70 घंटों से भूख हड़ताल पर पेरेंट्स एसोसिएशन, जिम्मेदारों ने अब तक नहीं ली सुध

जबलपुर में अभिभावकों के अधिकारों की लड़ाई लड़ते हुए पेरेंट्स एसोसिएशन की भूख हड़ताल जारी है। अध्यक्ष सचिन गुप्ता 70 घंटे से आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं। लेकिन प्रशासन ने अब तक कोई सुध नहीं ली है।

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Neel Tiwari
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पेरेंट्स एसोसिएशन की भूख हड़ताल। Photograph: (the sootr)

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जबलपुर में अभिभावकों के अधिकारों की लड़ाई लड़ते हुए पेरेंट्स एसोसिएशन 70 घंटे से अधिक समय से आमरण अनशन पर है, लेकिन प्रशासन का रुख ऐसा नजर आ रहा है कि उन्हें अभिभावकों को इंसाफ दिलाने के लिए किसी की बली की जरूरत है, शायद यही कारण है कि अभी तक अनशन पर बैठे लोगों की सुध लेने के लिए कोई भी जिम्मेदार नहीं पहुंचा है।

निजी स्कूलों के खिलाफ की गई प्रशासन की कागजी कार्यवाही के बाद भी उसका धरातल पर असर नहीं हुआ है। अब अभिभावकों सहित छात्र-छात्राओं को लगातार प्रताड़ना से बचाने के लिए पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सचिन गुप्ता आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं। लगभग 70 घंटे से ज्यादा गुजर जाने के बाद भी अब तक किसी जिम्मेदार अधिकारी ने इस जगह का रुख तक नहीं किया है। डॉक्टर के द्वारा किए गए मेडिकल परीक्षण के आधार पर सचिन गुप्ता को जल्द से जल्द कोई हेल्दी सप्लीमेंट लेने की आवश्यकता है, वरना कभी भी कुछ अनर्थ हो सकता है। धरातल पर इंसाफ की लड़ाई लड़ने वालों की खैर खबर लेने अभी तक कोई जिम्मेदार अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा है। यह इस बात का प्रत्यक्ष उदाहरण है कि कागजों पर की गई कार्यवाही और धरातल पर इसके असर में जमीन आसमान का फर्क है जो इस आमरण अनशन से खुलकर सामने आ गया है।

आखिर क्यों भूख हड़ताल करने को मजबूर एसोसिएशन

जिले में अवैध फीस वसूली के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। जिला प्रशासन और जिला कलेक्टर की ताबड़तोड़ कार्रवाइयों के बावजूद निजी स्कूलों की मनमानी जारी है। पिछले एक साल से जिला कलेक्टर द्वारा निजी स्कूल माफिया के खिलाफ सख्त कदम उठाने के आदेश भी जारी किए गए है, लेकिन ये कार्रवाई अब तक सिर्फ कागजों तक सीमित नजर आ रही है। अभिभावकों का कहना है कि स्कूलों द्वारा अवैध रूप से वसूले गए पैसे अब तक वापस नहीं किए गए हैं और न ही नए फीस स्ट्रक्चर को लागू किया गया है। साथ ही बच्चों को अनावश्यक दबाव और परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जिसके चलते पैरेंट्स एसोसिएशन आमरण भूख हड़ताल पर बैठने को मजबूर है।

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अब तक कई निजी स्कूलों पर कार्रवाई

जिला कलेक्टर के निर्देशों पर जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा जानकारी गठित करके स्कूलों की 5 साल की ऑडिट रिपोर्ट बनाई मंगाई जा रही है। जिसमें करोड़ों रुपए अवैध फीस बढ़ोतरी के नाम पर बच्चों से वसूल किए गए हैं, इस अवैध वसूली के शिकार लगभग आधा सैकड़ा स्कूलों में पढ़ रहे लाखों छात्र है जिनसे सैकड़ों करोड़ रुपए की अवैध वसूली की गई है। कई स्कूलों की प्रबंधन समिति सदस्यों पर एफआईआर तक की गई है। साथ ही जबरन महंगी किताबें खरीदवाने का भी इन स्कूलों पर आरोप है जिससे 4.30 करोड़  रुपए की अवैध कमाई की गई, लेकिन स्कूल प्रबंधन समिति और निजी स्कूलों के द्वारा हाईकोर्ट की शरण लेकर मामले को टाला जा रहा है।

भूख हड़ताल बनी सरकार को जगाने का जरिया

निजी स्कूलों की मनमानी और अवैध फीस वसूली के मुद्दे पर पेरेंट्स एसोसिएशन ने सरकार और प्रशासन की कार्यशैली पर तीखे सवाल उठाए हैं। एसोसिएशन के अध्यक्ष सचिन गुप्ता ने कहा कि सरकार की कार्रवाई केवल कागजों तक ही सीमित रह गई है उसका प्रभाव ना ही निजी स्कूल के मनमानी के ऊपर दिखता है और ना ही कलेक्टर द्वारा दिए गए आदेशों का सख्ती से पालन हो रहा है। सचिन गुप्ता ने सरकार से सवाल करते हुए कहा की क्या अपनी मांगों को और सरकार के दिए आदेशों को पालन करवाने के लिए पेरेंट्स एसोसिएशन के बाद अब बच्चों और उनके अभिभावकों को भी भूख हड़ताल पर बैठना होगा।

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अपनी मांगों पर अड़ा एसोसिएशन

लगातार 70 घंटे से भूख हड़ताल पर बैठे पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सचिन गुप्ता की हालत नाजुक बनी हुई है। जहां उनकी प्राथमिक जांच में यह स्पष्ट हुआ है की उन्हें काफी हेल्थ इश्यूज है। जिसके चलते डॉक्टर द्वारा उन्हें हैवी सप्लीमेंट्स लेने की सलाह दी गई है। लेकिन उनके द्वारा सरकार से अपने मांगे पूरी न होने तक आमरण अनशन किए जाने की बात की गई है। उन्होंने सरकार से अवैध वसूली को वापस करने के साथ नए फीस स्ट्रक्चर को लागू करने की मांग की है। हालांकि इस मामले में अभी प्रशासन की तरफ से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है अब देखना है कि यह आमरण अनशन कब तक चलता है।

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