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Jabalpur High Court Union Carbide Case Photograph: (the sootr)
INDORE : जलने से पहले ही यूनियन कार्बाइड (यूका) कचरे ने कोहराम मचा रखा है। पीथमपुर में जमकर विरोध और आक्रोश है। जन आंदोलन को देखते हुए मप्र सरकार ने भले ही 337 मीट्रिक टन जहरीला कचरा पीथमपुर के रामकी संयंत्र में 12 कंटेनर में पहुंचा दिया है लेकिन इन्हें खोला नहीं गया है। अब सभी की नजरें सोमवार 6 जनवरी को जबलपुर हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस की डबल बेंच पर है, जिसमे यह केस सुनवाई के लिए लगा है। इस मामले में सीएम डॉ. मोहन यादव और बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा कह चुके हैं कि अभी कचरा जलाया नहीं जा रहा है, हाईकोर्ट के आदेश से केवल परिवहन कर पीथमपुर पहुंचाया गया है, हम हाईकोर्ट को जनता की भावनाओं से अवगत कराएंगे।
केस पहले नंबर पर ही लगा
केस नंबर डब्ल्यूपी 2802/2004 आलोक प्रताप सिंह विरूद्ध यूनियन ऑफ इंडिया केस पहले नंबर पर ही लिस्टेड है। यानी इसकी सुनवाई सुबह साढ़े बजे शुरू हो जाएगी। इस पीआईएल में सिंह ने यूनियन ऑफ इंडिया तके साथ ही डिपार्टमेंट ऑफ केमिकल्स एंड पेट्रोल केमिकल्स म, मप्र सरकार, मप्र पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, डो केमिकल कंपनी (यूनियन कार्बाईड लिमटेड), यूनियन कार्बाइड कार्पोरेशन, एवरीडे इंडस्ट्री लिमिटेड कोलकाता को भी पार्टी बनाया हुआ है।
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इसमें बताना है कम्पलायंस रिपोर्ट
इसके पहले इस केस में तीन दिसंबर 2024 को सुनवाई हुई थी जिसमें हाईकोर्ट ने सख्त आदेश दिए थे और 3 जनवरी तक इसमें शपथपत्र पर कम्पलायंस रिपोर्ट सबमिट के आदेश दिए थे। ऐसा नहीं होने पर मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव की व्यक्तिगत पेश होने के आदेश थे। इसमें हर दिन की रिपोर्ट बताने के आदेश थे कि उन्होंने यूका कचरा पहुंचाने के लिए क्या किया है।
इस सुनवाई में यूका कचरे पर ये ऑन रिकार्ड आया
- तीन दिसंबर 20224 की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत व जस्टिस विवेक जैन की बैंच ने कहा था कि हम समझ नहीं पा रहे है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश और इस कोर्ट के आदेश के बाद भी 23 मार्च 2024 के प्लान के मुताबिक अभी तक कोई कदम क्यों नहीं उठाए गए हैं।
- इस गैस त्रासदी को 40 साल हो चुके हैं
- प्लान मंजूर हो चुका है, कांट्रेक्ट भी दिया जा चुका है, इसके बाद भी अधिकारी निष्क्रिय है, आगे और भी कोई त्रासदी हो सकती है
- सभी पक्षकारों, राज्य सरकार और अधिकारियों को एक साथ बैठने के निर्देश देते हैं और यदि कोई औपचारिक मंजूरी की जरूरत है तो उसे एक सप्ताह के भीतर दिया जाए, कोई भी व्बगा इसमें आदेश का पालन करने में विफल रहता है तो विभाग के प्रमुख सचिव पर अवममानना का केस होगा
- जहरीले कचरे को हटाने के कदम उठाए जाएंगे और आज से चार सप्ताह के भीतर तय स्थान पर भेजे जाएंगे, ऐसा नहीं करने पर मुख्य सचिव मप्र और गैस त्रासदी राहत व पुनर्वास विभाग के प्रमुख सचिव व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होकर बताएंगे कि कोर्ट के आदेशकें पालन क्यों नहीं किया गया है।
- यदि कोई भी अधिकारी, इस कोर्ट के आदेशों के पालन में रूकावट पैदा करता है तो मुख्य सचिव अगली सुनवाई इस तारीख पर सूचित करेंगे, ताकि कोर्ट उसके खिलाफ कार्रवाई कर सके।
- इस कचरे के परिवहन और निपटान के दौरान सभी सुरक्षा उपाय किए जाएंगे
- कम्पलायंस रिपोर्ट के साथ प्रमुख सचिव का व्यक्तिगत हलफनामा संलग्न किया जाएगा इसमें हर दिन की प्रगति का ब्यौरा होगा। अगली सुनवाई 6 जनवरी 2025 को होगी।
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परिवहन करार तो सितंबर 2021 में हो चुका
इसी सुनवाई के दौरान यह जानकारी सामने आई थी कि केंद्र राज्य सरकार को इस काम के लिए 126 करोड़ रुपए दे चुका है। कचरे के परिवहन के लिए ठेकेदार से 23 सितंबर 2021 को करार हो चुका है। अनुबंध की राशि का 20 फीसदी 4 मार्च 2024 को दिया जा चुका है और परिवहन के लिए 12 ट्रक उपलब्ध है। राज्य सरकार द्वारा पेश योजना 20 मार्च 2024 की है। इसके तहत कचरा निष्पादन में न्यूनतम 185 दिन और अधिकतम 377 दिन अनुमानित है।