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मध्य प्रदेश के स्कूलों में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में अब टीचर छात्रों को अपनी मर्जी से कोई भी भूमिका (रोल) नहीं दे सकेंगे। किसी भी छात्र को कार्यक्रम में रोल देने या वेशभूषा पहनाने से पहले उनके पेरेंट्स से लिखित अनुमति प्राप्त करना जरूरी होगा।
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वेशभूषा पर उठे थे सवाल
दरअसल, क्रिसमस के त्यौहार में अब महज 10 दिन का ही समय बचा है। इस त्यौहार के दौरान निजी स्कूलों में फैंसी ड्रेस कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। अब इस आयोजन को लेकर मध्य प्रदेश बाल संरक्षण आयोग ने शिक्षा विभाग और कलेक्टरों को बड़ा आदेश दिया है। आयोग ने आदेश दिया है कि कोई भी स्कूल बिना अभिभावकों की अनुमति के किसी बच्चे को सांता क्लॉज या कोई अन्य पोशाक नहीं पहना सकेगा। बता दें कि आयोग के सदस्य अनुराग पांडे ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों से कई जिलों के स्कूलों से बच्चों की वेशभूषा को लेकर कई शिकायतें आई थीं।
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माता-पिता की मंजूरी जरूरी
अब, किसी भी प्रकार के कार्यक्रम में बच्चों को शामिल करने या उन्हें किसी विशेष वेशभूषा पहनाने से पहले, उनके माता-पिता से लिखित अनुमति लेना अनिवार्य होगा। यह कदम बच्चों की सुरक्षा और उनके मनोबल को बनाए रखने के लिए लागू किया गया है।
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इसके अलावा मध्य प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए राज्य सरकार ने स्कूली विद्यार्थियों को यातायात के नियमों की शिक्षा देने का फैसला लिया है। आगामी शैक्षणिक सत्र (2025-26) से कक्षा 5वीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों के लिए यह पाठ्यक्रम लागू होगा। पुलिस मुख्यालय द्वारा 87 लाख पुस्तकें तैयार की जा रही हैं, जिन्हें विद्यार्थियों में वितरित किया जाएगा।
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