यूका कचरा पीथमपुर में ही जलेगा, केवल जागरुकता के लिए 6 सप्ताह मांगे

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने मीडिया को फेक न्यूज से बचने का निर्देश दिया। यूनियन कार्बाइड मामले में जनता को जागरूक कर 6 हफ्ते में वेस्ट डिस्पोजल की योजना बनाई गई है।

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Sanjay Gupta
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यूनियन कार्बाइड का जहरीला 337 मीट्रिक टन कचरा पीथमपुर में ही जलेगा। मप्र सरकार द्वारा हाईकोर्ट जबलपुर में चीफ जस्टिस बेंच में सोमवार को सुनवाई के दौरान ऐसा कोई तर्क नहीं दिया गया कि पीथमपुर में कचरा नहीं जलाया जाएगा। मप्र सरकार ने केवल लोगों की जागरूकता के लिए 6 सप्ताह का समय मांगा था, जो कि हाईकोर्ट ने मान्य कर लिया है। वहीं कचरा जलाए जाने पर कोई रोक नहीं लगाई है। हाईकोर्ट ने 3 दिसंबर के आदेश का ही पालन करने के निर्देश शासन को दिए हैं। हालांकि, जनता को विश्वास में लेने के लिए 6 सप्ताह का समय मांगा गया है और अगली सुनवाई 18 फरवरी को लगाई गई है। हालांकि एक इंटरविनर की ओर से कहा गया कि देश में 20 इंसीनरेटर है, वहां कचरा जलाया जाना चाहिए, लेकिन इस पर कोई बहस नहीं हुई है।

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शासन ने अनलोड के लिए अलग आदेश की मांग की

मप्र शासन की ओर से एजी प्रशांत सिंह ने तीन अहम बात की उन्होंने पहले तो फेक न्यूज पर रोक की बात रखी और कहा कि लगातार फेक न्यूज फैलाने से जनता नाराज हो रही है और उन्हें भ्रमित किया जा रहा है और इससे डर फैल रहा है। दूसरी बात उन्होंने रखी कि जनता को विश्वास में लेना जरूरी है इसके लिए 6 सप्ताह का समय दिया जाए। इसके बाद उन्होंने कहा कि 12 कंटेनर में कचरा पीथमपुर पहुंच चुका है और इसे सेफ एरिया में अनलोड करके रखना है इसकी मंजूरी दी जाए।

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हाईकोर्ट ने इन बातों पर यह कहा-

1-   फेक न्यूज से बचने के कोर्ट ने मीडिया को सख्त निर्देश दिया है। वहीं अधिकारियों को भ्रम और डर फैलाने वाली न्यूज पर एक्शन लेने के निर्देश दिए हैं।

2- जनता को विश्वास में लेने के लिए 6 सप्ताह का समय दिया जाएगा और अगली सुनवाई 18 फरवरी को होगी।
3- अनलोड के लिए अलग से मंजूरी की जरूरत नहीं है, क्योंकि 3 दिसंबर के आदेश में इसके निष्पादन तक की बात है तो फिर शासन को अलग से निर्देश की जरूरत नहीं है। शासन को छूट है कि 3 दिसंबर के आदेश के पालन में जिसमें अनलोडिंग भी शामिल उस पर शासन अपने स्तर पर फैसला करे।

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डॉक्टर्स की चिंता पर यह हुआ

एमजीएम मेडिकल कॉलेज इंदौर के डॉक्टर्स की ओर से भी याचिका लगी थी और कहा गया कि हमारे पास रिसर्च है, दस मीट्रिक टन कचरा ट्रायल करना अलग बात थी, लेकिन 337 मीट्रिक टन अलग बात है। इसके लिए हमारी बातों को देखा जाए। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि शासन इस याचिका में आए मुद्दों पर भी ध्यान दें।

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खर्चे को लेकर उठाई बात

यह बात भी एक इंटरविनर द्वारा उठाया गया कि साल 2005 में यह कचरा 14.80 रुपए प्रति किलो में जलाए जाने का अनुमान था लेकिन अब यह भाव 3 हजार 700 रुपए प्रति किलो हो रहा है। यह कैसे हो गया है इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि इसके लिए अलग से पीआईएल लगा सकते हैं।

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