JABALPUR. भोपाल यूनियन कार्बाइड से निकले जहरीले कचरे के निस्तारण का मुद्दा एक लंबे समय से विवाद और चिंता का विषय रहा है। इस संबंध में मध्य प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के समक्ष एक विस्तृत अंडरटेकिंग प्रस्तुत की है। यह कदम भोपाल गैस त्रासदी के बाद से अवशेष कचरे के सुरक्षित और वैज्ञानिक निस्तारण को सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। सरकार ने अपनी रिपोर्ट में न केवल निस्तारण की प्रक्रिया की जानकारी दी है, बल्कि इस विषय में जनता को आश्वस्त करने के लिए एक व्यापक योजना भी पेश की है।
सार्वजनिक होगी साइंटिफिक रिपोर्ट
प्रदेश सरकार ने एनजीटी को सूचित किया कि यूनियन कार्बाइड से निकले जहरीले कचरे के प्रभाव और इसके निस्तारण की प्रक्रिया को लेकर पहले ही सुप्रीम कोर्ट और मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में वैज्ञानिक रिपोर्ट प्रस्तुत की जा चुकी है। इन रिपोर्टों में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि यह कचरा न केवल पर्यावरणीय क्षति पहुंचा सकता है, बल्कि इसे अनदेखा करने से मानव स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं। सरकार ने यह वादा किया है कि इन रिपोर्टों को जल्द ही सार्वजनिक किया जाएगा। मीडिया के माध्यम से इन रिपोर्टों को प्रकाशित करने का उद्देश्य जनता को पारदर्शिता का भरोसा दिलाना है। यह पहल नागरिकों को सरकार की नीयत और प्रतिबद्धता पर विश्वास करने में मदद करेगी।
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नागरिकों की चिंताओं को प्राथमिकता
सरकार ने इस निस्तारण प्रक्रिया के दौरान नागरिकों की चिंताओं को ध्यान में रखने का आश्वासन दिया है। पीथमपुर में स्थापित किए जाने वाले निस्तारण संयंत्र से उत्पन्न होने वाले धुएं और गैस के संभावित दुष्प्रभावों को लेकर स्थानीय समुदाय में भय है। इन चिंताओं को समझते हुए, सरकार ने वैज्ञानिकों, पर्यावरणविदों, और क्षेत्रीय नागरिकों की एक समिति गठित करने का निर्णय लिया है। यह समिति न केवल नागरिकों के साथ संवाद करेगी, बल्कि उनकी चिंताओं का वैज्ञानिक समाधान भी प्रस्तुत करेगी। इसके तहत पीथमपुर और आसपास के क्षेत्र में जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे, ताकि जनता को निस्तारण प्रक्रिया के वैज्ञानिक पहलुओं और पर्यावरणीय सुरक्षा उपायों की पूरी जानकारी दी जा सके।
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एनजीटी में दायर हुई थी याचिका
यूनियन कार्बाइड के कचरे के निस्तारण को लेकर एनजीटी में एक याचिका डॉ. पीजी नाजपांडे और रजत भार्गव द्वारा दायर की गई थी। याचिका में इस जहरीले कचरे के निस्तारण से पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों को लेकर गंभीर सवाल उठाए गए थे। याचिकाकर्ताओं ने विशेष रूप से यह मांग की थी कि निस्तारण प्रक्रिया में वैज्ञानिक उपायों और पर्यावरणीय मानकों का पालन किया जाए। एनजीटी ने इस याचिका का निस्तारण करते हुए राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत कार्ययोजना को मंजूरी दी। साथ ही, यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी और सुरक्षित हो।
इंसीनिरेशन प्रक्रिया से डिस्पोज होगा कचरा
सरकार ने अपनी अंडरटेकिंग में बताया कि यूनियन कार्बाइड के कचरे का निस्तारण धार जिले के पीथमपुर क्षेत्र में किया जाएगा। इसके लिए इंसीनिरेशन (जहरीले कचरे को उच्च तापमान पर जलाकर नष्ट करना) प्रक्रिया को अपनाया जाएगा। यह प्रक्रिया कचरे को सुरक्षित रूप से खत्म करने का एक वैज्ञानिक तरीका है, जिसमें पर्यावरण पर दुष्प्रभाव को न्यूनतम किया जा सकता है। हालांकि, इस प्रक्रिया में निकलने वाले धुएं और गैसों को लेकर जनता में चिंताएं हैं। सरकार ने इन चिंताओं को दूर करने के लिए उन्नत तकनीकों का उपयोग करने का आश्वासन दिया है। यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी गतिविधियां पर्यावरणीय मानकों और नियमों के अनुसार हों।
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लोगों को जानकारी देकर जागृत करेंगी सरकार
कचरे के निस्तारण की प्रक्रिया को लेकर सरकार ने सार्वजनिक जागरूकता को प्राथमिकता दी है। स्थानीय नागरिकों के साथ संवाद स्थापित करने के लिए विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों, और पर्यावरणविदों की टीम बनाई जाएगी। यह टीम कचरे के निस्तारण के दौरान उठने वाले संभावित सवालों का जवाब देगी और नागरिकों को विश्वास दिलाएगी कि उनकी सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है। जागरूकता अभियान के तहत न केवल कचरे की निस्तारण प्रक्रिया की जानकारी दी जाएगी, बल्कि यह भी बताया जाएगा कि इसके पर्यावरण और स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव हो सकते हैं।
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