां बहुमत होने के बाद बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था।
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मोहन यादव ने दिया था धरना
इस निर्णय के खिलाफ तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने बीजेपी समर्थित जनपद सदस्यों और कार्यकर्ताओं के साथ धरने पर बैठकर प्रशासन पर लोकतंत्र की हत्या का आरोप लगाया था। इसके बाद याचिका दायर की गई थी, जिसके बाद अब हाईकोर्ट ने चुनाव प्रक्रिया को निरस्त कर दोबारा चुनाव कराने का आदेश दिया है।
हाईकोर्ट ने लगाया था स्टे, अब सुनाया फैसला
हाईकोर्ट में याचिका लगाने वाले अनंत यादव ने बताया कि 2022 में चुनाव प्रशासन की साठगांठ से कांग्रेस को जीत मिली थी, क्योंकि केवल 12 सदस्यों ने वोट डाला था, जबकि 25 सदस्यीय जनपद पंचायत के लिए मतदान होना था। याचिका में बताया कि इसको लेकर पीठासीन अधिकारी के समक्ष कोविड प्रमाणपत्र के साथ आवेदन प्रस्तुत किया गया था, लेकिन चुनाव अधिकारी ने सभी आवेदनों को खारिज कर दिया और विंध्या पंवार को अध्यक्ष घोषित कर दिया। जबकि पीठासीन अधिकारी चुनाव की तिथि को स्थगित भी कर सकते थे। याचिका के बाद कोर्ट ने स्टे आदेश जारी किया और अब डबल बेंच ने दोबारा चुनाव कराने का फैसला सुनाया है।
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कोर्ट के फैसले पर विधायक परमार
इस फैसले पर कांग्रेस विधायक महेश परमार ने कहा कि अगर कांग्रेस गलत हैं तो तात्कालिक कलेक्टर और अन्य अधिकारियों को भी जिम्मेदार ठहराना चाहिए। यदि चुनाव में गड़बड़ी हुई है, तो इसके लिए तत्कालीन अधिकारी जिम्मेदार हैं उन्हें सजा मिलनी चाहिए। कांग्रेस ने लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव जीता था।
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