जबलपुर में शिक्षा माफियाओं की मनमानी और अभिभावकों के शोषण के खिलाफ पेरेंट्स एसोसिएशन ने अब आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है। एसोसिएशन के अध्यक्ष सचिन गुप्ता और सैकड़ों अभिभावक सोमवार से कलेक्ट्रेट के पास अन्न-जल त्यागकर आमरण अनशन पर बैठने जा रहे हैं। यह आंदोलन बच्चों के भविष्य को बचाने और शिक्षा व्यवस्था में सुधार की मांग को लेकर किया जा रहा है।
शोषण के खिलाफ 10 महीने का संघर्ष
पेरेंट्स एसोसिएशन ने बताया कि पिछले 10 महीनों से शिक्षा माफियाओं की गतिविधियों के खिलाफ आवाज उठाई जा रही है। स्कूल प्रबंधन द्वारा बच्चों और अभिभावकों पर तरह-तरह से मानसिक और आर्थिक दबाव डाला जा रहा है। गैर-कानूनी फीस वसूली, धमकियां, और मनमानी नियम लागू करके इन माफियाओं ने शिक्षा को एक व्यवसाय बना दिया है। हालांकि, इस दौरान सरकार और प्रशासन ने कई बार आश्वासन दिए, लेकिन कार्रवाई केवल फाइलों तक सीमित रह गई। आपको बता दें कि लगातार मामले के कोर्ट में लंबित होने का हवाला देते हुए निजी स्कूल फीस को कम करने को तैयार ही नहीं है। बढ़ी हुई हुई फीस की वसूली को लेकर तो वह कोर्ट का हवाला देते हैं लेकिन जिला शिक्षा कमेटी ने जो फीस निर्धारित की है उसे भी वह कोर्ट का ही हवाला देकर लेने को तैयार नहीं है और अभिभावकों और बच्चों पर अधिक फीस के लिए दबाव बना रहे हैं। कहीं एडमिट कार्ड तो कहीं एग्जाम के नाम पर मजबूरन अभिभावकों को यह अवैध फीस जमा करनी पड़ रही है। इससे जुड़े कई बच्चों की प्रताड़ना के मामले लगातार सामने आते रहे हैं।
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न्यायिक व्यवस्था का दुरुपयोग कर रहे निजी स्कूल
एसोसिएशन ने आरोप लगाया है कि निजी स्कूलों के मालिक कोर्ट का सहारा लेकर छात्रों और अभिभावकों को लूटने की अपनी साजिश को सही ठहराने की कोशिश कर रहे हैं। हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर कर ये माफिया प्रशासन की कार्रवाई को रोकने में सफल हो रहे हैं। इसके चलते बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ और अभिभावकों का शोषण जारी है। न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है।
सरकार और विपक्ष की चुप्पी पर सवाल
इस मामले में लगातार सरकार और विपक्ष की चुप्पी ने अभिभावकों को आक्रोशित कर दिया है। आपको बता दें कि इस मामले में जबलपुर जिला कलेक्टर के द्वारा तो लगातार कार्यवाही की जा रही है पर कोई भी राजनीतिक पार्टी अभिभावकों के साथ खड़ी हुई नजर नहीं आई है। एसोसिएशन का कहना है कि यह लड़ाई केवल कुछ लोगों की नहीं, बल्कि लाखों बच्चों के भविष्य की है। इसके बावजूद, राजनीतिक दलों ने इस मुद्दे पर कोई ठोस रुख नहीं अपनाया। आंदोलनकारियों का मानना है कि शिक्षा माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने से सरकारें बचती रही हैं, जिससे इन माफियाओं का हौसला बढ़ा है।
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अब अंतिम चरण है आमरण अनशन
लगातार की जा रही शिकायत और प्रदर्शन के बाद भी जमीनी स्तर पर इंसाफ न मिलने के बाद अब एसोसिएशन ने घोषणा की है कि अब यह आंदोलन अपने अंतिम चरण में है। जब तक शिक्षा माफियाओं पर निर्णायक कार्रवाई नहीं होती और दोषियों को सजा नहीं मिलती, तब तक अनशन जारी रहेगा। अध्यक्ष सचिन गुप्ता ने कहा, "यह कोई व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है। यह आंदोलन उन लाखों बच्चों के लिए है, जिनका भविष्य इन माफियाओं के कारण खतरे में है। हम अपने अधिकारों की लड़ाई को अब अंजाम तक पहुंचाएंगे।"
सभी के सहयोग की अपील
एसोसिएशन ने शहर के सभी नागरिकों, अभिभावकों, सामाजिक संगठनों, और छात्रों से इस आंदोलन में शामिल होने की अपील की है। उनका मानना है कि यह केवल जबलपुर का मुद्दा नहीं है, बल्कि पूरे देश की शिक्षा व्यवस्था के लिए एक मिसाल बनेगा। अभिभावकों ने यह भी कहा कि यदि इस बार ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो आंदोलन का दायरा और बढ़ाया जाएगा।